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सेल में ई-कॉमर्स कंपनियों के 3 वादे, ये बस देखने में अच्छे लगते हैं, कभी पूरे नहीं होते

हर साल सेल से पहले ये वादे रिपीट मोड में यूजर्स के साथ किए जाते हैं. इन वादों का ढिंढोरा पीटा जाता है. होम पेज पर बड़े-बड़े अक्षरों में इनका इश्तिहार दिया जाता है. लेकिन हकीकत से इनका कोई वास्ता नहीं.

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Tips During Sale You Should Remember Flipkart BBD and Amazon GIF sale
सेल के वादों से बचें
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सूर्यकांत मिश्रा
18 सितंबर 2025 (Updated: 18 सितंबर 2025, 01:44 PM IST)
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ई-कॉमर्स कंपनियों की साल की सबसे बड़ी सेल स्टार्ट होने में महज कुछ दिन बचे हैं. Flipkart BBD और Amazon GIF सेल 23-24-25 सितंबर को आपके सामने होगी. ऑफर्स से लेकर डिस्काउंट की कोई कमी नहीं होगी. मगर कमी होगी उन वादों में जो ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा ग्राहकों से किए जाते हैं. हर साल सेल से पहले ये वादे रिपीट मोड में यूजर्स के साथ किए जाते हैं. इन वादों का ढिंढोरा पीटा जाता है. होम पेज पर बड़े-बड़े अक्षरों में इनका इश्तिहार दिया जाता है. लेकिन हकीकत से इनका कोई वास्ता नहीं. आज इन वादों को तोड़ देते हैं.

एक्सचेंज में कुछ ‘चेंज’ नहीं होता

ई-कामर्स कंपनियों के वादों की लिस्ट में पहला नाम एक्सचेंज का है. वैसे तो एक्सचेंज तकरीबन हर इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट पर होता है, मसलन टीवी से लेकर फ्रिज और वाशिंग मशीन तक. लेकिन असल फोकस स्मार्टफोन एक्सचेंज पर होता है. ई-कामर्स पोर्टल पुराने फोन को बढ़िया दाम पर एक्सचेंज करने की बात करते हैं. नया डिवाइस लेते समय पुराने का बढ़िया दाम भी स्क्रीन पर दिखाया जाता है. लेकिन असल खेल डिवाइस की डिलेवरी के टाइम होता है.

एक्सचेंज के समय आपके पुराने डिवाइस में तमाम खामियां निकाली जाती हैं. जो कीमत आपको बताई गई थी उससे बहुत कम कीमत असल में दी जाती है. एक्सचेंज करने आया व्यक्ति आपसे पैसे की मांग करता है ताकि वो डिवाइस की फर्जी कमी को सिस्टम से हटा सके. ऐसा नहीं करने पर एक्सचेंज हटाने की बात कही जाती है. आप फंस चुके होते हैं क्योंकि आपने तो ऑफर और एक्सचेंज मिलाकर डिवाइस लिया है. ऑर्डर कैंसिल करो या एक्स्ट्रा पैसे दो.

इसलिए एक्सचेंज के फेरे में मत पड़िए. ऑफर में स्मार्टफोन खरीद लीजिए और फिर किसी पुराने फोन खरीदने वाले ऐप पर सेल कर दीजिए.

रेटिंग की टिंग-टिंग

ई-कामर्स पोर्टल से लेकर दूसरी वेबसाइट पर प्रोडक्ट की रेटिंग्स अधिकतर यूजर्स के लिए बहुत मायने रखती है. अगर प्रोडक्ट को 5 स्टार मिले हैं तो भरोसा हो जाता है कि प्रोडक्ट अच्छा ही होगा. लेकिन हकीकत इससे अलग है. रेटिंग्स का गेम खत्म हो चुका है. प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनियां कई तरीकों से रेटिंग बढ़ाने का जुगाड़ करती हैं.

ये भी पढ़ें: Flipkart BBD हो या Amazon GIF सेल, ये वाले स्मार्टफोन महाडिस्काउंट पर भी मत लेना!

एक उदाहरण से समझते हैं. अक्सर कई बार प्रोडक्ट के साथ एक कूपन होता है. 500 रुपये के प्रोडक्ट पर 100 रुपये का कूपन दिया जाता है, मगर एक शर्त के साथ. आपको प्रोडक्ट की 5 स्टार रेटिंग देना होती है और उसका स्क्रीन शॉट कंपनी से शेयर करना होता है. क्योंकि 500 के प्रोडक्ट पर 100 रुपये मिलने वाले होते हैं तो हम रेटिंग दे देते हैं भले प्रोडक्ट एक स्टार के लायक भी नहीं हो.

No Cost EMI की छिपी कॉस्ट 

ये भी भ्रम ही है. आम समझ की बात है कि कुछ भी फ्री नहीं होता तो यहां तो बात एक प्रोडक्ट को ईएमआई पर खरदीने की है. हालांकि No Cost EMI वाले प्लान में ब्याज भले नहीं लगता, लेकिन छोटे चार्ज तो लगते ही हैं. जैसे फ़ाइल चार्ज से लेकर प्रोसेसिंग फीस तक. ये 100 रुपये से 1000 रुपये के बीच हो सकता है. प्रोडक्ट के कुल अमाउन्ट को क्रेडिट कार्ड कंपनी दो हिस्से में बांट देती हैं. जैसे 120 रुपये का प्रोडक्ट है तो 100 रुपये पर कोई चार्ज नहीं, मगर 20 रुपये पर 18 फीसदी जीएसटी लिया जाता है. माने 20 रुपये पर 3 रुपये 60 पैसे तो आपको देने होंगे. 2000 पर 360 रुपये तो लगेंगे ही.

इसलिए इस किस्म के लालच से भी दूर रहें. आखिरी बात. ऑफर्स के चक्कर में अपना बजट नहीं बढ़ाना है. आपके बजट में मिल रहा तो ठीक, वरना रहने दो.  

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