इस धरती से डायनासोर कैसे खत्म हो गए?
डायनासोर वाली पहेली का सबसे अहम सबूत कैसे मिला?
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डायनासोर एक धमाके में खत्म नहीं हुए थे. धीरे-धीरे वो सब नष्ट हुए. (गैटी)
डायनासोर्स ने पृथ्वी पर करीब 16.5 करोड़ साल राज किया. इनके सबसे पुराने अवशेष लगभग 23 करोड़ साल पहले के हैं. 23 करोड़ साल पूर्व डायनासोर पृथ्वी पर विकसित हुए. लेकिन 6.5 करोड़ साल पहले ये पृथ्वी के नक्शे से पूरी तरह गायब हो गए.

डायनासोर के फॉसिल से उसे दोबारा खड़ा करने की एक कोशिश. (विकिमीडिया)
सिर्फ डायनासोर ही नहीं उस समय पृथ्वी पर रहने वाले लगभग 75% जीव अचानक विलुप्त हो गए. आखिर क्या हुआ था 6.5 करोड़ साल पहले? ये वैज्ञानिकों के लिए लंबे अरसे तक एक पहेली बनी रही. फिर अंतरिक्ष से आने वाली चट्टानों को कटघरे में खड़ा किया और एक ऐस्टेरॉइड को दोषी करार दिया गया. लेकिन वैज्ञानिक इस नतीजे पर कैसे पहुंचे?
चिट्ठी न कोई संदेस
सबसे पहला सवाल, हमें कैसे पता डायनासोर कब से कब तक पृथ्वी पर रहे? जवाब है फॉसिल. मर चुके जानवरों के अवशेष. जानवरों की मौत के बाद बचे फॉसिल्स से उनकी उम्र का अंदाज़ा लगाया जा सकता है. इन फॉसिल्स का अध्ययन करने वाले वैज्ञानिकों को पेलिएंटोलॉजिस्ट कहते हैं. पेलिएंटोलॉजिस्ट्स के लिए डायनासोर का गायब हो जाना लंबे अरसे तक सबसे बड़ा सवाल बना रहा. अब भी इस पर बहस जारी है.
पेलिएंटोलॉजिस्ट और फॉसिल. (विकिमीडिया)
पृथ्वी करीब 450 करोड़ साल पुरानी है. इसलिए इस लंबी समय अवधि को कई पीरियड में बांटा गया है. पीरियड को हिंदी में कल्प कहते हैं. हमारे स्कूल का पीरियड आधे-पौन घंटे का होता है. लेकिन पृथ्वी के पीरियड करोड़ो साल के होते हैं.
आपने जुरासिक पार्क नाम की फिल्म देखी होगी. ये जुरासिक एक पीरियड का नाम है. जुरासिक पीरियड में डायनासोर खूब चौड़े में रहते थे. लेकिन ये डायनासोर का इकलौता पीरियड नहीं था. पृथ्वी पर डायनासोर्स ने तीन पीरियड्स तक फुल मौज की. इनके नाम जान लीजिए.
- ट्राइऐसिक पीरियड (25 - 20 करोड़ साल पहले)
- जुरासिक पीरियड (20 - 14.5 करोड़ साल पहले)
- क्रीटेशस पीरियड (14.5 - 6.6 करोड़ साल पहले)

पानी, ज़मीन औऱ आसमान तीनों से कई प्रजातियां गायब हो गईं. (विकिमीडिया)
ये K-Pg एक्सटिंक्शन ईवेंट क्या थी? ऐसा क्या हुआ था कि पृथ्वी से बड़े-बड़े जानवर गायब कर दिए? इसे समझाने के लिए पहले कई थ्योरी मैदान में थीं.
क्या पता कोई भंयकर वाली महामारी फैली हो? कोई वायरस आया हो? अंडे खाने स्तनधारी जीव आ गए हों. कोई सुपरनोवा के धमाके से निकली एक्स-रे सबको मार गई हो. या शायद पृथ्वी का क्लाइमेट अचानक बदल गया. ऐसी तरह-तरह की थ्योरी पेश की गईं. फिर आई इन सब थ्योरियों की मम्मी. इसके बाद बहुतों का जबड़ा शांत हो गया.
न्यूक्लियर बम से भयंकर धमाका
1980 के दशक में इस घटना को समझाने वाली सबसे मुकम्मल थ्योरी सामने आई. इस थ्योरी के मुताबिक K-Pg ईवेंट में जीवों के विलुप्त होने का कारण अंतरिक्ष से आई एक चट्टान थी. आगे चलकर ये थ्योरी अल्वारेज़ हाइपोथिसिस के नाम से मशहूर हुई. इस थ्योरी को अल्वारेज़ बाप-बेटे की जोड़ी सामने लेकर आई थी. लुई अल्वारेज़ और वॉल्टर अल्वारेज़.लुई अल्वारेज़ को 1968 में फिज़िक्स का नोबेल प्राइज़ मिला था. इनके बेटे वॉल्टर अल्वारेज़ एक जियोलॉजिस्ट थे. जियोलॉजिस्ट यानी पृथ्वी की पढ़ाई करने वाले. ये दोनों बाप-बेटे 70 के दशक में इटली की चट्टानें खंगाल रहे थे. तभी इन्हें K-Pg बाउंड्री में इरिडियम की भारी मात्रा मिली. यही इस पज़ल का सबसे बड़ा टुकड़ा था.

अल्वारेज़ पिता और पुत्र. (विकिमीडिया)
K-Pg बाऊंड्री वो दहलीज़ है जो क्रीटेशस पीरियड और पेलियोजीन पीरियड की चट्टानों को बांटती है. इस लेयर के एक तरफ डायनासोर के फॉसिल मिलते हैं. और दूसरी तरफ डायनासोर समेत उन 75% प्रतिशत जीवों के निशान गायब हैं. इस बाऊंड्री पर इरिडियम मिलने का क्या मतलब हो सकता है?
इरिडियम एक अनोखी धातु है. ये पृथ्वी की बाहरी सतह पर बहुत कम मात्रा में मिलती है. लेकिन अंतरिक्ष से आने वाली चट्टानों में खूब सारा इरिडियम होता है. K-Pg बाउंड्री में इरिडियम मिलना इस बात का सबूत था कि उस वक्त कोई बाहरी चट्टान आकर पृथ्वी से टकराई होगी.

K-Pg बाउंड्री पर इरिडियम की लेयर. (विकिमीडिया)
अल्वारेज़ ने 1981 में अपनी ये थ्योरी प्रकाशित की. तब इनका मज़ाक उड़ाया गया. लेकिन धीरे-धीरे वैज्ञानिकों को हर जगह K-Pg बाउंड्री पर इरिडियम की लेयर मिलने लगी. यहां से इनकी अल्वारेज़ हाइपोथिसिस को बल मिला. लेकिन पहेली का एक बड़ा टुकड़ा अब भी छुपा हुआ था. एक बड़ा सा इम्पैक्ट क्रेटर.
जब भी अंतरिक्ष से कोई चट्टान पृथ्वी पर गिरती है, तो वो गड्डा बना देती है. इसे क्रेटर कहते हैं. अगर डायनासौर की मौत किसी बाहरी चट्टान से हुई तो इसका क्रेटर कहां था? 1991 में मैक्सिको की खाड़ी में ये क्रेटर मिल गया. इस क्रेटर का नाम है चिकशुलूब क्रेटर.
मैक्सिको के युकेटेन पेनिनसुला के तटीय इलाके में इस क्रेटर के निशान मिले. चिकशुलूब क्रेटर लगभग 200 किलोमीटर चौड़ा था. वैज्ञानिकों के मुताबिक ये क्रेटर करीब 10 किलोमीटर चौड़े ऐस्टेरॉइड से बना होगा. ये चट्टान लगभग 65000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पृथ्वी से टकराई होगी.

चिकशुलूब क्रेटर आधा ज़मीन में है, आधा समुद्र में. (विकिमीडिया)
इस टक्कर से एक बहुत भयंकर धमाका हुआ. धमाके से निकलने वाली ऊर्जा सबसे ताकतवर न्यूक्लियर बम से लाखों गुना ज़यादा रही होगी. इसके बाद जो हुआ वो कयामत थी.
इससे निकली शॉकवेव ने आसपास सबकुछ खत्म कर दिया होगा. दुनियाभर के जंगलों में आग लग गई. बड़ी-बड़ी सुनामी पृथ्वी के भूभाग को डुबोने निकल गईं. इस धमाके से निकला मलबा और गैस आसमान को ढकने लगा. इसके बाद पृथ्वी कई महीनों या शायद सालों के लिए अंधेरे में चली गई.
ठंडी पड़ी पृथ्वी से शुरुआत में कई पेड़-पौधे खत्म हुए. उसके बाद इन पेड़ पौधों पर निर्भर रहने वाले जीव-जंतु खत्म हुए. फिर इन शाकाहारी जीवों को खाने वाले मांसाहारी जानवरों के पास भी कुछ न बचा. ऐसे करके पूरी फूड चेन गड़बड़ा गई. और एक के बाद एक जीवों की प्रजातियां गायब होने लगीं.

डायनासोर औऱ मानव की आकार में तुलना. (विकिमीडिया)
सिर्फ थोड़े में अपना गुज़ारा अपना गुज़ारा करने वाले जीव ही बच पाए. और इस तरह एक ऐस्टेरॉइड धमाके ने पृथ्वी से 75% जीव खत्म कर दिए. ये सबसे ज़्यादा मानी जाने वाली थ्योरी है. एक दूसरी थ्योरी कई सालों तक इसे टक्कर देती रही है. ज्वालामुखी वाली थ्योरी.
भारत का ज्वालामुखीय इलाका
कई वैज्ञानिक ज्वालामुखी से निकले लावा को इस महाविनाश का कारण बताते हैं. 6.5 करोड़ साल पहले जब क्रीटेशस पीरियड खत्म होने को था, तब एक जगह भयंकर ज्वालामुखीय गतिविधी हो रही थी. कहीं और नहीं अपने इंडिया में ही. भारी मात्रा में लावा बहे जा रहा था. इससे यहां जो ज़मीन तैयार हुई उसे डेक्कन ट्रैप्स कहते हैं. ये ज़मीन लगभग पांच लाख स्क्वेयर किलोमीटर का एरिया कवर करती है.
डेक्कन ट्रेप्स की ये मिट्टी कपास की खेती के लिए बहुत सही है. (विकिमीडिया)
इतना ज़्यादा लावा बहने का मतलब है तब आसमान कार्बनडाईऑक्साइड समेत कई गैसों से भरा रहा होगा. वैज्ञानिकों को ऐसा लगता है कि इस ज्वालामुखीय घटना नेे पृथ्वी का क्लाइमेट बुरी तरह बदल दिया होगा. और इसी से धीरे-धीरे वो सारी प्रजातियां खत्म हुई होंगी.
कई वैज्ञानिक इन दोनों थ्योरीज़ का मिक्सचर पेश करते हैं. उन्हें ऐसा लगता है कि इस ज्वालामुखीय गतिविधी से जानवर धीरे-धीरे मर रहे होंगे. फिर एक ऐस्टेरॉइड आया. और उनका पूरा तरह खात्मा कर दिया. यानी Kp-G एक्सटिंक्शन ईवेंट दोहरे अटैक का नतीजा थी.
अब जाते-जाते आपको एक बात बताते हैं. सारे डायनासोर खत्म नहीं हुए हैं. घबराइये नहीं. आपको आसपास जो पक्षी नज़र आते हैं, वो डायनासोर्स के वंशज ही हैं. वो तो पॉपुलर बातचीत में इन लोगों को डायनासोर कंसिडर नहीं किया जाता.