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म्यूचुअल फंड में पैसे लगाते हैं तो सावधान हो जाइए, नियम बदल गए हैं

लोकसभा में एक नया बिल पारित हुआ है.

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लोकसभा में फाइनेंस बिल पारित हुआ है. (सांकेतिक फोटो)

अगर आप भी म्यूचुअल फंड में पैसा लगाते हैं, तो आपको बड़ा झटका लग सकता है. वजह ये है कि 24 मार्च को सरकार ने लोकसभा में जो फाइनेंस बिल पारित किया है उसमें एक संशोधन डेट म्यूचुअल फंड से भी जुड़ा हुआ है. इससे अब कुछ म्यूचुअल फंड स्कीम्स पर मिलने वाला टैक्स बेनेफिट खत्म हो गया है और अब आपको नए फाइनेंशियल ईयर यानी एक अप्रैल 2023 से पहले के मुकाबले ज्यादा इनपर ज्यादा देना पड़ सकता है. 

फाइनेंस बिल में प्रस्ताव किया गया है कि म्युचुअल फंड में निवेश जहां भारतीय कंपनी के इक्विटी शेयरों यानी डेट फंड में 35 फीसदी से ज्यादा निवेश नहीं किया जाता है, उसे अब शार्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा. नया संशोधन एक अप्रैल 2023 से लागू हो जाएगा. अभी डेट म्युचुअल फंड पर दो तरह से टैक्स कैलकुलेट किया जाता है. पहला तो यह है कि अगर किसी निवेशक ने डेट म्यूचुअल फंड में निवेश से कमाई की है और उसने तीन साल से पहले रिटर्न के साथ पैसा निकाल लिया तो उसके इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार, शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है. यानी रिटर्न को कमाई माना जाता है उस पर इनकम टैक्स स्लैब के आधार पर टैक्स लगता है.

वहीं, अगर कोई निवेशक 3 साल बाद अपने पैसे निकालता है, तो उसे 20 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स देना पड़ता है. जिसमें इंडेक्सेशन भी शामिल होता है. इंडेक्सेशन के जरिए निवेश पर महंगाई के असर को शामिल कर रिटर्न का कैलकुलेशन होता है. जिससे निवेशक पर कम टैक्स देनदारी बनती है. हालांकि, शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स संबंधी नियम कोई बदलाव नहीं हुआ है.

शेयर मार्केट में गिरावट

फाइनेंस बिल के नए संशोधन के मुताबिक अब ऑप्शंस की बिक्री पर सिक्योरिटी ट्रांजैक्शंस टैक्स यानी STT को एक करोड़ रुपये के टर्नओवर पर 2100 रुपये कर दिया गया है. पहले ये राशि 1700 रुपये थी. एसटीटी बढ़ने के बाद अब फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेड महंगा हो जाएगा. मतलब एसटीटी में 23.5 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है. इसी तरह से फ्यूचर कांट्रैक्ट की बिक्री पर 10 हजार रुपये से एक करोड़ रुपये टर्नओवर पर एसटीटी को बढ़ाकर 12 हजार 500 रुपये कर दिया गया है. यह बढ़ोतरी करीब 25 फीसदी है. 

इधर, सरकार के इस फैसले पर पीडब्ल्यू एंड कंपनी के पार्टनर सुरेश स्वामी ने आजतक से कहा कि एफपीआई के लिए डेरिवेटिव में ट्रेडिंग से होने वाली आय को कैपिटल गेन माना जाता है. उन्होंने कहा कि पूंजीगत लाभ आय की गणना के लिए भी सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स कटौती योग्य व्यय नहीं है. वहीं, फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग पर एसटीटी बढ़ाने की खबर सामने आने के बाद आज देश के शेयर मार्केट पर नकारात्मक असर पड़ा. आज सेंसेक्स करीब 300 अंक की गिरावट के साथ 57527 अंक के स्तर पर बंद हुआ. वहीं निफ्टी 132 अंक की गिरावट के साथ 16945 अंक के स्तर पर बंद हुआ. 

शेयर मार्केट में आई भारी गिरावट के चलते बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप 24 मार्च को घटकर 255 लाख करोड़ रुपये के नीचे पहुंच गया जोकि इसके पिछले कारोबारी दिन यानी गुरुवार को 257 लाख करोड़ रुपये के आसपास था. इस तरह से बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप आज 2.68 लाख रुपये करोड़ घटा है और निवेशकों को अच्छी खासी चपत लगी.

वित्त वर्ष 2023-24 के वित्त विधेयक को लोकसभा से मंजूरी मिल गई है. लेकिन उसके पहले विधेयक पर बोलते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत दी है. टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है लेकिन जिनकी सालाना आय 7 लाख रुपये से थोड़ा ज्यादा है उन्हें राहत दी गई है. आइए आपको विस्तार से बताते हैं कैसे टैक्सपेयर्स को राहत मिलने वाली है. नए टैक्स रिजीम के तहत 7 लाख रुपये तक सालाना आय पर टैक्सपेयर्स को कोई टैक्स नहीं चुकाना होगा. लेकिन जिनकी सालाना आय मान लिजिए 7 लाख रुपये से थोड़ा ज्यादा है उन्होंने 7 लाख रुपये तक के इनकम पर मिलने वाला 25,000 रुपये के टैक्स रिबेट का लाभ नहीं मिलता. 

उदाहरण के लिए मान लीजिए किसी टैक्सपेयर्स की इऩकम 7 लाख रुपये से उसे 25,000 रुपये टैक्स की बचत होगी. लेकिन किसी की सालाना आय 7,00,100 रुपये (7 लाख 100 रुपये) है उसे केवल 100 रुपये ज्यादा आय होने पर 25,010 रुपये टैक्स चुकाना पड़ता. वित्त मंत्री ने वित्त विधेयक पारित होने के दौरान ऐसे टैक्सपेयर्स को मामूली राहत देने का एलान किया है.

बिना बहस के पारित हुआ बिल

नए प्रस्ताव के मुताबिक अगर किसी टैक्सपेयर की सालाना इनकम 7,00,100 रुपये है, तो उन्हें 25,010 रुपये टैक्स नहीं बल्कि केवल 100 रुपये टैक्स चुकाना होगा. भले ही सरकार ने टैक्स छूट के दायरे को बढ़ा दिया हो लेकिन अगर किसी टैक्सपेयर्स की आय 7,01,000 रुपये सलाना होगी तो 25,000 रुपये टैक्स रिबेट का लाभ नहीं मिलेगा और ऐसे टैक्सपेयर्स को 25,100 रुपये और सेस को मिलाकर 26,140 रुपये टैक्स चुकाना होगा. 

मतलब, केवल 7 लाख रुपये के ऊपर केवल 1,000 रुपये के अतिरिक्त आय होने पर टैक्सपेयर्स को 26,140 रुपये टैक्स का भुगतान करना होगा. अगर किसी व्यक्ति की सालाना आय 7,29,000 रुपये है तो उसे 29,016 रुपये टैक्स का भुगतान करना होगा. यानि 7 लाख रुपये से ज्यादा जितनी आय होगी वो टैक्स के भुगतान में ही चला जाएगा. इन टैक्सपेयर्स के पास एक ही विकल्प है कि वे 7 लाख रुपये से ज्यादा जिनती भी आय है उसे लेने से इंकार कर दें तभी उन्हें नए टैक्स रिजीम के तहत 7 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं चुकाने का लाभ मिलेगा.

इसके अलावा लोकसभा में 23 मार्च को विनियोग विधेयक को नौ से भी कम मिनट में पारित कर दिया गया. इस बिल पर सदन में कोई बहस भी नहीं हुई. इस बिल के पास होने के साथ ही केंद्र सरकार का अगले वित्तीय वर्ष के लिए 45 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का रास्ता साफ हो गया है. विनियोग विधेयक को एप्रोप्रिएशन बिल भी कहा जाता है. इस बिल के अंतर्गत केंद्र सरकार को कंसोलिडेटेड फंड से राशि निकलाने का अधिकार मिलता है. इस राशि का इस्तेमाल सरकार वित्त वर्ष के लिए होने वाले खर्चों को संभालने के लिए करती है.

वीडियो: खर्चा पानी: फाइनेंस बिल 2023 में इनकम टैक्स समेत कई बड़े बदलाव!