मुझे नहीं मालूम कि आप लोग, जब हम मीडिया में काम करने वालों को देखते हैं तो क्या सोचते हैं. शायद ये, कि हम प्रेस कार्ड दिखाकर चालान कटवाने से बच जाते हैं. या फिर हम लाखों रूपये लेकर सरकार के पक्ष या विपक्ष में लिखते हैं. किसी को बर्बाद करना हो, तो उनका दुश्मन हमें पैसे देकर खरीद लेता है. मुझे नहीं मालूम कि कौन किसे कितने पैसे देता है. ख़बरें कैसे प्लांट होती हैं या PR कंपनियां कैसे काम करती हैं. मगर मुझे ये मालूम है कि पत्रकार या लेखक का फ़र्ज़ क्या होता है. कि हम अपने मन में आई बातों को निडर होकर लिखें-कहें. भले ही आपकी और मेरी राय एक न हो, मगर मुझे अगर कोई फिल्म खराब लगी है, तो मैं उसे अच्छा कैसे बताऊं?