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शार्क टैंक में पहले बोले कि बिज़नेस बेकार है, फिर इन्वेस्ट करने के लिए जज क्यों पगला गए?

गुजरात के बाप-बेटे की जोड़ी ने मोटा पैसा उठाया.

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shark tank india season 2 ‘Dobiee’, a confectionary brand got huge investments
डोबी को मिली मोटी फंडिंग (इमेज-डोबी फेसबुक)
3 नवंबर 2022 (Updated: 23 जनवरी 2023, 18:09 IST)
Updated: 23 जनवरी 2023 18:09 IST
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शार्क टैंक (Shark Tank India Season 2) में ऐसा शायद ही कभी देखने को मिलेगा कि पहले तो जज आइडिया और प्रोडक्ट दोनों को नकार दें और फिर फंडिंग देने के लिए पागल हो जाएं. लेकिन ऐसा हुआ इस सीजन के 15 वें एपिसोड में. बच्चों के लिए कैंडी बनाने वाली कंपनी को पहले तो शार्क अनुपम मित्तल ने नीचे जाती इंडस्ट्री बता दिया लेकिन फिर चेक लेकर खड़े नजर आए. चलिए समझते हैं आखिर हुआ क्या?

शार्क टैंक इंडिया सीजन 2 में आई बाप और बेटे की जोड़ी. गुजरात के मुकेश और उनके बेटे अर्जुन, डोबी (Dobiee) के नाम से बच्चों के लिए कई प्रकार की कैंडी बनाते हैं. शो में गुजराती में डोबी के मतलब पर मुकेश और जज नमिता थापर में बड़ी मीठी सी नोकझोंक भी हुई. दरअसल गुजराती में डोबी का मतलब बेवकूफ या ईडियट होता है, लेकिन प्यार से. मुकेश तो ये बताने से भी नहीं चुके कि वो सालों से अपनी पत्नी को ऐसे ही बुलाते हैं. खैर इस मीठी और सिर्फ मीठी तकरार के बाद बात बिजनेस की. 2021 में स्टार्ट करने के बाद अभी तक उन्होंने 4 करोड़ से ज्यादा का माल बेचा है.    

अब बात आकार वहीं अटकी, मतलब फंडिंग का क्या? जैसे हमने शुरुवात में बताया कि अनुपम को आइडिया कुछ जमा नहीं और लगा वो बाहर हैं. कार देखो (CarDekho) के फाउंडर अमित ने पहला ऑफर दिया और तभी पलटी मारते हुए अनुपम ने सीधे 72 लाख का ऑफर दे डाला. अब गेंद थी मुकेश भाई और अर्जुन के पाले में. यहां दिखा मुकेश भाई का असली गुजराती दिमाग. बोले तो उन्होंने अर्जुन को कहा, मुझे पता है अपने प्रोडक्टस की असल वैल्यू. उन्होंने काउंटर ऑफर दिया और बिना किसी कर्जे के सीधे 6.5 प्रतिशत की हिस्सेदारी 72 लाख में अमित से पक्की कर ली. 

अब आपको लगेगा हमने इतने शॉर्ट एण्ड स्वीट अंदाज में क्यों बता दी सारी कहानी तो भैया कैंडी के मार्केट को हम कई महीने पहले ही समझा चुके. आप खुद पढ़ लीजिए और साथ में कैंडी भी लीजिए.   

UPI ने टॉफी बिजनेस खत्म कर दिया?

छुट्टे पैसे नहीं है भैया, टॉफी दे दो… बहन जी! खुल्ले पैसे नहीं है, बचे पैसे की टॉफी दे रहा… याद कीजिए, पिछली बार कब आपने ये बातें सुनी थीं. शायद याद करना मुश्किल हो क्योंकि UPI आने के बाद खुल्ले पैसे वाली दिक्कत शायद खत्म हो गई है. छुट्टे पैसे की दिक्कत तो खत्म हो गई, तो क्या इसके साथ टॉफी का बिजनेस भी बंद हो गया? कहीं कंपनियां तो बंद नहीं हो गईं? फ़ुरसतों के बाजार में माहौल गरम है. हमने सोचा इसको ठंडा करते हैं.

अगर आपको लग रहा है कि हम किसी गली मुहल्ले की बहस में पड़े हुए हैं या फिर टॉफी के बिजनेस का ज्ञान आपसे साझा करने वाले हैं, तो ऐसा बिल्कुल नहीं है. बाकायदा गुणीजनों के बीच इस पर बहस हो रही है. अब ये सब स्टार्ट कैसे हुआ, वो समझते हैं.

ग्रोथ एक्स (GrowthX) के फाउंडर हैं अभिषेक पाटिल. उन्होंने अपनी LinkedIn पोस्ट में लिखा, 

मशहूर ब्रांड जैसे Mondelez, Mars, Nestle, Perfetti Van Melle, Parle & ITC की सेल में साल 2020 से खूब गिरावट आई है. उन्होंने लिखा, जब से UPI का इस्तेमाल बढ़ा है तभी से इन कंपनियों की टॉफी की सेल में गिरावट दर्ज की गई है.

कोरोना महामारी ने इसमें आग में घी डालने जैसा काम किया. मतलब लोग, अब एक रुपये का पेमेंट भी UPI से करते हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पाटिल Cred और Dunzo जैसे ऐप में ग्रोथ लीडर भी हैं, तो उनकी कही बात से हलचल तो होना ही थी.

इस पोस्ट के बाद कई तरह के कयास लगे. जैसे क्या टॉफी का मार्केट खत्म हो गया? दुकानदार अब कोई बहाना नहीं कर पाते हैं. UPI ने कैंडी को क्रश कर दिया है! शायद आप भी ऐसा ही सोच रहे होंगे. लेकिन जनाब कहते है ना कि पिक्चर अभी बाकी है. इन सारी बातों के बीच एंट्री हुई दीपक शिनोय (Deepak Shenoy) की. दीपक कैपिटल माइंड (Capitalmind) के CEO हैं. उन्होंने एक और कैंडी कंपनी Lotte की सालाना रिपोर्ट ट्वीट करते हुए लिखा,

मैं ऐसा नहीं सोचता कि UPI टॉफी के बिजनेस को खत्म कर रहा है. ये एक मनगढ़ंत बात है. एक बार Lotte इंडिया की सालाना रिपोर्ट देखिए. वित वर्ष 2021 में सेल कम थी क्योंकि स्कूल बंद थे, लेकिन 2022 में बम्पर सेल हुई है.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि Lotte, Eclairs जैसी मशहूर टॉफी बनाती है. खैर, टॉफी की सेल पर दो मत हो सकते हैं. लेकिन एक बात पर आप हमसे जरूर सहमत होंगे. स्टोरी लिखते समय मैंने अपने साथी प्रदीप से इसके बारे में पूछा, तो उन्होंने एक जरूरी बात बताई. उन्होंने कहा UPI आने से तो और अच्छा हो गया. पहले आपको टॉफी लेना है, लेकिन सोचना पड़ता था ले या नहीं. अगर 10 की जगह 12 रुपये देनें पड़ें तो छुट्टे वाली गरारी फसेगी. लेकिन अब ऐसा नहीं है पैसे चाहे 12 हों या 18. बेझिजक कोड स्कैन किए जाओ और टॉफी खाए जाओ. क्या हुआ पानी पिलाए जाओ और गाना गाए जाओ याद आ गया. कोई बात नहीं, एक टॉफी हमारी तरफ से. 

वीडियो: कैसे पता चलेगा कि आपके नाम पर कितने नंबर रजिस्टर्ड हैं?

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