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डिसप्ले, कैमरा, बैटरी छोड़ो, स्मार्टफोन में ये 5 चीजें नहीं देखीं तो चुंगी लगना तय!

स्मार्टफोन के वो पांच जरूरी फीचर जो उसके ओवरऑल अच्छे परफ़ोर्मेंस के लिए बहुत जरूरी हैं. ऐसे फीचर जो नेटवर्क से लेकर स्पीड और फोन की सेफ़्टी से लेकर यूजर एक्सपीरियंस के लिए बहुत जरूरी हैं. कई कंपनियां इसमें घपला कर रही हैं.

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5 features you should check before buying a new smartphone: 5G bands, wifi, IP ratings, stock Android
चेक कर लेना वरना... (सांकेतिक फोटो)
17 जनवरी 2024
Updated: 17 जनवरी 2024 13:46 IST
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नया स्मार्टफोन लेते समय इन पांच बातों का ध्यान रखें (Smartphone Features Check) नहीं तो चुंगी लग सकती है. धोखा हो सकता है. हमारी ये लाइन पढ़ते ही आपने कह देना है, चल-चल बोर मत कर! हमें पता है क्या बताने वाले हो. मसलन रिफ्रेश रेट कितना होना चाहिए. कैमरा कितने मेगापिक्सल का होना चाहिए और बैटरी कितने mAh की हो. नहीं, जनाब इसके बारे में खूब बात हो गई. स्मार्टफोन मेकर्स भी इसके बारे में ढिंढोरा पीटकर बताते हैं. इसलिए हम बात करेंगे उन फीचर्स की जिनकी बात होती नहीं, और होती है तो गोल-गोल घुमाकर. नतीजा नुकसान आपका होता है. मतलब,

स्मार्टफोन के वो पांच जरूरी फीचर जो उसके ओवरऑल अच्छे परफ़ोर्मेंस के लिए बहुत जरूरी हैं. ऐसे फीचर जो नेटवर्क से लेकर स्पीड और फोन की सेफ़्टी से लेकर यूजर एक्सपीरियंस के लिए बहुत जरूरी हैं. कई कंपनियां इसमें घपला कर रही हैं.

5G बैंड के बिना बाजा नहीं बजेगा

देश में 5G नेटवर्क आए एक साल से ज्यादा हो गया. अच्छी बात ये है कि इसको सपोर्ट करने वाले फोन्स को भी आए हुए तीन साल से ज्यादा हो गए हैं. बुरी बात ये है कि आज भी इनके बैंड को लेकर झोल हो रखे हैं. फोन आपको बेचा जाता है ये बोलकर कि ये 5G सपोर्ट करता है. ठीक बात, लेकिन कितने बैंड. यहां सीधा गणित है कम से कम 8. जितने ज्यादा हों उतना अच्छा. ऐसा इसलिए क्योंकि 5G एक बैंड बेस्ड सर्विस है. तीन बैंड होते हैं- Low, Mid  और High. लो के अंदर 1GHz ,मिड में (1GHz–6GHz) और हाई में (24GHz–40GHz) फ्रीक्वेंसी होती है. मतलब, बहुत बड़ी रेंज है. ऐसे में अगर आपके फोन में कम बैंड हुए, जो कई फोन में होते हैं तो पूरे चांस हैं कि एक ही जगह खड़े होने पर आपके फोन में 5G का G भी नहीं हो और दूसरे के फोन में वो फर्राटा भर रहा हो. बहुत दिमाग नहीं खपाना तो (n28, n5, n8, n3, n1, n41, n77, and n78) चेक कर लीजिए.

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6E ना सही 6 तो हो

बात हो रही है WiFi तकनीक की. आजकल वाईफाई 6 और 6E का जमाना है. वैसे जब हम इस पर बात कर रहे तब तक वाईफाई 7 भी लॉन्च हो गया है. मतलब, अगले साल से प्रीमियम फोन में यही मिलेगा. मगर हम आज की बात करते. अच्छा होगा कि WiFi 6E मिले. नहीं तो 6 तो होना ही चाहिए. अगर ऐसा नहीं है तो स्पीड का मजा आपको नहीं मिलने वाला. इस फीचर के बारे में हमने इसलिए चेताया क्योंकि कुछ दिनों पहले एक बड़ी कंपनी ने अपने अपर मिडरेंज फोन में वाईफाई 5 दिया है. ठीक दस साल पुरानी तकनीक. अच्छी बात नहीं.

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IP रेटिंग वाकई में है क्या?

धूल और पानी से बचाने के लिए फोन में IP रेटिंग बहुत जरूरी है. मॉडर्न स्मार्टफोन में होती ही है भले स्टैंडर्ड कुछ भी हो. जैसे IP67, IP68, IP54. रेटिंग फोन की कीमत के हिसाब से होगी मगर इसमें कई खुराफात हो रही हैं. कंपनी कहती है उसके फोन में IP 68 रेटिंग है, मगर उसका सर्टिफिकेशन नहीं है. ये क्या बात हुई. अगर है तो उसका सर्टिफिकेट भी होना चाहिए. आपने अपने घर में टेस्ट कर लिया तो उससे क्या फायदा. वैसे इसका कारण इसके सर्टिफिकेट पर लगने वाला पैसा भी है. जो IEC (International Electrotechnical Commission) देता है. इसलिए इसको चेक कर लें. कंपनी की वेबसाइट पर इसके डिटेल मिल जाते हैं.

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गोरिल्ला में कितना दम है?

अधिकतर स्मार्टफोन में जो स्क्रीन होती है वो गोरिल्ला ग्लास होती है. कंपनी का नाम है Corning Gorilla Glass. जैसे हर साल स्मार्टफोन के लिए नया प्रोसेसर (स्नैपड्रेगन/ मीडियाटेक) आता है, वैसे ही स्क्रीन के लिए भी नया प्रोटेक्शन लॉन्च होता है. हाल फिलहाल के टॉप स्मार्टफोन में Corning Gorilla Victus लगा होता है. मसलन, पिक्सल फोन में Victus लगा हुआ है तो सैमसंग गैलक्सी S सीरीज में Victus 2 लगा हुआ है.

पिछले दिनों लॉन्च हुए ऐसे ही एक फोन में ढोल बजाकर बताया गया कि उसमें Victus लगा हुआ है. मगर फोन हाथ में आते ही इसके चटकने और दरकने के कई मामले सामने आ गए. हमेशा की तरह कंपनी ने यूजर की लापरवाही कहकर पल्ला झाड़ लिया. आप बचने के लिए क्या करें. जिस दिन फोन लॉन्च होता है उस दिन ना खरीदें. इंतजार कर लीजिए. सोशल मीडिया पर नजर रखिए. वहां सिर्फ 7 दिन में फोन की पोल-पट्टी खुल जाती है. कांच में चेहरा सही दिखे मतलब सब सही तो फिर खरीद लो.

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ब्लॉटवेयर का बुलबुला तो नहीं फूट रहा?

फोन में पहले से इंस्टॉल आने वाले फिजूल के ऐप्स. गेम्स से लेकर पोकरबाजी करवाने वाले और ब्राउज़िंग के लिए कोई भी ऐप बताने वाले. वैसे सबसे अच्छा तो ये होगा कि ऐसे ऐप्स फोन में होना ही नहीं चाहिए. स्टॉक एंड्रॉयड मिले या उसके जैसा यूजर इंटरफ़ेस. नहीं मिलता तो फोन 15 हजार से ज्यादा का नहीं हो. कीमत इसके ऊपर है तो वो फोन की ब्लोटिंग की कोई दवाई नहीं है. आप दूर रहिए.

लिस्ट खत्म. अब आपके मन में सवाल होगा कि सब एकदम टॉप क्लास चाहिए तो पईसा बहुत लगेगा. नहीं लगेगा गुरु. 20 हजार में ऐसे फीचर वाले कई फोन मार्केट में हैं. गूगल कर लीजिए नहीं तो हमें बताइए. हम लिस्ट बना देंगे.  

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