तुम्हारा स्कोर अब भी ज़ीरो है, रिचर्ड्स के इस कमेंट पर गावस्कर ने बल्ले से सबकी बोलती बंद कर दी थी
ठीक 37 साल पहले गावस्कर ने तोड़ा था ब्रेडमैन का सबसे बड़ा रिकॉर्ड.

सुनील मनोहर गावस्कर. वो नाम जिसने भारतीय क्रिकेट को गांव-गली तक पहुंचाया. जिसने भारतीय क्रिकेटरों को मेहनताने से आगे बढ़कर अपना हक मांगने के लिए प्रेरित किया. और जिसने कैरेबियाई पेस बैट्री के सामने बैटिंग की ऐसी मिसाल पेश की कि कैरेबियाई लोग भी उसके ऊपर कैलिप्सो धुन बनाने को मजबूर हो गए.
इन्हीं सुनील गावस्कर ने आज से ठीक 37 साल पहले एक ऐसा रिकॉर्ड बनाया, जिसे अगले 22 सालों तक कोई नहीं तोड़ पाया. उस जमाने में किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि कोई ऐसा क्रिकेटर भी आएगा, जो शतकों के शिखर पर काबिज सर डाॅन ब्रेडमैन का रिकॉर्ड अपने नाम कर लेगा.
उस जमाने में डाॅन ब्रैडमैन के 29 शतकों का रिकॉर्ड एक पहाड़ समझा जाता था. वहां तक दिसंबर 1983 के पहले कोई पहुंच नहीं पाया था. लेकिन सुनील गावस्कर ने 1983-84 की भारत बनाम वेस्टइंडीज़ टेस्ट सीरीज में 2 शतक बनाकर ब्रेडमैन के रिकॉर्ड को तोड़ दिया.

सुनील गावस्कर का वेस्टइंडीज के खिलाफ शानदार रिकॉर्ड रहा है.
29 दिसंबर 1983 को क्या हुआ था?
1983 के वर्ल्ड कप फाइनल में हार से तिलमिलाई वेस्टइंडीज की टीम साल के अंत में इंडिया के दौरे पर आई. वेस्टइंडीज की यह टीम पिछले कुछ सालों में बिना हारे 27 टेस्ट मैच खेलकर भारत आई थी. इस दौरे पर 6 टेस्ट और 5 वनडे खेले जाने थे. 5 वनडे और 5 टेस्ट मैच हो चुके थे. इनमें वेस्टइंडीज के खिलाड़ियों ने जो रूप दिखाया था, उसकी चर्चा मात्र से ही सिहरन पैदा होने लगती है.पांचों वनडे मैचों में वेस्टइंडीज़ ने टीम इंडिया को बुरी तरह मसल दिया था, जबकि पहले 5 टेस्ट मैचों में वेस्टइंडीज ने 3-0 की बढ़त हासिल कर सीरीज़ पहले ही अपने नाम कर ली थी. लग रहा था कि कैरेबियाई वर्ल्ड कप फाइनल की हार का कतरा-कतरा वसूलने इंडिया आए थे. मैल्कम मार्शल, माइकल होल्डिंग, एंडी रॉबर्ट्स, जोएल गार्नर और विंस्टन डेविस जैसे फास्ट बाॅलर्स ने ऐसा खौफ पैदा कर दिया था कि आज भी कोई इंडियन क्रिकेट लवर उस सीरीज को याद नहीं करना चाहता.
बहरहाल टेस्ट और वनडे सीरीज में नाक तो पहले ही कट चुकी थी. अब अंतिम टेस्ट मद्रास (आज के चैन्ने) में होना था. 24 दिसंबर से टेस्ट मैच शुरू हुआ. वेस्टइंडीज के कप्तान क्लायव लॉयड ने टाॅस जीतकर पहले बैटिंग शुरू की, लेकिन पहले ढाई दिन में कुछ खास हुआ नहीं. वेस्टइंडीज के विकेट नियमित अंतराल पर गिरते रहे और टीम लड़खड़ाती रही.
वो तो भला हो विकेट कीपर जेफ डुजोन का जो लोअर-ऑर्डर (मार्शल, होल्डिंग वगैरह) के साथ मिलकर स्कोरबोर्ड को आगे बढ़ाते रहे, और किसी तरह वेस्टइंडीज का स्कोर 313 रनों तक पहुंच पाया. डुजोन (62 रन) के अलावा कोई और कैरेबियाई बैट्समैन हाफ सेंचुरी नहीं लगा पाया.
# इंडिया की बैटिंग
तीसरे दिन यानी 27 दिसंबर को इंडिया की बैटिंग शुरू हुई. अंशुमन गायकवाड़ के साथ ओपनिंग की जिम्मेदारी संभाली अपना दूसरा टेस्ट मैच खेल रहे नवजोत सिंह सिद्धू ने. पूरे दौरे पर कहर बरपा रहे मैल्कम मार्शल ने पहले ही ओवर में अंशुमन गायकवाड़ और दिलीप वेंगसरकर को चलता कर दिया.
इंडिया का खाता भी नहीं खुला और 2 बैट्समैन पवेलियन में. मजबूरन पिछले कुछ मैचों से मिडिल ऑर्डर में खेल रहे पूर्व कप्तान और ओपनर सुनील गावस्कर को पहले ही ओवर में मैदान पर आना पड़ा. इस दरम्यान का एक मजेदार वाकया खुद सुनील गावस्कर ने एक टीवी शो के दौरान सुनाया था.
"नो माता, नो माता, तु विकेत्स गौन बत योर स्कोर इज स्तील जीरो." (पहले ओवर के बाद जब बैटिंग एंड बदल रहा था, तब दूसरी साइड की स्लिप में फील्डिंग करने जा रहे विवियन रिचर्ड्स ने गावस्कर और सिद्धु से कहा था, शायद यह बात गावस्कर को लग गई. और उसके बाद तो वो विकेट देने से रहे. उस दिन का खेल खत्म हुआ, तब इंडिया का स्कोर था 4 विकेट के नुकसान पर 69 रन और गावस्कर का साथ निभा रहे थे नाइट वाचमैन शिवलाल यादव.
no matter, no matter, two wickets gone but your score is still zero.)

विव रिचर्ड्स अपनी बल्लेबाजी के साथ-साथ स्लिप के जाने-माने फील्डर भी थे.
अब शुरू होता है चौथे दिन यानी 28 दिसंबर का खेल. इस पूरे दिन में टीम इंडिया ने सिर्फ 2 विकेट खोए और 193 रन जोड़े. रवि शास्त्री ने गावस्कर का अच्छा साथ निभाया और 72 रन बनाए. गावस्कर ने लंच के थोड़ी ही देर बाद यानी दूसरे सेशन में अपना 30वां शतक पूरा किया, और सर्वाधिक शतक बनाने के मामले में सर डाॅन ब्रैडमैन को पीछे छोड़ दिया.
यह एक ऐसा रिकॉर्ड था, जो अगले 22 वर्षों तक सुनील गावस्कर के नाम रहना था. साल 2005 में सचिन तेंदुलकर ने गावस्कर का ये रिकॉर्ड तोड़ा. 29 दिसंबर की सुबह इंडिया ने 262/6 के स्कोर से आगे खेलना शुरू किया. सुनील गावस्कर 149 पर थे. पांचवें दिन गावस्कर ने अपनी स्पीड बढ़ाई और फटाफट रन बटोरने लगे. जल्दी ही अपना दोहरा शतक भी पूरा कर लिया.
लंच के बाद उन्होंने वीनू मांकड के 231 के स्कोर को पार करते हुए भारत की तरफ से सबसे बड़े स्कोर का रिकॉर्ड बना डाला. मजेदार बात यह है कि वीनू मांकड ने भी मद्रास में ही न्यूजीलैंड के खिलाफ 231 रन की पारी खेली थी. सिर्फ स्टेडियम दूसरा था. मांकड ने काॅर्पोरेशन स्टेडियम में यह इनिंग खेली थी, जबकि गावस्कर ने एम ए चिदंबरम स्टेडियम में उनका रिकॉर्ड तोड़ा था.
गावस्कर के रिकॉर्ड बनाने के कुछ ही देर बाद टी-ब्रेक हो गया. और इसी के साथ कप्तान कपिलदेव ने पारी समाप्ति की घोषणा कर दी. उस वक्त टीम इंडिया का स्कोर था 8 विकेट के नुकसान पर 451 रन. सुनील गावस्कर 236 रन पर और विकेट-कीपर सैयद किरमानी 63 रन पर नाॅट आउट पवेलियन लौटे थे.
इसके बाद मैच सिर्फ औपचारिकता रह गया था. टी-ब्रेक के बाद जब वेस्टइंडीज का स्कोर 23 ओवर में एक विकेट के नुकसान पर 64 रन था, तब क्लाइव लाॅयड और कपिलदेव ड्रॉ पर सहमत हो गए.
डाॅन ब्रैडमैन ने अपने टेस्ट करियर में 29 शतक बनाए थे.
इस सीरीज में गावस्कर के रनों और शतकों के विश्व रिकॉर्ड के अलावा भी कुछ यादगार चीजें हुई थीं, जिनसे आपको रूबरू करवाते हैं :-
1.इसी दौरे के अहमदाबाद टेस्ट मैच से नवजोत सिंह सिद्धू ने और जमशेदपुर वनडे मैच से चेतन शर्मा (सीनियर सिलेक्शन कमेटी के मौजूदा अध्यक्ष) ने अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरूआत की थी.2. इस दौरे का पहला वनडे मैच जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में खेला गया था.
3. इस दौरे के खत्म होने के साथ ही वेस्टइंडीज टीम ने बिना हारे 33 टेस्ट मैच खेल लिए थे, जो आज भी एक रिकार्ड है.
4. मद्रास टेस्ट के साथ ही सुनील गावस्कर ने वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना आखिरी टेस्ट मैच खेला. उस समय तक उनके कुल 30 टेस्ट शतकों में से 13 वेस्टइंडीज के खिलाफ थे.
चलते-चलते आपको यह भी बताते चलें कि सुनील गावस्कर ने अपने टेस्ट करियर में कुल 125 मैच खेले और 10,122 रन बनाए, जिनमें 34 शतक हैं. साल 2005 में उनके शतकों का रिकॉर्ड सचिन तेंदुलकर ने तोड़ा. लेकिन इससे बहुत पहले ऑस्ट्रेलिया के एलन बॉर्डर उनके रनों का रिकॉर्ड तोड़ चुके थे. मजे की बात है कि बॉर्डर के टेस्ट करियर की शुरुआत भी 29 दिसंबर को हुई थी. बाॅर्डर ने 29 दिसंबर 1978 को मेलबर्न में इंग्लैंड के खिलाफ अपना पहला टेस्ट मैच खेला था.