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कार ऑटोमैटिक लें या मैनुअल? पैसा खर्च करने से पहले बेहतर ऑप्शन समझ लीजिए

Manual vs Automatic Transmission : मैनुअल कार में आपको बार-बार गियर बदलने पड़ते हैं और क्लच पर पैर रखना जरूरी होता है. लेकिन ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन में एस्केलेटर पर पैर रखना होता है और गाड़ी चलने लगती है. ऑटोमैटिक कार खुद गियर बदल लेती है. अब इन दोनों कार के थोड़े फायदे और नुकसान जान लेते हैं.

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ऑटोमेटिक कार चलाने में काफी आसान है. (फोटो-Pexels)

आप कार खरीदने का प्लान कर रहे हैं पर कशमकश में फंसे हुए हैं. माने मैनुअल कार ली जाए या ऑटोमैटिक. किसी से भी पूछेंगे कि, 'हां भैया कौन सी कार लेनी सही रहेगी' तो जवाब आएगा कि पैरों को आराम चाहिए तो ऑटोमैटिक कार ले लो. लेकिन ज्यादा कंट्रोल चाहिए तो मैनुअल बढ़िया ऑप्शन रहेगा. अगर इस चक्कर में आपकी कार का फर्स्ट गियर ही नहीं लग पा रहा है, तो हम धक्का लगा देते हैं.

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पहले तो आपको मैनुअल और ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन (गियरबॉक्स) के बीच छोटा सा अंतर बता देते हैं. मैनुअल कार में आपको बार-बार गियर बदलने पड़ते हैं और क्लच पर पैर रखना जरूरी होता है. लेकिन ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन में एस्केलेटर पर पैर रखना होता है और गाड़ी चलने लगती है. ऑटोमैटिक कार खुद गियर बदल लेती है. अब इन दोनों कार के थोड़े फायदे और नुकसान जान लेते हैं.

तेल का खेल

ऑटोमैटिक कारों के मुकाबले मैनुअल कारों को ज्यादा फ्यूल एफिशिएंट माना जाता है. मतलब इनका एवरेज अच्छा होता है. कुछ हद तक ये सही भी है. मगर अब मॉडर्न इंजन के साथ ये दिक्कत दूर हो गई है. मार्केट में जो नई ऑटोमैटिक कारें आ रही हैं, वे भी तेल पीती नहीं हैं. एवरेज का अंतर अब 19-20 वाला है. मगर यहां नंबर तो मैनुअल को ही मिलेगा. हालांकि, मैनुअल में एवरेज इस बात भी निर्भर करता है कि आप कार चलाते कैसे हैं. मतलब तेज स्पीड से चलाएंगे, तो कार अच्छा-खासा ईंधन खाएगी. 

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मैनुअल कार चलाते हुए अगर गियरबॉक्स में कोई खराबी आ गई, तो ये आपकी जेब पर कम भारी पड़ेगी. लेकिन ऑटोमैटिक कार में कोई खराबी आ जाए, तो बड़े खर्चे के लिए आपको तैयार रहना पड़ेगा. ये खर्च ऑटोमैटिक के टाइप होने पर भी निर्भर करेगा. AMT में कम तो iMT में ठीकठाक. CVT और DCT ट्रांसमिशन में लंबा फटका लगेगा.

कंट्रोल

मैनुअल कार में पूरा कंट्रोल आपके हाथ में होता है. यानी कौन सा गियर कब डालना है, आप ये खुद डिसाइड करते हैं. आपको 5वें गियर में तेज रफ्तार में गाड़ी चलानी है या एक नंबर में डालकर ब्रेक लगाना है. सब आपके हाथ में होता है. मतलब आपको Power के साथ कंट्रोल भी चाहिए, तो मैनुअल बढ़िया है. क्योंकि ऑटोमैटिक कार खुद से गियर सेट करती है. यहां ड्राइवर का सीधा कंट्रोल थोड़ा कम होता है. माने कई बार आपको महसूस होगा कि यार गाड़ी ने पिकअप चंद सेकंड बाद लिया. 

Manual vs Automatic Transmission
मैनुअल कार 
चलाने में आसानी

मैनुअल कार सीखना आसान नहीं होता है. क्योंकि आपको सभी गियर की जानकारी रखनी होती है. कौन सा गियर कब डालना है, क्लच कैसे छोड़ना है, पैर कितनी ताकत से रखना है आदि. वहीं, ऑटोमैटिक कार में ये काम थोड़ा आसान है. इंजन स्टार्ट करना है और एक्सेलेटर पर पैर रखना है. बस, इतना करते ही गाड़ी चलनी शुरू हो जाएगी. ये सिस्टम उन लोगों के लिए परफेक्ट है, जो आसानी से कार चलाना सीखना चाहते हैं.

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थकाऊ

अगर शहर में रहते हैं, जहां ट्रैफिक लगना आम बात है, तो मैनुअल आपके पैरों को थोड़ा नहीं बल्कि बहुत कष्ट देगी. अगर जो बारिश में फंस गए तो बार-बार गियर बदलते-बदलते और क्लच पर पैर रखते-रखते, हाथ-पैर क्या, पूरा शरीर दुखने वाला है. लेकिन इस मामले में ऑटोमैटिक कार सुकून देती है. बार-बार न गियर बदलने हैं और न ही क्लच पर पैर रखना है. 

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ऑटोमेटिक कार सीखना आसान होता है
ऑटोमैटिक कार सीखना आसान होता है. (फोटो-Pexels)
ऑटोमैटिक का क्रेज

मैनुअल कार बेशक पावर के मामले में आज भी ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन से आगे हो. लेकिन ऑटोमैटिक कार चलाना इतना आसान है कि कई लोग पावर के बजाय आरामदायक सुविधा देख रहे हैं. भारत में भले मैनुअल का मार्केट बड़ा हो मगर दुनियाभर में ऑटोमैटिक कार का जलवा है. उदाहरण के लिए अमेरिका में कई पुलिस ऑफिसर को मैनुअल कार चलानी नहीं आती. अब General Motors कंपनी ने अमेरिका में पुलिस को मैनुअल कार चलाने के लिए दी है. ताकि वे इससे ट्रेनिंग कर सकें. ऐसे में जब उन्हें किसी दूसरे देश ड्यूटी पर भेजा जाएगा, तो उन्हें मैनुअल कार ड्राइव करने में परेशानी न आए.

Manual vs Automatic Transmission
दोनों कार के अपने फायदे और नुकसान हैं. (फोटो-Pexels)
पैसों की बचत

ये सब तो ठीक है. लेकिन अब बात पॉकेट की करते हैं, जो सबसे जरूरी है. मैनुअल कार के बेस वेरिएंट की कीमत ऑटोमैटिक के बेस मॉडल से कम होती है. कम से कम 1.5 लाख रुपये तो पकड़ ही लीजिए. ये अंतर भी AMT में है. जो DTC (Dual-clutch transmission) लेने चले गए तो अंतर 3 से 4 लाख तक हो सकता है. जैसे कि TATA Altroz 2025 का मैनुअल बेस मॉडल दिल्ली में 7.84 लाख रुपये का है. ऑटोमैटिक AMT 9.37 लाख और DTC का दाम 11.98 रुपये है.

मतलब ऑटोमैटिक में आराम तो है लेकिन पैसा पहले दिन ही ज्यादा लगेगा. हमारी आपको सलाह होगी कि अपनी जरूरत और बजट के हिसाब से गियर डालिए या एक्सेलेटर पर पैर रखिए.

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