खोया हुआ फोन बंद भी हुआ तब भी ढूंढ निकालेगा गूगल का HAL
iPhone का ‘Find My Device’ फीचर पिछले कुछ सालों में तगड़ा एडवांस हुआ है. इतना एडवांस की भले आईफोन स्विच ऑफ क्यों नहीं हो, उसे ट्रेक किया जा सकता है. गूगल भी ऐसा ही फीचर देने की तैयारी में है. अब गूगल क्यों ऐसा कर रहा है और कैसे कर रहा, बात करते हैं.
![Google’s Find My Device network is still nowhere to be seen thanks to Apple. The reason we’re so giddy about its eventual launch is that Android users will finally have a lost device tracking network on par with or even surpassing Apple’s Find My network.](https://static.thelallantop.com/images/post/1710770549746_android_15_will_let_you_find_your_smartphone_even_when_it_off.webp?width=540)
आजकल लगता है जैसे स्मार्टफोन मार्केट में उल्टी गंगा बह रही है. अब ये तो कोई छिपी हुई बात नहीं कि बाजार पर एंड्रॉयड और iOS का कब्जा है. लेकिन जब बात नए फीचर्स की आती है तो एंड्रॉयड को एक एज मिला हुआ है. ऐसा भी नहीं है कि iOS में नए फीचर नहीं आते, मगर एंड्रॉयड सिस्टम तो साल-दर-साल झड़ी लगाए रहते हैं. लेकिन अब कुछ उल्टा हो रहा है. फीचर आया सबसे पहले आईफोन में और अब गूगल बाबा इसको एंड्रॉयड 15 के साथ अपने सिस्टम में इनेबल करने की तैयारी में है. बात हो रही है,
iPhone के ‘Find My Device’ की जो पिछले कुछ सालों में तगड़ा एडवांस हुआ है. इतना एडवांस की भले आईफोन स्विच ऑफ क्यों नहीं हो, उसे ट्रेक किया जा सकता है. गूगल भी ऐसा ही फीचर देने की तैयारी में है. अब गूगल क्यों ऐसा कर रहा है और कैसे कर रहा, बात करते हैं.
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गूगल को क्या जरूरत आन पड़ी?इसका जवाब तो सभी को पता है. मतलब अच्छा फीचर है भाई. सभी के पास होना चाहिए. दूसरा ये भी है कि नया बताने के लिए कुछ तो होना चाहिए (एंड्रॉयड यूजर्स दिल पर ना लें क्योंकि ये बात iOS पर भी लागू होती है). दोनों ही प्लेटफॉर्म के नए ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ कुछ बड़ा बदलाव नहीं होता. जैसे सुनने में आया है कि iOS 18 में एप्पल आईडी का नाम ‘एप्पल अकाउंट’ होगा. क्या ही कहें. मतलब स्विच ऑफ फोन को सर्च करने का फीचर लाने की मोटा-माटी वजह तो पता चल गई. अब कैसे करेगा वो समझते हैं. मतलब इसके पीछू की तकनीक कैसे काम करती है.
HAL बताएगा फोन का हालHAL मतलब hardware abstraction layer जो एक ब्लूटूथ बेस्ड तकनीक है. नाम के जैसे इस तकनीक का सॉफ्टवेयर से कोई सीधा लेना-देना नहीं है. मतलब बात हार्डवेयर की है और यहां हार्डवेयर मतलब ब्लूटूथ. इस तकनीक की मदद से फोन भले स्विच ऑफ हो, उसका ब्लूटूथ ऑन रहता है. तकनीक की खूबी ये कि भले ब्लूटूथ ऑन है मगर वो बैटरी पर बोझ नहीं बनता. ब्लूटूथ ऑन रहता है और वो नजदीक के दूसरे फोन से खुद को कनेक्ट करता है.
यहां शायद आपको लगे कि ऐसा करने से तो यूजर की निजता खतरे में पड़ सकती है. लेकिन ऐसा नहीं है. ब्लूटूथ सिग्नल एक तयशुदा फ्रीक्वेंसी पर कनेक्ट होते हैं. आसान भाषा में कहें तो जैसे कोई घर के बाहर से हेलो बोलकर चला जाए तो उसको घर में घुसना नहीं कहेंगे. इसके साथ ऐसी फ्रीक्वेंसी किसी एक फोन को पकड़कर नहीं रहती. आसपास जो फोन मिले बस उससे थोड़ा टची-टची होती है.
HAL यही करेगा, लेकिन हाल-फिलहाल के लिए पिक्सल 8 डिवाइस में. ऐसा इसलिए, क्योंकि बाकी दूसरे स्मार्टफोन मेकर्स को इसके लिए अपने डिवाइसेज में जरूरी हार्डवेयर फिट करना पड़ेगा. इसमें कोई चिंता की बात नहीं क्योंकि यही तो तकनीक का सबसे मजबूत पक्ष है. बहुत तेजी से फैलती है. अब इतना जान लिए तो ये भी जान लीजिए की एप्पल क्या करती है.
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फ़ैन्सी सा नाम और काम भी. एप्पल ने आईफोन 11 और उससे ऊपर के मॉडल में UBD चिप लगा रखी है जो अपने आसपास के एप्पल डिवाइस को होले से हेलो बोलती और लोकेशन का पता करने में मदद करती है. हालांकि ये फीचर दुनिया के कई देशों में काम नहीं करता मसलन रूस, नेपाल, इंडोनेशिया. क्यों का जवाब शायद सरकारी नियम हो सकते हैं.
वैसे एंड्रॉयड में HAL के आने से हमारे देश में फायदा जरूर होगा क्योंकि एंड्रॉयड डिवाइस की संख्या जो ज्यादा है. जाते-जाते जो सैमसंग यूजर गाल फुलाए बैठे हैं उनको भी हंसा देते हैं. भाई हमें पता है कि सैमसंग के फ़्लैगशिप डिवाइस में ये फीचर आता है. ठीक बात है आप मजे करो. ओपन सोर्स होने के कुछ तो फायदे हैं ना रे बाबा.
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