डेनिस लिली. ऑस्ट्रेलियन पेस बॉलर. अपनी बॉलिंग के लिए तो याद किये ही जाते हैं, साथ ही अपनी हरकतों के लिए भी. ये वही हज़रात हैं जिन्होंने मियांदाद को लात मार दी थी और मियांदाद ने इनको हौंकने के लिए बल्ला उठा लिया था. उस दिन मियांदाद कुछ कर के ही मानता. गनीमत है कि कुछ हुआ नहीं. उसके बाद एक बार लिली ने 10 पाउंड लगा दिए थे शर्त में. अपनी ही टीम के खिलाफ़. उस मैच में उन्हें 5000 पाउंड वापस मिले थे. ऑस्ट्रेलिया वो मैच हार गया था.
मगर सबसे खतरनाक और इंट्रेस्टिंग किस्सा हुआ था 1979 में. 14 दिसंबर. सामने थी इंग्लैंड. जगह थी पर्थ. तीन मैच की टेस्ट सीरीज़ और ऑस्ट्रेलिया बैटिंग कर रही थी. ऑस्ट्रेलिया 232 पर 8 विकेट खोकर लटकी हुई थी. लिली बैटिंग करने आये. कैसे भी करके दिन खतम हुआ.
अगली सुबह लिली जब मैदान पर उतरे तो उनका बल्ला अलग ही चमक रहा था. उतना, जितना बल्ले को तेल पिलाने के बाद भी वो चमक नहीं सकता. मालूम पड़ा कि बल्ला लकड़ी का नहीं है. एल्युमिनियम का है.
बल्ले को लिली के एक दोस्त ने डिज़ाइन किया था. वो गोल्फ़ खेलता था. उसे इंस्पिरेशन मिली थी बेसबॉल के बल्ले से. क्यूंकि उसमें लकड़ी के परसेंट को घटाकर धातु जोड़ी जा रही थी. धातु भी एल्युमिनियम. लिली का वही दोस्त एक टेक्नीक लेकर आया जिससे क्रिकेट का बल्ला एल्युमिनियम से बनने लगा. लिली अपने उसी दोस्त का बिज़नेस पार्टनर बन गया और सालों बाद लिली ने बताया कि उस टेस्ट में वो बल्ला इस्तेमाल करना, एक प्रचार था.
खैर, दूसरे दिन की चौथी बॉल. इयान बॉथम को स्ट्रेट ड्राइव मारी. शॉट में सब कुछ ठीक था. बस आवाज़ कुछ अलग आई थी. हर कोई बल्ले और लिली की ओर देख रहा था. इंग्लिश कैप्टन ब्रेयरली ने अम्पायरों से इसकी शिकायत की. अम्पायरों ने आपस में बात की और लिली से बल्ला बदलने को कहा.
उधर पवेलियन में बैठे ग्रेग चैपल उस शॉट से नाराज़ थे. उनका कहना था कि बल्ला अगर पूरी तरह से लकड़ी का होता तो गेंद बाउंड्री पार जाती. लेकिन एल्यूमिनियम के बल्ले की वजह से गेंद पहले ही रुक गयी थी. उन्होंने अन्दर से लिली के लकड़ी के बल्ले भिजवाये. ट्वेल्वथ मैन के रूप में खेल रहे रॉड्नी हॉग. वही बल्ले लेकर मैदान में लिली के पास पहुंचे. अम्पायरों और लिली के बीच बहस चल रही थी. भारी वाली. इंग्लैंड के सभी प्लेयर्स बैठे हुए थे. क्राउड शोर मचा रही थी. हूटिंग कर रही थी.
डेनिस लिली अम्पायर की बात मानने को तैयार नहीं थे. हर कोई उन्हें और वो हर किसी को समझाना चाहते थे. 10 मिनट की इस बातचीत के बाद जब चैपल से नहीं रहा गया तो वो खुद पवेलियन से निकल आये. रास्ते में रॉड्नी हॉग से एक बल्ला लिया. और लेकर लिली की ओर बढ़ चले. लिली को समझ में आ गया था कि अब कोई ऑप्शन नहीं बचा है. उन्होंने बल्ला हवा में फेंक दिया. गुस्से में. लकड़ी वाला बल्ला थामा और मैच आगे बढ़ा.
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मैच ने डेनिस लिली की रेप्यूटेशन को गिरा दिया. उन्हें और भी बदनाम कर दिया. इसके बावजूद उन्हें पैसे खूब कमाने को मिले. एल्युमिनियम के बल्ले की सेल खूब बढ़ गयी. वो चूंकि बिज़नेस पार्टनर थे इसलिए उन्हें मुनाफ़ा हुआ. मगर कुछ दिन ही बाद ये नियम निकल गया कि क्रिकेट में इस्तेमाल किया जाने वाला बल्ला लकड़ी से ही बनेगा. बस.