20 March 2025
Author: Shivangi
गेहूं. इससे मैदा भी बनता है और आटा भी. लेकिन, जहां एक तरफ, गेहूं के आटे को हेल्दी माना जाता है. इसे खाने की सलाह दी जाती है. वहीं मैदे से परहेज़ करने को कहा जाता है.
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डाइटिशियन के मुताबिक मैदा भले ही गेहूं से बनता हो, लेकिन ये आटे से बहुत अलग होता है.
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गेहूं की तीन परतें होती हैं. सबसे बाहरी परत ब्रैन कहलाती है. इसमें खूब फाइबर और बी विटामिंस होते हैं.
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दूसरी परत एंडोस्पर्म होती है. ये गेहूं के दाने का सबसे बड़ा हिस्सा होता है. और, मुख्य रूप से स्टार्च से बनी होती है. तीसरी परत जर्म कहलाती है. इसमें भी खूब पोषण होता है.
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जब आटा बनता है, तो इन तीनों ही परतों का इस्तेमाल होता है. इसलिए, वो हेल्दी होता है. आपने देखा भी होगा, लोग अपने आसपास चक्की में गेहूं पिसाने जाते हैं. पिसने के बाद आटा घर लाते हैं. जबकि मैदा, आमतौर पर, दुकान से खरीदा जाता है. ये चक्की में नहीं मिलता.
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मैदा बनाने के लिए गेहूं की दोनों हेल्दी परतों, ब्रैन और जर्म को हटा दिया जाता है. सिर्फ एंडोस्पर्म बचता है. मैदा इसी एंडोस्पर्म से बना होता है. एंडोस्पर्म में सिर्फ़ स्टार्च होता है.
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इतना प्रोसस के बाद मैदे में पोषण बचता ही नहीं है. इसमें सिर्फ कैलोरीज़ होती हैं. यही वजह है कि मैदा हेल्दी नहीं माना जाता.
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जब कोई बहुत ज़्यादा मैदा खाता है. तो उसका वज़न बढ़ने लगता है. उसे पेट से जुड़ी दिक्कतें शुरू हो जाती है. अपच, गैस, पेट फूटना और दिल की बीमारियां, टाइप-2 डायबिटीज़ और फैटी लिवर होने का रिस्क भी बढ़ जाता है. इसलिए, मैदा खाना अवॉयड करना चाहिए.
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