The Lallantop
Advertisement

1992, 1996, 1999....आखिर कैसे लगा साउथ अफ्रीका पर चोकर्स का ठप्पा!

साउथ अफ्रीका खुद को चोकर्स साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ती.

Advertisement
South africa cricket, T20 world cup, Chokers
एक बार फिर चोक कर गई साउथ अफ्रीका (AP)
6 नवंबर 2022 (Updated: 6 नवंबर 2022, 16:47 IST)
Updated: 6 नवंबर 2022 16:47 IST
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

साउथ अफ्रीका (South Africa). स्पोर्ट्स जगत की सबसे अनलकी टीम्स में एक. ऐसा सिर्फ हम नहीं कह रहे, बल्कि टीम हर बड़े टूर्नामेंट के बाद इस बात को खुद साबित करती है. ऐसा ही कुछ इस बार T20 वर्ल्ड कप में भी हुआ है, जब टीम सेमीफाइनल में एक कदम रखने के बाद, इसमें जगह बनाने से चूक गई. रविवार, 6 नवंबर को नीदरलैंड्स के हाथों 13 रन की हार के साथ ही टीम के सेमीफाइनल में पहुंचने की सारी उम्मीदें खत्म हो गई हैं. और फिर वही हुआ, टीम के उपर लगा ‘चोकर्स’ का ठप्पा और गहरा हो गया. 

साल 1992 से क्रिकेट विश्व कप का हिस्सा बन रही इस टीम ने अब तक नौ विश्वकप खेले लेकिन कभी भी चैम्पियन नहीं बन सकी. ऐसा भी नहीं है कि इस टीम ने विश्व कप में किसी कमज़ोर टीम की तरह शुरुआत की और फिर शुरू में ही हारकर बाहर गए. इस टीम ने कई बार टूर्नामेंट में बेहतरीन क्रिकेट खेला लेकिन उसके बाद आखिरी वक्त पर ये टीम खिताब चूक गई. कभी खराब किस्मत तो कभी बड़ी गलतियों के कारण टीम 'चोकर' बन गई. अब इस टीम को चोकर क्यों कहते हैं, उसके बारे में बताते हैं.

#'चोकर' क्यों कहते हैं?

चोकर्स वाला टैग ‘चोक’ शब्द से बना है. जिसका मतलब अहम मौकों पर अटक जाना या रुक जाना होता है. ICC टूर्नामेंट के बड़े मैच या नॉकआउट मैचों में बिखर जाने के कारण इस धुरंधर टीम को चोकर्स कहा जाने लगा. विश्वकप में कई बार ख़ास मौकों पर अपने विरोधियों पर टूट पड़ने के बजाय यह टीम बिखर गई. चोकर्स वाले ठप्पे की शुरुआत तथाकथित दौर पर 1999 विश्व कप सेमीफाइनल में मिली हार के बाद हुई. लेकिन इस ठप्पे को मिलने की शुरुआत हुई साल 1992 और 1996 के वर्ल्ड कप में मिली हार के बाद.

तो आईये हम आपको बताते हैं कि दक्षिण अफ्रीकी टीम अहम मौकों पर कैसे कभी किस्मत से मात खा गई तो कभी अपने प्रदर्शन की वजह से चोक कर गई.

#1992 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल

साल 1992 का विश्व कप पाकिस्तान के नाम रहा. लेकिन पाकिस्तान जितनी ही चर्चा उस विश्वकप के बाद साउथ अफ्रीका टीम की भी रही. उस विश्वकप में रंगभेद नीतियों के कारण लगे बैन के कारण  साउथ अफ्रीका लंबे अर्से बाद इंटरनेशनल क्रिकेट में वापसी कर रही थी. लेकिन इस टूर्नामेंट में दक्षिण अफ्रीकी टीम ने अपने प्रदर्शन से सबको हैरान कर दिया. टीम ने लीग स्टेज में शानदार प्रदर्शन करते हुए सेमीफाइनल में अपनी जगह पक्की की. सेमीफाइनल में 22 मार्च को उसका सामना इंग्लैंड से हुआ.

जहां ICC के नियमों के चलते एक अजीब घटना घटी. इंग्लैंड से मिले 253 रन के लक्ष्य की तरफ दक्षिण अफ्रीकी टीम बढ़ती हुई दिख रही थी. टीम को आखिरी 13 गेंदों पर जीत के लिए 22 रन बनाने थे. उसी समय बारिश आ गई. कुछ वक्त बाद बारिश रुकी. लेकिन खेल पलट गया. दोबारा मैच शुरू होने से पहले उस समय के मोस्ट प्रोडक्टिव ओवर्स नियम के अनुसार दक्षिण अफ्रीकी टीम को 1 गेंद पर 21 रनों का असंभव लक्ष्य दे दिया गया. जिसे देखकर किसी को भी विश्वास नहीं हुआ. इस कारण दक्षिण अफ्रीका की टीम टूर्नामेंट से बाहर हो गई.

#1996 विश्व कप

पिछले विश्व कप की बात को भूलते हुए इस बार एक बार फिर साउथ अफ्रीका ने टूर्नामेंट में शानदार शुरुआत की. टीम ने ग्रुप स्टेज में पांच मुकाबलों में जीत हासिल कर क्वार्टर फाइनल में प्रवेश किया. लेकिन फिर आया नॉकआउट स्टेज. जहां क्वार्टर फाइनल में टीम को वेस्टइंडीज के हाथों 19 रन से हारकर टूर्नामेंट से बाहर होना पड़ा.

ये सब तो साउथ अफ्रीका के चोकर कहलाने से पहले वाली कहानी थी. क्योंकि असली पिक्चर अभी बाकी थी. 2019 विश्वकप फाइनल में इंग्लैंड और न्यूज़ीलैंड के मैच को हम सबने देखा. क्या कमाल का रोमांचक मैच था वो. लेकिन उससे पहले साल 1999 वर्ल्ड कप में एक सेमीफाइनल मुकाबला खेला गया था. ये मैच इतना रोमांचक था कि इसे सबसे बेहतरीन वनडे मुकाबलों में से एक गिना जाता है. ये मुकाबला 17 जून 1999 को ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के बीच खेला गया. आइये अब हम आपको उस मैच के बारे में बताते हैं, जिसे क्रिकेट इतिहास के सबसे रोमांचक मैचों में से एक माना जाता है.

#1999 विश्व कप सेमीफाइनल

एजबैस्टन के मैदान पर विश्व कप का सेमीफाइनल मुकाबला खेला गया. आमने-सामने ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका. मैच में दक्षिण अफ्रीका के कप्तान हैंसी क्रोन्ये ने टॉस जीतकर पहले फील्डिंग चुनी. उनका ये फैसला शुरुआत में सही साबित होता दिखा. एलन डोनाल्ड की अगुवाई में अफ्रीकी टीम ने ऑस्ट्रेलिया के टॉप ऑर्डर को तहस-नहस कर दिया. 68 के स्कोर तक कंगारू टीम के चार खिलाड़ी आउट हो चुके थे. जिनमें मार्क वॉ, एडम गिलक्रिस्ट, रिकी पोंटिंग और डेरेन लेहमैन जैसे दिग्गज शामिल थे.

इसके बाद भरोसेमंद माइकल बेवन ने अन्य खिलाड़ियों के साथ मिलकर छोटी-छोटी साझेदारियां निभाई. जिससे ऑस्ट्रेलियाई टीम 213 रनों के फाइटिंग स्कोर तक पहुंच गया. कंगारू टीम के लिए बेवन ने 65 रन बनाए. जबकि स्टीव वॉ ने 56 रनों की पारी खेली. दक्षिण अफ्रीका के लिए शॉन पोलॉक ने पांच और एलन डोनाल्ड ने 4 विकेट हासिल किए.

214 रनों के लक्ष्य के जवाब में गैरी कर्स्टन और हर्शल गिब्स ने टीम को अच्छी शुरुआत दी और पहले विकेट के लिए 48 रन जोड़े. लेकिन इसके बाद शेन वॉर्न का जादू चला. वॉर्न ने लगातार ओवरों में दोनों खिलाड़ियों को चलता कर दिया. कप्तान के विकेट के साथ 61 रन तक चार विकेट गवांकर साउथ अफ्रीका की टीम मुश्किल में थी. जिसके बाद जैक कैलिस ने जोंटी रोड्स के साथ मिलकर पांचवें विकेट के लिए 84 रन जोड़े और टीम के स्कोर को 150 के पार पहुंचाया. इसके बाद फिर टीम ने लगातार अंतराल पर विकेट गंवाए और टीम का स्कोर नौ विकेट खोकर 198 रन हो गया.

#डॉनल्ड ने डुबोई लुटिया

टीम मुश्किल में थी. लेकिन साउथ अफ्रीका के लिए राहत की बात ये थी कि टूर्नामेंट के सबसे बेहतरीन खिलाड़ी लांस क्लूज़नर अब भी क्रीज पर मौजूद थे. उनके साथ थे एलन डोनाल्ड. टीम को जीत के लिए आखिरी आठ गेंद में 16 रन चाहिए थे. यहां क्लूजनर ने मैक्ग्रा के ओवर की पांचवीं गेंद पर छक्का जड़ दिया. फिर एक रन लेकर स्ट्राइक अपने पास रखी. अब टीम को आखिरी ओवर में 9 रन चाहिए थे. मुकाबला पूरी तरह से साउथ अफ्रीका के पक्ष में था. इसके बाद क्लूजनर ने कमाल करते हुए डेनियल फ्लेमिंग की पहली दो गेंदों पर दो चौके जड़ मैच को टाई कर दिया. 
 

डॉनल्ड और क्लूजनर के तालमेंल में हुई थी गलती (ICC)

दक्षिण अफ्रीका अपने पहले फाइनल के काफी करीब पहुंच चुका था. टीम को जीत के लिए महज एक रन की ज़रूरत थी. इसमें भी स्ट्राइक पर क्लूज़नर थे. क्लूजनर ने ओवर की तीसरी बॉल को मिड ऑन की ओर खेला. जिसे डेरेन लेहमन ने पकड़ तुरंत नॉन स्ट्राइक ऐंड पर फेंका. जहां डोनाल्ड क्रीज़ से बाहर थे और वह रन आउट होने से बाल-बाल बचे. ये साउथ अफ्रीका के लिए एक वॉर्निंग थी. ओवर की चौथी गेंद पर क्लूजनर ने गेंद को मिड ऑन की तरफ धकेला और रन के लिए भागे. लेकिन नॉन स्ट्राइकर एंड पर खड़े एलन डॉनल्ड की नजरें गेंद की तरफ थी. जब तक वो संभल पाते तब तक फ्लेमिंग ने गेंद गिलक्रिस्ट के दस्तानों में दे दी. और उन्होंने गिल्लियां बिखेर दक्षिण अफ्रीका की उम्मीदों को खत्म कर दिया.

मैच का स्कोर बराबर होने के बाद भी ऑस्ट्रेलिया फाइनल में पहुंच गई. क्योंकि सुपर सिक्स राउंड में ऑस्ट्रेलिया ने दक्षिण अफ्रीका को हराया था. ये वही मैच था जिसमें गिब्स ने स्टीव वॉ का कैच छोड़ा था. जिसके बाद वॉ ने उनसे वर्ल्ड कप गिराने की बात कही थी. साथ ही ऑस्ट्रेलिया का रन रेट भी उनसे बेहतर था. इस मैच की हार ने साउथ अफ्रीका के ऊपर चोकर्स का टैग चस्पा कर दिया. 

मैथ्यू वेड Eng vs SL मैच पर ऐसी बात कही है जो सुननी चाहिए

thumbnail

Advertisement

election-iconचुनाव यात्रा
और देखे

Advertisement

Advertisement

Advertisement