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अब 19 हजार फीट की ऊंचाई पर भी चलेगा इंटरनेट, इंडियन आर्मी ने कर दिया कमाल

सियाचिन ग्लेशियर में शुरू हुई इंटरनेट सर्विस. भारतीय सेना को कम्युनिकेशन में मिलेगी मदद.

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worlds highest battlefield Siachen Glacier now has satellite internet
हजारों फीट की ऊंचाई पर भारत की बड़ी कामयाबी. (image-firefurycorps_IA)
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सूर्यकांत मिश्रा
19 सितंबर 2022 (Updated: 19 सितंबर 2022, 19:40 IST)
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भारतीय सेना ( Indian Army) ने 18 सितंबर को दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर (Siachen Glacier) पर सैटेलाइट ब्रॉडबैंड आधारित इंटरनेट सेवा एक्टिवेट कर दी है. भारतीय सेना की शाखा फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स (Fire and Fury Corps) ने इस बारे में एक ट्वीट के जरिये जानकारी दी है. ट्विटर पर तस्‍वीरें शेयर करते हुए इंडियन आर्मी की विंग ने बताया कि सियाचिन ग्‍लेशियर में 19,061  फीट की ऊंचाई पर सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सर्विस एक्टिवेट करने का काम पूरा हो गया है.

फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स या 14 कोर भारतीय सेना की उत्तरी कमान का हिस्सा है और सियाचिन सहित कुछ सबसे संवेदनशील क्षेत्रों की निगरानी लिए जिम्मेदार है.

सियाचिन ग्लेशियर सीमा पर सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड (बीबीएनएल) द्वारा प्रदान की गई है. बीबीएनएल भारत सरकार का उपक्रम है जो भारतनेट परियोजना के लिए भी जिम्मेदार है. इस मिशन के तहत पूरे भारत में 2.5 लाख ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी से लैस किया जाना है. 

क्या है सैटेलाइट ब्रॉडबैंड

बात करें सैटेलाइट ब्रॉडबैंड की तो ये एक तरीके से इंटरनेट चलाने का ही तरीका होता है. इस खास तरीके में इंटरनेट चलाने के लिए सीधे सैटेलाइट से डेटा मिलता है, जो धरती पर लगे छोटे सैटेलाइट डिश को मिलता है और उससे इंटरनेट चलाने में मदद मिलती है. ये 300 MB प्रति सेकंड (300mbps) तक की इंटरनेट स्पीड मुहैया करवा सकता है. सैटलाइट इंटरनेट या जियो स्टेशनरी (GEO) या लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटलाइटों का उपयोग करता है. जियो मतलब अंतरिक्ष में स्थापित उपग्रह जबकि लियो का मतलब पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित उपग्रह से है. बहरहाल, सैटलाइट नेटवर्क ऑपरेशन के केंद्र में खास इलाके में स्थापित अर्थ स्टेशन गेटवे होता है. यही गेटवे सैटलाइन नेटवर्क को नेट से जोड़ता है. यहां से डेटा लेने के लिए ग्राहक को यूजर एक्सेस टर्मिनल (UT) डिवाइस और सैटलाइट नेटवर्क से जुड़ने के लिए एक एंटिना की जरूरत पड़ती है.

भारत में अभी भारती एयरटेल वनवेब (OneWeb), एलन मस्क की स्टारलिंक  (Starlink), कनाडा की कंपनी टेलिसेट (Telesat) और ऐमजॉन की प्रॉजेक्ट कुइपर (Projecti Kuiper) जैसी कंपनियां सैटलाइट नेटवर्क देने की योजना पर काम कर रही हैं. Elon Musk की कंपनी Starlink ने तो भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस के लिए प्री-ऑर्डर लेना भी स्टार्ट कर दिए थे. लेकिन दूरसंचार विभाग ने उस पर रोक लगा दी. जिसके बाद कंपनी ने फिलहाल के लिए भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सर्विस लॉन्च करने की प्लानिंग रद्द कर दी है. रिलायंस इंडस्ट्रीज और लग्जमबर्ग की कंपनी SES की ज्वाइंट वेंचर Jio Satellite Communications Ltd ने भी सैटेलाइट ब्रॉडबैंड के लाइसेंस के लिए अप्लाई किया है.

सियाचिन ग्लेशियर

दरअसल, 1984 में 'ऑपरेशन मेघदूत' के बाद भारत के रणनीतिक नियंत्रण में आया सियाचिन ग्लेशियर 20,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. ग्लेशियर हिमालय के पूर्वी काराकोरम रेंज में और नुब्रा घाटी के उत्तर में स्थित है. इसे दुनिया का सबसे ऊंचा सैन्यीकृत क्षेत्र कहा जाता है. इस क्षेत्र में तैनात सैनिकों को कठोर मौसम, हिमस्खलन से लेकर भूस्खलन का सामना करना पड़ता है. इस ऊंचाई वाले क्षेत्र में सर्दियों के दौरान, तापमान -60 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है. 

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