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AIIMS का सिस्टम जाम करने वाले साइबर अपराधियों को क्रिप्टो करेंसी से प्रेम क्यों?

AIIMS से कहा फिरौती दो तभी सिस्टम चलेगा.

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why cyber hackers want ransom in cryptocurrency only AIIMS data hack
हैकर्स का नया पैसा (image-pexels)
29 नवंबर 2022 (Updated: 29 नवंबर 2022, 18:06 IST)
Updated: 29 नवंबर 2022 18:06 IST
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पिछले कुछ दिनों से दिल्ली का AIIMS अस्पताल सर्वर हैक हो जाने की वजह से परेशान है. लगातार छठे दिन भी मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. एम्स में इमरजेंसी वार्ड, आउट पेशेंट, इन पेशंट, लैब यूनिट को रजिस्टरों पर मैनुअली देखा जा रहा है. खबर ये भी है कि हैकर्स ने एम्स-दिल्ली से 200 करोड़ रुपये क्रिप्टो करंसी में मांगे हैं. हालांकि पुलिस ने इससे इनकार किया है. हमारा ध्यान इसी कथित हैकिंग की मांग पर गया. आखिर दुनिया भर के साइबर अपराधी आजकल क्रिप्टो करंसी में ही फिरौती क्यों वसूलते हैं. हमने इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश की.

बात चाहे अमेरिका में पिछले साल हुई पाइप लाइन हैकिंग हो या फिर हाल ही में ऑस्ट्रेलिया की सबसे बड़ी हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी मेडीबैंक के अकाउंट में सेंधमारी की. सब जगह से बस एक डिमांड – पेमेंट क्रिप्टो करंसी में ही चाहिए. दरअसल क्रिप्टो करेंसी भी एक मुद्रा ही है लेकिन इसे आप छू नहीं सकते, न अपनी जेब में रख सकते हैं. ये मुद्रा पूरी तरह कंप्यूटर एल्गोरिदम पर आधारित है. अरबों का लेनदेन सिर्फ स्मार्टफोन या लैपटॉप पर होता है. इसे इनक्रिप्शन तकनीक की सहायता से बनाते हैं. इसे इस तरह समझा जा सकता है कि ये एक अभेद्य चक्रव्यूह की तरह होता है जिसके कुछ घेरों को तोड़ भी दें तो भी तह तक नहीं पहुंचा जा सकता. 

हैकर्स का क्या प्रेम है

अपनी शुरुआत से क्रिप्टो करंसी साइबर अपराधियों की पहली पसंद बनी हुई है. इसका सबसे बड़ा कारण इसका बेनाम होना है. कोई पहचान नहीं है कि वास्तव में इसका इस्तेमाल कौन कर रहा है. डिसेंट्रलाइज्ड करेंसी होने की वजह से कोई बैंक जैसा सिस्टम होता ही नहीं है. होता है बस एक वर्चुअल वॉलेट्स और एक नंबर. क्रिप्टोकरंसी चाहे बिटकॉइन हो या फिर कोई और, सारे लेनदेन बस इसी से होते हैं वो भी डार्क वेब पर. डार्क वेब मतलब इंटरनेट पर वो जगह जहां सारे काम VPN से लेकर दूसरे ऐसे तरीकों से होते हैं जिनको ट्रेक करना लगभग नामुमकिन है.  

कोई बाप-भाई नहीं

माई-बाप थोड़ा ओल्ड स्कूल है तो बाप-भाई से काम चला लीजिए. इस करेंसी पर किसी देश, राज्य या किसी ऐजेंसी का नियंत्रण नहीं होता है, यानी यह एक फ्री-फ़्लो वाली मुद्रा है. एक ऐसी मुद्रा है जिसे किसी भी देश की सरकार लागू नहीं करती है. सब कुछ डिजिटल है बोले तो आभासी दुनिया का मायाजाल. आजतक दुनिया के किसी भी केंद्रीय बैंक की ओर से इसको मान्यता नहीं मिली ना कोई केंद्रीय बैंक इनका रेगुलेशन करता है. फिर भी क्रिप्टो करेंसी का धंधा भरोसे के आधार पर किया जाता है. चूँकि क्रिप्टो करेंसी के सोर्स तक पहुंचना मुश्किल है इसलिए हैकर्स और साइबर अपराध की दुनिया के लोग फिरौती क्रिप्टो करेंसी में ही मांगते हैं. 

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