पुरानी गाड़ी बेचनी है? अब ये कोई सिरदर्द नहीं रहा. बस एक फोटो खींचिए, इंस्टाग्राम या OLX पर डालिए, और मिनटों में खरीदार हाज़िर. पैसे मिले, गाड़ी गई और आपको लगा कहानी खत्म? नहीं भाई, असली कहानी तो यहीं से शुरू होती है. क्योंकि गाड़ी बेच देना आसान है, पर बेचने के बाद उसकी कानूनी जिम्मेदारी से पीछा छुड़ाना असली आर्ट है. अगर ज़रा सी भी चूक हुई तो अगली बार किसी चालान, हादसे या केस में आपका नाम भी गाड़ी के साथ दौड़ता नजर आएगा.
गाड़ी बेचने का मन है? एक गलती से घर पहुंचेगी पुलिस! जानिए वो 5 कागज जो हर हाल में पूरे होने चाहिए
आपने गाड़ी सेल कर दी तो RC नए मालिक के नाम पर ट्रांसफर करना जरूरी है. किसी भी मौखिक और लिखित करारनामे से काम नहीं चलेगा. अगर ऐसा नहीं होता और नए मालिक की गाड़ी से कोई दुर्घटना होती है, तो केस में पुराने मालिक का भी नाम जुड़ सकता है.


मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के तहत किसी भी गाड़ी को बेचते समय सबसे जरूरी है नया रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC). ये दस्तावेज साबित करता है कि गाड़ी सरकारी रिकॉर्ड में किसके नाम पर दर्ज है. आपने गाड़ी सेल कर दी तो RC नए मालिक के नाम पर ट्रांसफर होना अनिवार्य है. किसी भी मौखिक और लिखित करारनामे से काम नहीं चलेगा. अगर ऐसा नहीं होता और नए मालिक की गाड़ी से कोई दुर्घटना होती है, तो केस में पुराने मालिक का भी नाम जुड़ सकता है. क्योंकि RC अभी तक उसके ही नाम है. कुछ समय पहले एक केस सामने आया था, जहां एक लड़की की मौत हो गई थी. जिस स्कूटी को वह लड़की चला रही थी, उसकी RC पुराने मालिक के नाम थी. इसलिए पुराने मालिक पर भी केस बना था. नीचे दी गई लिंक पर क्लिक करके आप पूरा केस पढ़ सकते हैं. मालिकाना हक ट्रांसफर करने के लिए कुछ कागजात की जरूरत होती है.
Form 28: ये एक नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) है. यानी की ओनरशिप ट्रांसफर पर कोई आपत्ति नहीं है और आपकी गाड़ी का क्लीन रिकॉर्ड है. इस फॉर्म की आपको तीन कॉपी चाहिए होगी.
Form 29: ये फॉर्म RTO को जानकारी देता है कि आपने अपना व्हीकल बेच दिया है. इस दौरान आपको Form 29 की दो कॉपी देनी होगी. ताकि ये कंफर्म हो सके कि कार से जुड़े सभी डॉक्यूमेंट्स बायर को ट्रांसफर कर दिए गए हैं.

Form 30: ये भी एक कंफर्मेशन फॉर्म है. फॉर्म 29 देने के बाद, ये कार बेचने वाले की जिम्मेदारी होती है कि वे फॉर्म 30 भरकर RTO में जमा करे ताकि ओनरशिप ट्रांसफर तुरंत शुरू हो सके.
इन तीनों फॉर्म को आप परिवहन वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं.
PUC सर्टिफिकेटपॉल्यूशन अंडर कंट्रोल या PUC सर्टिफिकेट ये वेरीफाई करता है कि आपकी कार का एमिशन सरकारी मानकों से मेल खाता है. आपकी गाड़ी की वायु प्रदूषण में ज्यादा भागीदारी नहीं है. आप अपने नजदीकी पेट्रोल पंप पर जाकर PUC सर्टिफिकेट ले सकते हैं. बता दें कि इलेक्ट्रिक गाड़ियों को PUC टेस्ट से बाहर रखा गया है.
कार इंश्योरेंसकार की ओनरशिप ट्रांसफर करने में एक्टिव इंश्योरेंस पॉलिसी का भी बड़ा रोल है. बिना कार इंश्योरेंस के RTO गाड़ी की ओनरशिप आगे ट्रांसफर नहीं करेगा. इसलिए अगर कार इंश्योरेंस एक्सपायर हो गया है, तो उसे एक्टिव करा लीजिए.
आइडेंटिटी वेरिफिकेशन डॉक्यूमेंट्सपैन कार्ड: गाड़ी ट्रांसफर करते समय टैक्स से जुड़े कामों के लिए आपके PAN कार्ड की सेल्फ-अटेस्टेड (आपकी तरफ से साइन की हुई) फोटोकॉपी जरूरी है. अगर आपके पास पैन कार्ड नहीं है, तो फॉर्म 60 की कॉपी जमा करनी होगी. ताकि ट्रांसफर प्रोसेस में रुकावट न आए.
एड्रेस प्रूफ- ये डॉक्यूमेंट आपके पते को वेरीफाई करता है. कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में एड्रेस की सेल्फ-अटेस्टेड कॉपी मांगी जाती है. इसके लिए कोई भी सरकारी दस्तावेज जिसमें आपका वर्तमान पता हो इस्तेमाल कर सकते हैं. जैसे कि आपका आधार कार्ड, वोटर ID, पासपोर्ट आदि. कुछ राज्यों में बिजली का बिल और रेंटल एग्रीमेंट (किरायानामा) भी एड्रेस प्रूफ के रूप में मान्य होता है.
सेल्फ-अटेस्टेड फोटोग्राफ्स- व्हीकल ट्रांसफर फॉर्म के लिए कार बेचने वाले को अपनी पासपोर्ट साइज फोटोज की दो कॉपी जमा करनी होती है.
सेल्स एफिडेविटसेल में शामिल दोनों पक्षों को एक एफिडेविट पर साइन करना होता है. इसमें ये बताया जाता है कि गाड़ी से संबंधित सभी लीगल बॉन्ड और लायबिल्टीज खरीदार को ट्रांसफर किए जा रहे हैं. इस दस्तावेज को नोटरी (सरकारी अधिकारी) की तरफ से प्रमाणित किया जाना चाहिए.
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