1945 में मिली जीत के बाद शुरुआती कुछ सालों में 09 मई को लगभग भुला दिया गया था. जब पुतिन सत्ता में आए, तब उन्होंने इसकी री-ब्रांडिंग की. इसे उनकी सत्ता और रूस के कथित ऐतिहासिक वैभव का परिचायक बनाया गया. हर साल मिलिटरी परेड आयोजित की गई. रूस की सैन्य ताक़त का प्रदर्शन किया गया. लेकिन इस बार पुतिन दुविधा में रहे. ऐसा क्यों हुआ? विस्तार से जानेंगे. साथ में विक्ट्री डे का पूरा इतिहास भी बताएंगे. रूस के बाद बात करेंगे हॉन्ग कॉन्ग की. एक दिखावे की कहानी सुनाएंगे. हॉन्ग कॉन्ग में एक चुनाव कराया गया. बंद दरवाज़े के पीछे. इस चुनाव में सिर्फ़ एक कैंडिडेट खड़ा था. उसे ही जीतना था. वो जीत भी गया. समझेंगे, इस चुनावी ड्रामे के पीछे का खेल क्या है? और, इस चुनाव से हॉन्ग कॉन्ग की जनता सदमे में क्यों है? देखें वीडियो.
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