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Android फोन में 7 साल का सॉफ्टवेयर अपडेट, आंखें गड़ाकर देखिए, झुनझुना तो नहीं पकड़ा रहे?

साल 2024 में Android फोन खरीद लिया तो साल 2031 तक नया सॉफ्टवेयर मिलेगा. माने कि एंड्रॉयड 21 मिलेगा. वाकई में ऐसा होगा. अगर होगा तो क्या सात साल पुराने फोन में उस सॉफ्टवेयर को झेलने की ताकत होगी. फोन का परफ़ोर्मेंस अच्छा रहेगा. कई सारे सवाल हैं.

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Android makers providing seven years of software updates: The truth about it
सात साल का अपडेट कितना 'साथ' देगा (तस्वीर साभार: IMT)
24 जनवरी 2024 (Updated: 24 जनवरी 2024, 19:49 IST)
Updated: 24 जनवरी 2024 19:49 IST
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एक एंड्रॉयड स्मार्टफोन से आप क्या उम्मीद रखते हैं. बढ़िया स्क्रीन, अच्छा कैमरा, ठीक-ठाक चार्जिंग स्पीड, अगर फास्ट चार्जिंग नहीं मिले तो. दिन भर चलने वाली बैटरी और क्लीन यूजर इंटरफ़ेस के साथ कई सालों के लिए सॉफ्टवेयर अपडेट. इसमें से ज्यादातर फीचर आपको एक एंड्रॉयड फोन में मिल ही जाते हैं. अच्छी बात ये है कि इसके लिए आपको फ़्लैगशिप डिवाइस खरीदने की भी जरूरत नहीं. लेकिन पिछले कुछ महीनों से सॉफ्टवेयर अपडेट को लेकर स्मार्टफोन मेकर्स यूजर्स पर बड़े मेहरबान नजर आ रहे हैं. दो-तीन और चार साल तो छोड़िए. सात साल के सॉफ्टवेयर अपडेट का वादा किया जा रहा है.

देखने और पढ़ने में ये वाकई बहुत अच्छा लग रहा है. मतलब साल 2024 में फोन खरीद लिया तो साल 2031 तक नया सॉफ्टवेयर मिलेगा. माने कि एंड्रॉयड 21 मिलेगा. वाकई में ऐसा होगा. अगर होगा तो क्या सात साल पुराने फोन में उस सॉफ्टवेयर को झेलने की ताकत होगी. फोन का परफ़ोर्मेंस अच्छा रहेगा. कई सारे सवाल हैं और साथ में एक चिंता भी. एंड्रॉयड यूजर्स का सबसे बेसिक फीचर जो उसे मिलना ही चाहिए था. कहीं स्मार्टफोन कंपनियां उसको सेल्स के झुनझुने के जैसे तो इस्तेमाल नहीं करने वाली.

अपडेट पर अपडेट पर अपडेट

कुछ महीनों पहले तक एंड्रॉयड स्मार्टफोन मेकर्स सॉफ्टवेयर अपडेट की बात तो करते थे मगर वास्तविकता इससे उलट थी. कहने को तीन साल के अपडेट का वादा करते थे मगर ऐसा होता नहीं था. अगर होता था तो टाइमिंग इतनी बेकार कि एंड्रॉयड का वो वर्जन बासा सा लगने लगता था. थोड़ा आसान करके समझते हैं.

एंड्रॉयड का मालिकाना हक रखने वाली गूगल इसका नया वर्जन आमतौर पर सितंबर-अक्टूबर में रिलीज करता है. ये फाइनल वर्जन होता है जो सबसे पहले गूगल पिक्सल में आता है. हालांकि इसका बीटा वर्जन तो हर साल की शुरुआत में मतलब मार्च-अप्रैल में ही रिलीज हो जाता है. यानी हर कंपनी को अच्छे से पता होता है कि नए वर्जन में क्या होगा. इस हिसाब से तो हद से हद दिसंबर तक हर हाल में नया वर्जन आ जाना चाहिए.

ऐसा होता नहीं. मतलब इस साल जरूर सैमसंग ने अपने कई फोन में एंड्रॉयड 14 का अपडेट दिया है, मगर पिछले साल यानी 2023 में ऐसा नहीं था. उनके कई टॉप मॉडल जनवरी और फरवरी 2023 तक भी एंड्रॉयड 13 के लिए तरस रहे थे. हमने सैमसंग का जिक्र इसलिए किया क्योंकि गूगल के बाद यही कंपनी है जो सॉफ्टवेयर अपडेट पर फोकस करती है और टाइम से उनको देने की भी कोशिश कर रही है. हालांकि ये भी प्रीमियम डिवाइस के साथ ही है.

बाकी कंपनियों का हाल वाकई में बेहाल है. किसी का भी नाम लीजिए मसलन वनप्लस, वीवो, ओप्पो, शाओमी, मोटोरोला या कोई और. जैसे ही एंड्रॉयड का नया वर्जन रोलआउट होता है, सभी कंपनियां गाजे-बाजे के साथ उसकी टाइम लाइन शेयर करती हैं, मगर ऐसा होता तो दिखता नहीं.

अभी तक...

भविष्य का पता नहीं. शायद हो जाए.

फिर सात साल का साथ कैसे निभेगा

मुश्किल है भाई. असंभव नहीं है मगर वाकई में बहुत मुश्किल है. वजह है एंड्रॉयड का ओपन सोर्स होना. अपनी वाली भाषा में कहें तो दर्जी तो एक है, मगर कपड़े सभी के अलग-अलग. दर्जी हुआ गूगल जो ऑपरेटिंग सिस्टम डेवलप करता है और फिर कंपनियों उसके ऊपर अपनी डिजाइन के कपड़े पहनाती हैं. तभी उसको यूजर इंटरफ़ेस कहते हैं. उदाहरण के लिए सैमसंग का One UI या वीवो का फनटच.

अब कपड़े अलग अलग डिजाइन और कलर के हैं तो जाहिर सी बात है कि सेंट्रल कंट्रोल तो होगा नहीं. कंपनियां अपने हिसाब से सिलाई-बुनाई-कढ़ाई करती हैं और फिर मार्केट में उतारती हैं.

ऐसे में अगर सिलाई मशीन की गरारी फंस गई, स्लो हो गई, तेज हो गई तो नतीजा हरी-हरी स्क्रीन. 'प्रत्यक्षम् किम् प्रमाणम्' की तर्ज पर कहें तो वनप्लस के साथ जो पिछले कुछ महीनों में घटा वो किसी से छिपा नहीं. उनके तकरीबन हर फोन, सॉफ्टवेयर अपडेट के बाद हरे हुए और यूजर्स के चेहरे लाल. वैसे ऐसा सिर्फ वनप्लस के साथ नहीं हुआ. कई ब्रांड इसकी जद में आए.

स्मार्टफोन यूजर्स के मुंह हो रहे 'लाल', स्क्रीन पर ग्रीन लाइनें देखकर!

साफ-साफ तो किसी ने इसका कारण नहीं बताया मगर मोटा-माटी इसकी वजह सॉफ्टवेयर अपडेट के समय जनरेट होने वाली हीट को माना गया. हीट कंट्रोल नहीं हुई तो स्क्रीन हरी हो गई.

ये हाल दो-तीन साल पुराने फोन्स का है. ऐसे में 7 साल का साथ निभता दिख नहीं रहा. इतना ही नहीं तकनीक में जिस तेजी से बदलाव होते हैं वैसे में आज से सात साल बाद एंड्रॉयड रहेगा या नहीं. स्मार्टफोन रहेंगे या नहीं. ये हम खुद से नहीं कह रहे. एलन मस्क भैया इसके ऊपर काम कर रहे हैं. Humane वाले इमरान चौधरी का डिवाइस मार्केट में आने वाला है. AI ने घंटी बजा दी है. मतलब सात साल बहुत होते हैं.

....और स्मार्टफोन किसी काम के नहीं रह जाएंगे? वाकई में!

इसलिए हमारी आपको सलाह रहेगी कि सॉफ्टवेयर अपडेट के नाम पर बौराने की जरूरत नहीं. अपनी जरूरत के हिसाब से फोन खरीदें. तीन साल का अपडेट अगर टाइम पर मिले तो भी कोई दिक्कत नहीं.

इतनी कथा बताई और ऐप्पल का नाम नहीं लिया. अगर ऐसे सवाल मन में आ रहे तो तनिक रुक जाइए. ऐप्पल ठहरा क्लोज प्लेटफॉर्म. सॉफ्टवेयर पर उसका कंट्रोल. बनाता भी है और अपडेट भी करता है. अपडेट देने में भी कोई झोल नहीं. जिस दिन बोलता उसी दिन उसी समय दुनिया जहान में उपलब्ध हो जाता है. हालांकि ऐसा करने के लिए तारीफ तो होगी मगर पूरे नंबर फिर भी नहीं मिलेंगे. काहे से कि अपडेट की वजह से कुछ दिक्कत तो उनके साथ भी हैं. मगर तकलीफ नहीं है.

इति

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