चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) मिशन लंबी दूरी तय करने के बाद 23 अगस्त को चांद की जमीन पर उतरने जा रहा है. अगर सॉफ्ट लैंडिंग (Soft Landin) सफल रहती है, तो भारत चांद के साउथ पोल(South Pole of moon) पर उतरने वाला दुनिया का पहला देश होगा. इस मिशन की वजह से इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) लगातार चर्चा में है, जो जायज भी है. लेकिन कोई भी सैटेलाइट छोड़ने के लिए वैज्ञानिकों की रिसर्च और प्लानिंग के साथ-साथ तमाम मशीनों की भी जरूरत पड़ती है. मसलन- लॉन्चिंग वीकल, लॉन्चपैड, बूस्टर सेगमेंट और अन्य स्ट्रक्चर.
Chandrayaan-3 मिशन में इन 5 कंपनियों ने जो मदद की, वो सबको जानना चाहिए!
ISRO को किसी कंपनी ने मशीनें दीं तो किसी ने टेक्नॉलजी...

ISRO ये चीजें सरकारी और निजी कंपनियों से खरीदता है. इसलिए एक नजर उन कंपनियों पर भी डालते हैं जो अलग-अलग तरह से ISRO को सपोर्ट कर रही हैं. इनमेंं प्रमुख रूप से लार्सन एंड टुब्रो (L&T), मिश्र धातु निगम और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड( BHEL), हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और MTAR टेक्नोलॉजी का नाम सामने आता है. इसके बाद टाटा एलेक्सी, टाटा एडवांस सिस्टम और सेंटम इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड जैसी कंपनियों ने भी मिशन के लिए अलग अलग-तरह से सप्लाई की है.
1. L&T ने बनाया बूस्टर सेगमेंटL&T ने चंद्रयान मिशन के M4 के लॉन्चर LVM3 को छोड़ने में अहम भूमिका निभाई है. कंपनी ने इस मिशन के लिए अपनी पवई फैक्ट्री में कई जरूरी बूस्टर सेगमेंट्स का निर्माण किया है. इसके अलावा इसकी कोयबंटूर फैसिलिटी में ग्राउंड और फ्लाइट अबिलिकल प्लेट्स का निर्माण हुआ. इंडियन स्पेस प्रोग्राम के लिए L&T ने लॉन्च वीकल के सिस्टम इंटीग्रेशन में भी सहायता की है.
मिश्र धातु निगम की बात करें तो कंपनी ने LVM3 M4 के कई पार्ट्स के लिए जरूरी मैटेरियल्स की सप्लाई की है. इनमें कोबाल्ट बेस अलॉय, निकिल बेस अलॉय, टाइटेनियम अलॉय और स्पेशन स्टील जैसे मैटेरियल शामिल हैं. कंपनी ISRO के गगनयान मिशन जैसे अन्य मिशन में भी सप्लाई करती रहेगी.
3. BHEL ने दी है बैटरीसरकारी कंपनी BHEL ने चंद्रयान 3 के लिए बैटरी की सप्लाई की है. BHEL की इकाई वेल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (WRI) ने चंद्रयान-3 के लिए बाई मेटालिक अडॉप्टर्स की मैन्युफैक्चरिंग और सप्लाई की है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, WRI के बनाए पार्ट्स का इस्तेमाल चंद्रयान LVM3-M4 मिशन के क्रायोजेनिक स्टेज में किया गया है.

हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स ने भी चंद्रयान-3 को यहां तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. पिछले साल ही HAL और L&T के एक कंसोर्टियम को न्यू स्पेस इंडिया से 5 पोलर सैटेलाइट लॉन्च वीकल (PSLV) बनाने की कॉन्ट्रैक्ट मिला था. यह डील 860 करोड़ रुपये में हुई थी. स्पेस में सैटेलाइट भेजने के लिए PSLV सबसे अहम मशीन होती है.
MTAR टेक्नोलॉजी इसरो के लिए काफी लंबे समय से रॉकेट इंजीन और कोर पंप का निर्माण कर रही है. MTAR की बालानगर फैसिलिटी ने चंद्रयान 3 के लिए जरूरी पार्ट्स बनाए हैं. 5 जुलाई, 2017 को GSLV MK3 के लॉन्च में भी इसरो को जरूरी पार्ट्स की सप्लाई की थी.
ध्यान देने वाली बात ये भी है कि ये सभी शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियां हैं. कई फाइनेंशियल एक्सपर्ट और रिसर्च एनालिस्ट्स का अंदाजा है कि अगर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग होती है तो इन कंपिनयों के शेयरों पर भी कुछ असर दिख सकता है.