रूस-यूक्रेन विवाद के बीच जिस नाम पर सबसे अधिक चर्चा हो रही है, वो है नेटो (NATO). पूरा-पूरा बोलें तो नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइज़ेशन. अभी वाला झगड़ा इसी के इर्द-गिर्द घूम रहा है. रूस कहता है कि यूक्रेन को नेटो में लिया तो ठीक नहीं होगा. गारंटी दो कि कभी यूक्रेन को इसका मेंबर नहीं बनाया जाएगा. उधर, अमेरिका और नेटो वाले कहते हैं कि ये बेमंटी है. हम इस शर्त को नहीं मानेंगे. इसी को लेकर दोनों तरफ़ तनातनी है. रूस के पौने दो लाख सैनिक यूक्रेन बॉर्डर के पास तंबू लगाकर बैठे हैं. कुछ सैनिक बेलारूस में युद्ध अभ्यास करने जा रहे हैं. यूक्रेन को पश्चिमी देशों से भारी मदद मिल रही है. नेटो अपने सदस्य देशों की ज़मीन पर भारी-भरकम हथियार तैनात कर रहा है. कुल जमा बात ये है कि युद्ध की तैयारी ज़ोरों पर है. नेटो का इतिहास क्या है और ये काम कैसे करता है? रूस-यूक्रेन के झगड़े में इसकी क्या भूमिका है? और, क्या ये संगठन रूस को टक्कर दे सकता है?