‘जाना हिंदी की सबसे खौफ़नाक क्रिया है’ कहने वाले केदारनाथ सिंह ने 19.03.18 कोअपने लिखे को चरितार्थ करते हुए हम सबको हमेशा के लिए छोड़ के चले गए. केदारनाथ सिंहकी कविता में एक ओर देहाती संवेदना तो दूसरी और शास्त्रीयता दोनों ही झांकती रहतीहैं. न कभी इन्हें परंपरा से परहेज रहा, न ही आधुनिकता का बुखार चढ़ा. इन्हीं सारीबातों का खूबसूरत बयां है उनकी ये कविता ‘बनारस’.