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UPI ऐप बेकार हो जाएंगे? इस शहर के दुकानदार केवल कैश मांग रहे, सरकार का नोटिस देख घबराए

बेंगलुरु समेत पूरे कर्नाटक में कई दुकानों पर UPI के QR कोड की जगह “No UPI, Only Cash” का लिखा दिख रहा है. क्योंकि ये दुकानदार नोटिस देखकर घबरा गए हैं. आखिर हुआ क्या है?

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Bengaluru witnesses a shift back to cash transactions as small vendors remove QR codes due to GST concerns and tax notices.
UPI जाने वाला है क्या?
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सूर्यकांत मिश्रा
17 जुलाई 2025 (Published: 02:42 PM IST) कॉमेंट्स
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नंदू भईया के यहां चाय पीनी हो या संजू भईया से सब्जी खरीदनी हो. आजकल पेमेंट करने के लिए ना तो छुट्टे पैसे की जरूरत होती है और ना जेब में बटुए की. बस जेब से मोबाइल निकालो, क्यूआर कोड स्कैन करो और पेमेंट कर दो. UPI ने काम वाकई आसान कर दिया है. अपने देश के साथ दुनिया के कई देशों में चलता है. मगर जल्द ही शायद ऐसा नहीं होगा. नंदू भईया चाय का पैसा नगद में मांग सकते हैं. संजू भईया भी सब्जी देने से मना कर सकते हैं जो आपके पास कैश नहीं है तो.

ना तो ये कोई कोरी गप है और ना हम किसी फ्यूचर की नई तकनीक की बात कर रहे. ऐसा वाकई में हो सकता है. हो क्या सकता है, हो रहा है. बेंगलुरु में कई दुकानों पर UPI के QR कोड की जगह “No UPI, Only Cash” लिखा दिख रहा है. वजह भी अजीब है.

इन दुकान वालों को नोटिस आ रहे

बेंगलुरु समेत पूरे कर्नाटक में अब दुकानदार UPI की जगह कैश की मांग कर रहे हैं. स्पेशली छोटे दुकानदार और फेरीवाले UPI से भुगतान नहीं ले रहे हैं. चाय नाश्ते से लेकर फुटपाथ पर सामान बेचने वाले भी डिजिटल पेमेंट लेने से मना कर रहे हैं. दरअसल ऐसे कई लोगों को GST विभाग के नोटिस मिले हैं. कुछ मामलों में टैक्स की मांगी गई रकम लाखों में है. जाहिर सी बात है कि छोटे दुकानदारों के लिए इसका भुगतान करना संभव ही नहीं है.

जितने के ढोल नहीं उतने के मजीरे फूट रहे

इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक शंकर नाम के एक दुकानदार ने इस बारे में बताया,

“मैं रोज लगभग 3000 रुपये कमाता हूं और उसमें मेरा मुनाफा बहुत कम होता है. अब अगर सरकार मुझसे इसमें GST ले लेगी तो मैं आखिर में खाऊंगा क्या?”

UPI से भुगतान नहीं ले रहे व्यापारियों का कहना है कि जो राशि उन्हें UPI से मिली थी, उनमें से कुछ उनके जानकारों की ओर से ट्रांसफर की गई थी. वहीं कुछ का कहना है कि उन्होंने किसी से उधार लिया था, जिसे टैक्स विभाग कमाई में गिन रहा है. अब उनको डर है कि UPI के जरिए मिली इस रकम पर टैक्स भरना होगा.

जीएसटी के मुताबिक अगर किसी की सालाना कमाई 40 लाख रुपये से ऊपर है, तो उसके लिए GST रजिस्ट्रेशन कराना और टैक्स भरना जरूरी होता है. वहीं सर्विस देने वालों को ऐसा 20 लाख रुपये की सालाना कमाई पर करना पड़ता है. इस पूरे मामले पर सरकार की तरफ से अभी कोई बयान नहीं आया है. 

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