कैमरा, बैटरी पर घमंड करते रहे, सोचा ही नहीं स्मार्टफोन में सबसे जरूरी तो स्क्रीन है, लेकिन कौनसी?
आप इस भ्रम में मत रहिए कि स्क्रीन तो स्क्रीन होती है. ना, ऐसा आपको लग सकता है क्योंकि बाहर से नाम भले OLED हो मगर अंदर से मामला बहुत अलग है. और आपका ये जानना बहुतई जरूरी है.

आपके स्मार्टफोन की सबसे जरूरी चीज क्या हो सकती है? जवाब, शतकवीर कैमरा और बाजा फाड़ परफ़ोर्मेंस देने वाला प्रोसेसर हो सकते हैं. अल्ट्रा फास्ट रैम और बड़ी बैटरी भी जरूरी चीज हो सकती है. सब अपनी जगह सही हैं, मगर एक चीज इन सबसे ज्यादा जरूरी है जिस पर बिल्कुल ध्यान नहीं जाता. कमाल बात ये है कि ये चीज हमारे सामने होती है. सबसे ज्यादा इसी के साथ राब्ता होता है मगर बेचारी पर ध्यान नहीं जाता. अपन स्मार्टफोन स्क्रीन (best screen smartphone in 2025) की बात कर रहे.
जानेंगे आपके लिए कौन सी स्क्रीन बेहतर है. आप इस भ्रम में मत रहिए कि स्क्रीन तो स्क्रीन होती है. ना, ऐसा आपको लग सकता है क्योंकि बाहर से नाम भले OLED हो मगर अंदर से मामला बहुत अलग है. और आपका ये जानना बहुतई जरूरी है.
OLED तो छाता है10 हजार रुपये के नीचे की कीमत वाले स्मार्टफोन में एचडी प्लस एलसीडी स्क्रीन मिलती है. बाकी उसके ऊपर के स्मार्टफोन में OLED स्क्रीन ही लगी होती है. OLED मतलब ऑर्गेनिक लाइट-एमिटिंग डायोड. इस स्क्रीन में पिक्सल खुद से बंद हो जाते हैं, जिससे कंट्रास्ट बेहतर होता है. इसी की वजह से स्क्रीन को ब्लैक, पिच ब्लैक, डार्क ब्लैक दिखने में मदद मिलती है. उस पर कलर कॉम्बिनेशन बना रहता है.
आसान भाषा में कहें तो जैसे घर के अंदर बहुत सी लाइट को एक साथ बंद कर देने पर पावर की बचत होती है, वैसे ही ओलेड स्क्रीन में होता है. सारा खेल ही ब्लैक पिक्सल के आस-पास है. ओलेड में हरेक पिक्सल खुद की लाइट जनरेट करता है. ओलेड पिक्सल जो काले रंग के होते हैं उनमें कोई पावर होती ही नहीं है और वो पिच ब्लैक अवस्था तक पहुंचने के काफी नजदीक होते हैं.
उदाहरण के तौर पर, अगर ओलेड स्क्रीन पर ब्लैक रंग का वॉलपेपर है तो उसमें सिर्फ उस जगह के पिक्सल चालू होंगे जहां कोई टेक्स्ट या आइकन शो करना होगा. बचे हुए बैकग्राउंड को खाली छोड़ दिया जाएगा. इसी वजह से फोन की स्क्रीन पर कलर कॉम्बिनेशन बना रहता है.

Low-Temperature Polycrystalline Silicon स्क्रीन जो 60 और 90 हर्ट्ज पर काम करती है. मिड बजट रेंज के स्मार्टफोन मतलब 20 हजार में यही स्क्रीन लगी होती है. अपना काम बढ़िया करती है मगर सीधी चाल में. माने होना तो ये चाहिए कि आप स्मार्टफोन पर जो काम कर रहे स्क्रीन वैसे काम करे. गेम खेल रहे तो 90 हर्ट्ज पर चले और मैसेज पढ़ रहे तो 60 पर. असल में तो मैसेज पढ़ने जैसे काम में इसे 1 हर्ट्ज हो जाना चाहिए, मगर वो LTPS में संभव ही नहीं. सीधे-सीधे कहें तो ये बिना ब्रेक के सधे तरीके से चलने वाली गाड़ी ठहरी. इसकी वजह से बैटरी पर असर ज्यादा पड़ता है. स्क्रीन पर आपका अनुभव भी एक सा रहेगा. ना अच्छा और ना बुरा.
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LTPO 80ये स्क्रीन धूप में बड़ा सही काम करती है. माने खिली हुई धूप में भी आपको स्क्रीन पर सब साफ नजर आएगा. इसका काम है ब्राइटनेस पर फोकस करना. Low-Temperature Polycrystalline Oxide स्क्रीन की वजह से डिस्प्ले पर फ्लिकर नहीं आता. माने स्क्रीन पर आपकी परछाई नहीं दिखती. ये मिडरेंज और प्रीमियम मिडरेंज फोन में दिखती है. क्योंकि इसका फोकस ब्राइटनेस पर है तो डार्क में इसका मामला कमजोर है. माने घुप अंधेरे में भी ये ठीकठाक चमकती है. थोड़ी सी भी ब्राइटनेस बढ़ाओ तो आंखें चौंधिया जाती हैं. इसका असर भी बैटरी पर पड़ता है. लेकिन सबसे ज्यादा यही स्क्रीन इस्तेमाल होती है.
LTPOये स्क्रीन नहीं बल्कि जादू है. भई इसे सब पता है. मतलब कब ब्राइट होना है और कम एकदम बंद हो जाना है. ये स्क्रीन आपके फोन में लगी है तो गेमिंग के समय 120 हर्ट्ज का डिस्प्ले मिलेगा. मतलब स्क्रीन पर मौजूद हर पिक्सल काम पर लगा होता है. वहीं जब फोन बाबू घुप अंधेरे में रखे होते हैं तो डिस्प्ले 1 हर्ट्ज तक गिर जाता है. माने तुम सो रहे तो हम काहे जागे रहे. इस स्क्रीन वाले फोन में AOD मतलब Always On Display भी एकदम मंदा दिखता है. बस उतना जितने में आपको स्मार्टफोन नजर आ जाए. स्क्रीन बैटरी तभी खाती है जब कोई काम चल रहा हो, वर्ना नहीं. इस वाली स्क्रीन के बारे में स्मार्टफोन मेकर बुक्का फाड़कर बताते हैं. अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं कि ये फ्लैग्शिप डिवाइस में ही मिलती होगी.
अब आपको तय करना है कि आपको कैसे अनुभव चाहिए.
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