कार खरीदनी है तो इससे बेहतर वक्त नहीं, ओवर स्टॉक की वजह से लाखों बचेंगे लाखों!
भारत में कार डीलर्स की 7 लाख कारें स्टॉक में (Auto inventory surge) पड़ी हैं. कीमत के हिसाब से देखें तो ₹73,000 करोड़ के अल्ले-पल्ले का माल. ऐसे में दो सवालों का स्पीड पकड़ना लाजमी है. पहला, आखिर ऐसा क्या हो गया जो इतना स्टॉक आ गया? दूसरा, क्या इसकी वजह से ग्राहकों को तगड़ा डिस्काउंट मिलने वाला है?
Covid-19 का दौर गुजर जाने के बाद अगर आपने नई कार खरीदी या आपके किसी पहचानने वाले ने ऐसा किया तो एक बात का जिक्र जरूर आया होगा. लंबी वेटिंग है भाई. अचानक से कारों की डिलीवरी में भयंकर वेटिंग आ गई थी और ऐसा एक कंपनी के साथ नहीं था. कई कंपनियों के टॉप मॉडल में तो 18 से 24 महीने का टाइम लग रहा था. कार कंपनियों की तरफ से इसके पीछे का कारण चिप की कमी बताया गया. लेकिन आज की तारीख में सब उल्टा है. कार मार्केट में स्टॉक का ओवर फ़्लो (Auto inventory surge) हो रखा है.
कुल जमा 7 लाख कारें स्टॉक में पड़ी हैं. कीमत के हिसाब से देखें तो ₹73,000 करोड़ रुपये के अल्ले-पल्ले का माल. ऐसे में दो सवालों का स्पीड पकड़ना लाजमी है. पहला, आखिर ऐसा क्या हो गया जो इतना स्टॉक आ गया? दूसरा, क्या इसकी वजह से ग्राहकों को तगड़ा डिस्काउंट मिलने वाला है? जवाब के लिए गियर लगाते हैं.
इनवेंटरी का चक्कर बाबू भईयाजुलाई में 62 और अगस्त में 72 दिन. मतलब एक डीलर के पास औसतन अगले 72 दिनों की बिक्री के हिसाब से कारें पड़ी हुई हैं. गणित के हिसाब से देखें तो अगर रोज की एक कार भी बिके तो अगले 72 दिन का माल पहले से पड़ा है. जुलाई में ये नंबर 62 दिनों का था तो जून में 55 दिनों के आसपास. जुलाई महीने में ही Federation of Automobile Dealers Association (FADA) के प्रेसिडेंट Manish Raj Singhania ने बताया था कि मार्केट में बिना बिकी कारों की संख्या 6.5 लाख के आसपास है और एक गाड़ी की औसत कीमत 9.5 लाख रुपये है.
मतलब पिछले कई महीनों से लगातार गाड़ियों की आवक तो बनी हुई है, लेकिन जावक (बिक्री) उस हिसाब से नहीं हो रही. बात करें कि असल में एक डीलर के पास कितना स्टॉक होना चाहिए तो मोटा-माटी 10 दिन. ऐसा खुद देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी Maruti Suzuki India (MSIL) का मानना है. मानना क्या है कंपनी का टारगेट ही यही है जो वो इस साल के आखिर तक पा लेने की उम्मीद रखती है.
वैसे हालत इनके भी अच्छे नहीं. औसत से इतर खुद मारुति के डीलर के पास करीब 38 दिन का स्टॉक मौजूद है. मतलब हर कंपनी की कारों पर ब्रेक लगा हुआ है. लेकिन गाड़ियों की सेल्स के नंबर उलटबासी हैं. जून के महीने में 3 लाख 41 हजार यूनिट की बिक्री हुई थी. मई के मुकाबले 4 फीसदी ज्यादा. मतलब कारें तो बिक रहीं, फिर स्टॉक कहां से आया.
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अति-उत्साह का नतीजाइस सवाल पर ब्रेक लगाने के लिए हमने बात की एक्सपर्ट से. सूरज घोष, जो जाने-माने ऑटो एक्सपर्ट हैं, के मुताबिक,
“पिछले साल तक जिस तरीके से कारों पर वेटिंग थी, उसको देखकर डीलर और कंपनियां दोनों बल्लियां उछाल रहे थे. नतीजतन, जमकर प्रोडक्शन हुआ. माल भी कंपनी के गोडाउन से डीलर के यहां पहुंचता रहा तो सेल्स के नंबर भी रॉकेट हुए. हालांकि ये असल सेल नहीं बल्कि प्राइमरी सेल हुई. इससे सिक्के का एक ही पहलू दिखता है. कार जब तक सड़क पर नहीं दौड़ी मतलब सेकेंडरी सेल्स नहीं होती तो कोई फायदा नहीं. नतीजा, डीलर गले तक भर गए."
सूरज के मुताबिक गाड़ियों की बिक्री में गिरावट आना कोई बड़ी बात नहीं. चुनाव से लेकर कई वित्तीय फैक्टर तक इसका कारण हो सकते हैं. सूरज ने कारों की बिक्री के आंकड़े पर भी जरूरी बात बताई.
“जहां कार डीलर अपने यहां से हुई बिक्री का नंबर पकड़ते हैं, तो निर्माता उनके यहां से डीलर के यहां पहुंच गई कारों का. सरकार वाहन पोर्टल पर रजिस्टर्ड नंबर को देखती है. मतलब आंकड़ों की सड़क में गड्ढे भले नहीं हैं मगर वो सपाट भी नहीं.”
सबका नतीजा उल्टी करता स्टॉक. इसका मतलब क्या ग्राहक को फायदा होगा. एकदम होगा.
त्योहारों पर तो ऑफर्स बरसेंगे ही, मगर अभी से कंपनियों ने अपने हाथ खोल दिए हैं. Maruti Suzuki, Hyundai, MG Motor, Mahindra, और Tata Motors ने हजारों का डिस्काउंट देना स्टार्ट कर दिया है. कई टॉप एंड और स्लो मूविंग मॉडल पर तो पांच लाख से ऊपर का डिस्काउंट मिल रहा है. आपदा में अवसर वाली बात है. कार खरीदने का मन बना रहे तो त्योहार का इंतजार मत कीजिए. अभी शोरूम का शुभ महूरत निकाल लीजिए.
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