AI के नाम पर मोबाइल कंपनियां आपको '10 रुपये में जूस निकालने वाली मशीन' बेच रही हैं
सारे बजट फोन मतलब 5 हजार से 15 हजार वाले में आपको जो AI बताकर बेंच दिया जा रहा है वो दरअसल Computational Intelligence या CI है. नाम से आपको लगेगा कि ये क्या बला है तो ये बहुत ही आसान सी चीज है. Computational Intelligence मतलब कम्पुटर का दिमाग.

स्मार्टफोन मेकर्स के अपने शगल होते हैं. जैसे कुछ सालों पहले शतक और दोहरे शतक वाले कैमरे पर फोकस था. फिर फास्ट चार्जिंग पर अटक गए. आजकल 10000 mAh बैटरी पर ध्यान लगा हुआ है. इसके साथ AI की बीन भी खूब बजाई जा रही है. हालांकि ये भी एक सच है कि इसमें से कई फीचर कोई ज्यादा काम के नहीं होते. जैसे 100 मेगापिक्सल कैमरा या 250W चार्जिंग. स्मार्टफोन को इनकी जरूरत नहीं है. ये बस एक सेल्स का झुनझुना ही होते हैं. ऐसे ही मामला AI का भी है. क्या कहा? ऐसा थोड़े ना है. AI तो काम का है.
ठीक बात मगर असली वाला AI. क्या कहा? असली वाला AI. AI भी नकली होता है क्या? नकली नहीं जनाब बल्कि ये AI होता ही नहीं है. स्पेशली बजट वाले फोन में. वो CI होता है. ये फर्क जान लीजिए ताकि आप इस झुनझुने से बचे रहें.
बजट फोन में (CI) हैसीधे पॉइंट पर आयें तो सारे बजट फोन मतलब 5 हजार से 15 हजार वाले में आपको जो AI बताकर बेंच दिया जा रहा है वो दरअसल Computational Intelligence या CI है. नाम से आपको लगेगा कि ये क्या बला है तो ये बहुत ही आसान सी चीज है. Computational Intelligence मतलब कंप्यूटर का दिमाग. मतलब स्मार्टफोन का प्रोसेसर या चिपसेट.
इसको इस तरीके से ट्रेंड किया जाता है कि वो अपने सामने घट रही चीजों को समझ सके और उसमें बदलाव भी कर सके. उदाहरण के लिए आपके फोन के दिमाग में सूर्योदय के कई सीन पहले से फिट होते हैं. उसे पता होता है कि सुबह 6 बजे सूर्य की रोशनी कैसी होती है और दोपहर में 12 बजे कैसी. फिर आप जब सुबह में या रात में कोई फोटो क्लिक करते हैं तो स्मार्टफोन का दिमाग उसे अपने सिस्टम में पहले से फिट सीन से मैच करता है और फिर उस हिसाब से आपकी फाइनल फोटो बनकर गैलरी में सेव हो जाती है. माने सिस्टम खुद से रोशनी कम या ज्यादा कर देता है.

Computational Intelligence में कैमरे का उदाहरण इसलिए दिया क्योंकि कंपनियां सबसे ज्यादा इसी के नाम पर AI की बात करती हैं. हालांकि ये फोन के कई और फीचर्स में भी काम करता है जैसे ऑटो ब्राइटनेस या फिर डार्क मोड में. कहने का मतलब आपको जिसे AI बोलकर चिपका दिया जा रहा है वो पहले से फीड किया हुआ प्रोग्राम है. इसका रियल टाइम से कोई वास्ता नहीं. क्योंकि AI आजकल ट्रेंड में है तो बस नाम का इस्तेमाल है. इसका एक और उदाहरण आपको देते हैं.
एक कंपनी ने अपनी पिछले साल की वाशिंग मशीन को इस साल AI सपोर्ट के साथ पेश किया. एकदम पिछले साल की मशीन में नए टाइप के बटन लगाकर. जब हमने पूछा भईया क्या ये अलग-अलग टाइप के कपड़े को पहचान कर एक ही टाइम में धो सकती है क्या. जवाब था नहीं. यहां तक कि एक ही तरीके के कपड़े जैसे ऊनी और सूती में भी भेद नहीं कर सकती है. वो भी आपको ही बताना पड़ता है, मतलब बटन से सिलेक्ट करना होता है. तो फिर काहे का AI, वो तो CI हुआ. मतलब उसके प्रोग्राम में फिट है कि ये ऊनी है और यह सूती. जब आप सिलेक्ट कर देंगे तो फिर उस हिसाब से काम करेगी.
ऐसा ही मामला आजकल के AC का है. क्या वो आपकी स्किन और जरूरत के हिसाब से तापमान सेट कर सकते हैं क्या. नहीं, वो भी पहले से फीड किये हुए प्रोग्राम के बेस पर काम करते हैं. भले लिखा AI होता है. अब आपके मन में सवाल होगा कि फिर प्रीमियम और फ्लैगशिप में क्या होता है.
Generative AIऐसे स्मार्टफोन में Generative AI होता है मतलब उनके प्रोसेसर ChatGPT से लेकर Google Gemini और Samsung AI के हिसाब से डेवलप होते हैं. हां-हां आपका आईफोन भी. Apple Intelligence भी उसी पर बेस्ड है. ये रियल टाइम में जानकारी देने के साथ अपना दिमाग भी लगाते हैं. मसलन कि इनको पता होता है कि आप फोन को चार्ज कैसे करते हैं.
आप जब सुबह सोकर उठते हैं तो आपको फोन 100 फीसदी चार्ज मिलता है लेकिन असल में खेल दूसरा है. जैसे ही बैटरी 80 फीसदी चार्ज होती है तो सिस्टम चार्जिंग को एकदम स्लो कर देता है. उसे पता है कि आप 6 बजे उठते हो तो फिर काहे जल्दी करना. इसके बाद जैसे ही सुबह के 5 बजते हैं तो फिर स्पीड को तेज करता है और आपको 100 फीसदी चार्ज फोन मिलता है. इसे Adaptive charging कहते हैं.

ये है Generative AI. ऐसे फोन का कैमरा रियल टाइम में सेंस कर सकता है कि धूप कितनी तेज है. आपकी आदतों के हिसाब से खुद को ढाल सकता है. हालांकि ऐसा करने के लिए तगड़े प्रोसेसर के साथ रैम भी चाहिए होती है. तभी तो आईफोन के पुराने मॉडल Apple Intelligence को सपोर्ट नहीं करते क्योंकि उनमें 4 जीबी रैम होती है. जबकि काम 6 जीबी से नीचे नहीं चलता.
मतलब सोचने वाली बात है कि एक दमदार स्पेसिफिकेशन वाले फोन में जब AI नहीं चलता तो फिर बेसिक बजट वाले फोन में कैसे चलेगा. इसलिए सिर्फ AI के नाम पर ऐसे फोन मत लीजिए. इसका मतलब बजट फोन नहीं लेना है. नहीं-नहीं. एकदम लीजिए. कई बजट फोन एकदम पैसा वसूल होते हैं. अच्छी बैटरी के साथ बढ़िया गेमिंग का अनुभव देते हैं.

जैसे हाल में लॉन्च हुआ Infinix HOT 60 5G+. 10 हजार के अल्ले-पल्ले मिलने वाला ये डिवाइस 90FPS पर गेमिंग सपोर्ट करता है. IP64 रेटिंग वाला स्मार्टफोन 5 साल के बिना झंझट वाले परफ़ोर्मेंस के वादे के साथ आता है. आपके पहले स्मार्टफोन के लिए और गिफ्ट करने के लिए बढ़िया ऑप्शन हैं मगर AI के लिए नहीं.
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