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धूमधाम से भारत आई Tesla की कारों की बिक्री पर ब्रेक किसने लगाया?

Elon Musk Tesla India: एलन मस्क की Tesla को भारत में उम्मीद से बहुत कम रिस्पॉन्स (Tesla's India debut has hit a slow start) मिला है. सालों के इंतजार के बाद भारत में लॉन्च हुई Tesla को गिनती के ग्राहक मिले हैं.

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Tesla भारत में कंप्लीट बिल्ट यूनिट से आती है. (फोटो-Pexels)

Elon Musk की Tesla को भारत में स्पीड नहीं मिल रही. कंपनी को भारत में ब्रेक लग गए हैं. Tesla की बैटरी इंडिया में ढंग से चार्ज नहीं हो रही. इसमें से जो भी आपको ठीक लगे, वो लाइन आप रख लीजिए क्योंकि आखिर में सभी का मतलब एक ही है. इंडिया में अरबपति कारोबारी की कार को खरीददार नहीं (Tesla India slow start) मिल रहे. जुलाई में गाजे-बाजे के साथ लॉन्च हुए Model Y को अभी तक सिर्फ 600 बुकिंग मिली हैं. 

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Bloomberg के मुताबिक ये कंपनी के तय किए टारगेट से बहुत कम है. टेस्ला ने इस साल के अंत तक 2500 कारें बेंचने का लक्ष्य रखा था. अमेरिका-चीन सहित दुनिया के कई बाजारों में धूम मचाने के बाद इंडिया आई Tesla के लिए अच्छी खबर नहीं है, खासकर जब इंडियन कार प्रेमी इसका बहुत सालों से इंतजार कर रहे थे. सूचना खत्म, सवाल स्टार्ट. 

क्या Tesla भारत की सड़क पर रफ्तार पकड़ पाएगी? जवाब तलाशने की कोशिश करते हैं. 

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दाम ‘बेदम’ कर रहा

Tesla जब भारत में लॉन्च हुई और इसका प्राइस चार्ट सामने आया, तो वो दिमाग घुमाने वाला था. क्योंकि इस कार के Model Y RWD की कीमत 60 लाख रुपये और Model Y Long Range RWD की कीमत 67.89 लाख रुपये है. जबकि अमेरिका में Long Range RWD मॉडल का दाम 44,990 डॉलर (40 लाख रुपये) है. माने अमेरिका के मुकाबले तकरीबन डेढ़ गुना ज्यादा. ऐसा क्यों है, उसके लिए आपको भारत में बाहर से आने वाली कारों का कारोबार समझना होगा. यहां बता दें कि भारत में तीन कैटेगरी के तहत बाहर से कारें आती हैं.

ये भी पढ़ें: भारत में खुला Tesla का पहला शोरूम, चीन से लाकर 60 लाख में बेचेंगे Tesla Model Y कार

CBU

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कंप्लीट बिल्ट यूनिट (CBU), इसमें कार पूरी तरह से बाहर से बनकर भारत में आती है. जैसे कि Rolls Royce और Porsche. ये दोनों कारें अन्य देशों में पूरी तरह से तैयार की जाती हैं. फिर इन्हें भारत में सिर्फ बिक्री के लिए लाया जाता है. लेकिन देश में ऐसी कारों पर कस्टम ड्यूटी (BCD - Basic Customs Duty) 70 प्रतिशत तक लगती है. मतलब अगर Rolls Royce का ब्रिटेन में दाम 100 रुपये है तो भारत में 170 रुपये हो गया. 

एक पेच और है. अगर गाड़ी का दाम 35 लाख से कम है तो कस्टम ड्यूटी के साथ 40 फीसदी Agriculture Infrastructure and Development Cess (AIDC) भी लगेगा. 

CKU

कंप्लीट नॉक्ड यूनिट (CKU) का मतलब है, जब कारों को भारत में ही असेंबल किया जाता है. मसलन, एक कार को जापान में बनाया गया, फिर उसके पार्ट्स को अलग-अलग करके भारत भेज दिया गया. इसके बाद उन पार्ट्स को यहीं असेंबल कर दिया गया. ऐसी कारों पर कस्टम ड्यूटी 15 फीसदी होती है. इसके साथ 1.5 फीसदी SWS यानी Social Welfare Surcharge भी लगता है. Jaguar XE, XF, XJ और Land Rover Discovery Sport ऐसी ही कारें हैं. 

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(फोटो-Pexels)

SKD

फिर आती है, सेमी नॉक्ड यूनिट (SKD). इसमें एक गाड़ी के कई पार्ट्स को लोकली बनाया जाता है. यहीं पर असेंबल किया जाता है. सिर्फ कुछ ही बड़े पार्ट्स को दूसरे देशों से इम्पोर्ट किया जाता है. इन यूनिट पर कस्टम ड्यूटी 35 फीसदी होती है. BMW 3 Series, Mercedes-Benz A-Class इसी प्रकार की कारें हैं. Suzuki S-Presso भी इसी किस्म की गाड़ी है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कस्टम ड्यूटी 35 फीसदी होने के बाद भी इन गाड़ियों की कीमत कम होती है क्योंकि ड्यूटी सिर्फ बाहर से आने वाले पार्ट्स पर लगती है. 

मस्क किस सड़क पर? 

Tesla को चीन में पूरी तरह से तैयार कर (CBU) भारत में लाया गया है. इसकी वजह Model Y Long Range RWD की कीमत 67.89 लाख रुपये है. अगर 44,990 डॉलर वाला Long Range RWD मॉडल अमेरिका से आता तो इसका दाम 76 लाख होना था. जो भी हो, अन्य देशों के मुकाबले Tesla कारों की कीमत में भारी अंतर देखने को मिलता है. अगर मस्क साहब भारत में टेस्ला का प्लांट खोलें और कम्प्लीटली नॉक्ड यूनिट से कार यहां बनाएं, तो उम्मीद है कि इन कारों का दाम कम हो जाएगा. लेकिन उसमें कितना समय लगे, वो तो कोई नहीं जानता है. ट्रंप टैरिफ ने भी उनके लिए और मुसीबत पैदा कर दी है. 

भारत पिछले कुछ सालों में महंगे ब्रांड का बड़ा बाजार बना है, मगर कीमत में तकरीबन डेढ़ गुना का फर्क शायद कंज्यूमर्स को समझ नहीं आ रहा है.

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