20 साल के लड़कों ने 86 साल की महिला से लूटे 20.25 करोड़, डिजिटल अरेस्ट का ये केस डरा देगा
इस बार ठगी का शिकार मुंबई की एक 86 साल की बुजुर्ग महिला हैं. महिला को उनके आधार कार्ड से गैर कानूनी काम होने के नाम पर झांसे में लिया गया. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक ठगों ने उनसे कुल 20.25 करोड़ रुपये की रकम अलग-अलग बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करवा ली.

डिजिटल अरेस्ट को लेकर तमाम तरह के कैंपेन चलने के बाद भी इसके केसों में कमी नहीं हो रही है. मुंबई में अब तक की सबसे बड़ी डिजिटल लूटों में से एक को अंजाम दिया गया है. यहां एक महिला को डिजिटल अरेस्ट में फंसा कर 20 करोड़ रुपये (digital arrest woman lost 20 crore) ऐंठ लिए गए.
डिजिटल अरेस्ट कर महिला से 20 करोड़ की लूटसाइबर ठगी का ये सबसे नया तरीका पिछले दो सालों से बहुत ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है. डिजिटल अरेस्ट, माने पीड़ित को पुलिसिया कार्रवाई का डर दिखाकर घर या होटल में अकेले बंद करना और फिर अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करवाना. इस किस्म की ठगी का आतंक इतना ज्यादा है कि खुद पीएम मोदी ‘मन की बात’ कार्यक्रम में इसके बारे में बात कर चुके हैं.

इस बार ठगी का शिकार मुंबई की एक 86 साल की बुजुर्ग महिला हैं. महिला को उनके आधार कार्ड से गैर कानूनी काम होने के नाम पर झांसे में लिया गया. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक ठगों ने उनसे कुल 20.25 करोड़ रुपये की रकम अलग-अलग बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करवा ली.
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रिपोर्ट के मुताबिक साइबर अपराधियों ने करीब तीन महीने तक महिला को लूटा. उन्होंने 26 दिसंबर, 2024 से 3 मार्च, 2025 के बीच पूरी ठगी को अंजाम दिया. जालसाजों ने उनके पूरे परिवार को कानूनी पचड़े में फंसाने की धमकी दी. उनकी बातों में आकर जब 86 वर्षीय पीड़िता ने 20 करोड़ रुपये से ज्यादा गंवा दिए, तब जाकर उन्हें एहसास हुआ कि उनके साथ ठगी हो रही है.
आखिरकार महिला ने पुलिस से संपर्क किया. पुलिस ने उन बैंक खातों को पता लगाया जिनमें लूट की रकम ट्रांसफर की गई थी. जल्दी ही आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया गया.

पुलिस ने बताया कि उसने शायन जमील शेख और राजिक आजम बट नाम के दो युवकों को पकड़ा है. दोनों की उम्र महज 20 साल है. शायन जमील शेख मुंबई मलाड (W) का रहने वाला है और राजिक मीरा रोड (E) का. पुलिस का कहना है कि ये दोनों किसी अंतरराष्ट्रीय गिरोह का हिस्सा हो सकते हैं. जांच में पता चला है कि दोनों ने मिलकर 13 विदेशी लोगों का एक टेलीग्राम ग्रुप बनाया और फिर ठगी के लिए भारतीय बैंक खातों की डिटेल्स साझा कीं. अब ये दोनों इस गिरोह के प्यादे हैं या मास्टरमाइंड, ये जांच पूरी होने पर पता चलेगा.
सावधानी से ही सुरक्षा
इस मामले में आगे जो भी अपडेट होगा वो हम आपसे साझा करेंगे. हम ये लगातार बताते रहे हैं कि ऐसे मामलों से बचने का एकमात्र तरीका आपकी सावधानी है. कोई पुलिस डिजिटल अरेस्ट नहीं करती. ठग सिर्फ आपके डर का फायदा उठाकर लूट करते हैं.
ऐसा कोई भी फोन आपके पास आए और ठग कुछ भी कहें, मसलन फर्जी पार्सल मिला है या आधार पर सिम खरीदी है, तो सुनते ही फोन काट दीजिए. जो अगर नंबर +91 (इंडिया का कंट्री कोड) नहीं है तो फिर कॉल उठाने की भी जरूरत नहीं. दबा दो लाल बटन.
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