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Shark Tank: कागज के छोटे से टुकड़े ने दिलाई लाखों की फंडिंग, ये कहानी जान लीजिए!

Shark Tank India Season 3 के 11वें एपिसोड में आए मयंक और भुवन. इनकी कंपनी का नाम है 'Gud Gum' जो प्लास्टिक फ्री और नेचुरल च्यूइंग गम बनाती है. Gud Gum बेंगलुरू बेस्ड कंपनी है. अब वाकई में ऐसा ही है और शार्क ने ये च्यूइंग गम चबाई मतलब फंडिंग दी या नहीं, हम बताते हैं.

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Shark Tank India Season 3: Chewing Gum brand Gud Gum gets 80 lakh investment from four sharks
शार्क टैंक सीजन 3 (तस्वीर: सोनी)
6 फ़रवरी 2024
Updated: 6 फ़रवरी 2024 13:04 IST
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‘चिगगम’ या कहें Chewing Gum चबाने में जितना मजा आता है, उतनी ही कोफ्त उसको फेंकने में होती है. कहने का मतलब, अगर आप चबाई हुई च्यूइंग गम को फुल फोर्स से थूककर बाहर नहीं फेंकना चाहते तो वाकई में बड़ी दिक्कत होती है. च्यूइंग गम डस्ट बिन में डालना है तो एक पेपर के टुकड़े या टिशू पेपर की जरूरत पड़ती है. और मुआ वो पेपर उस समय तो मिलता नहीं. लेकिन अगर इस दिक्कत का माकूल इलाज मिल जाये तो च्यूइंग गम का मजा दोगुना हो जाएगा. एकदम ऐसा ही हुआ Shark Tank India Season 3 में. 

दरअसल, सीजन के 11वें एपिसोड में आए मयंक और भुवन. इनकी कंपनी का नाम है Gud Gum, जो प्लास्टिक फ्री और नेचुरल च्यूइंग गम बनाती है. Gud Gum बेंगलुरु बेस्ड कंपनी है. अब वाकई में ऐसा ही है और शार्क ने ये च्यूइंग गम चबाई, मतलब फंडिंग दी या नहीं, हम बताते हैं.

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PVA मुक्त और Chicle Tree से बनी है

Gud Gum एक PVA फ्री प्रोडक्ट है. PVA मतलब polyvinyl acetate जो टायर से लेकर ग्लू बनाने में इस्तेमाल होता है. इसी PVA का एक बहुत ही छोटा सा हिस्सा च्यूइंग गम बनाने में इस्तेमाल होता है. हिस्सा भले बेहद छोटा सा हो लेकिन इसको अपने आप गलने में 100 साल लग जाते हैं. Gud Gum में इसकी जगह इस्तेमाल होता है Chicle Tree. इसकी वजह से जब चबाई हुई च्यूइंग गम को फेका जाता है तो वो चिपकता नहीं और आसानी से मिट्टी में मिलकर डिस्पोज हो जाता है. Gud Gum बनाने में नेचुरल ऑइल का इस्तेमाल होता है और इसमें शक्कर की जगह नेचुरल स्वीटनर मिलाते हैं. मतलब इसको बच्चों से लेकर डायबिटीज के मरीज भी चबा सकते हैं. अभी तक सब अच्छा लग रहा लेकिन शार्क को ये नहीं बल्कि कुछ और ही पसंद आया. इसलिए अभी के लिए एक अल्पविराम और पहले बताते हैं कि मयंक और भुवन कितनी फंडिंग लेने आए थे.

50 लाख की डिमांड

Gud Gum को बड़ा ब्रांड बनाने के लिए दोनों भाइयों ने अपनी कंपनी की 5 फीसदी हिस्सेदारी के बदले 50 लाख रुपये का इनवेस्टमेंट मांगा. कंपनी की वैल्यूएशन हुई 10 करोड़. एक बात और. शार्क टैंक में आने से पहले ही दोनों भाई शार्क अनुपम से मिल चुके थे और तब अनुपम को प्रोडक्ट कुछ खास पसंद नहीं आया था. ऐसे में गरारी फंसना तय थी. मगर फिर Gud Gum के बॉक्स ने काम कर दिया.

पेपर के टुकड़े ने दिलाई फंडिंग

जैसा होता है एकदम वैसा ही हुआ. सभी शार्क ने प्रोडक्ट टेस्ट किया और उनको ठीक-ठाक भी लगा. मगर असल कमाल किया पेपर के एक छोटे से टुकड़े ने. पेपर के छोटे-छोटे ये टुकड़े Gud Gum के हर बॉक्स में होते हैं जो चबाई हुई गम को लपेट कर फेंकने के काम आते हैं. पेपर के टुकड़ों को देखकर शार्क अमन ने कहा,

सुपर कान्सेप्ट

इस टुकड़े ने सभी शार्क पर तगड़ा प्रभाव डाला. उम्मीद के मुताबिक, पहला ऑफर शार्क अमन ने दिया. फिर अनुपम, रितेश और विनीता भी उनके साथ हो लिए. थोड़ी देर Chewing Gum चबाई गई और फिर 80 लाख रुपये में 10 फीसदी हिस्सेदारी पर मामला सुलट गया. इसके साथ 4 फीसदी की रॉयल्टी भी शार्क को मिलेगी.

वैसे इस Chewing Gum को चबाने पर बबल बनेंगे या नहीं, वो आपकी चबाने की स्टाइल पर निर्भर करेगा.  

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