उस मैच की कहानी जब गावस्कर ने रन ना बनाने की कसम खा ली थी!
Virat Kohli को लेकर कमेंट के बाद फैन्स Sunil Gavaskar को लगातार घेर रहे हैं. इस दौरान गावस्कर की 174 गेंद पर 36 रन की पारी को लेक दिया गया इंटरव्यू सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
दिग्गज इंडियन क्रिकेटर सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) इन दिनों काफी चर्चा में हैं. वजह है हाल में उनकी तरफ से विराट कोहली (Virat Kohli) को लेकर दिया गया बयान. दरअसल, गावस्कर ने IPL 2024 के दौरान विराट कोहली के स्ट्राइक रेट पर कॉमेंट किया था. जिसके बाद कोहली ने बिना किसी का नाम लिए कॉमेंटेटर्स पर हमला बोला था. कोहली ने कहा था कि उन्हें बाहर के शोर से फर्क नहीं पड़ता.
कोहली के इस बयान को काफी हद तक गावस्कर से जोड़कर देखा गया. जिसके बाद गावस्कर की तरफ से प्रतिक्रिया आई. इस बार उनके रिएक्शन में और भी ज्यादा तीखापन था. गावस्कर ने 4 मई को RCBvsGT गेम से पहले कोहली को खूब सुनाया. गावस्कर ने प्री-मैच शो में कोहली को लेकर काफी कुछ कहा. जिसके बारे में ज्यादा पढ़ने के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं.
कोहली के साथ इस विवाद के बाद गावस्कर के एक पुराने इंटरव्यू का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा. ये इंटरव्यू उनकी 174 गेंद पर खेली गई 36 रन्स की पारी को लेकर था. इस वायरल वीडियो में गावस्कर अपने स्ट्राइक रेट को डिफेंड करते हुए नजर आ रहे हैं. अपनी पारी को लेकर गावस्कर ने कहा था,
‘ऐसा लगा होगा आपको कि मैंने स्लो खेला था, लेकिन शायद हमारे गेंदबाजों ने कुछ ज्यादा रन दे डाले थे.’
दरअसल, गावस्कर यहां अपनी जिस पारी को डिफेंड करते नजर आ रहे हैं, उस मुकाबले में इंडियन टीम को इंग्लैंड के खिलाफ 202 रनों से हार का सामना करना पड़ा था. हम आपको साल 1975 की उसी 'यादगार' इनिंग की कहानी बताने जा रहे हैं.
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अंत तक रहे थे नाबाददरअसल, जिस मैच की बात हो रही वो पहले वनडे विश्व कप का सबसे पहला मैच था. यानी 1975 वर्ल्ड कप. शनिवार का दिन था. आमने सामने थीं भारत और इंग्लैंड की टीम्स. मैदान क्रिकेट का मक्का− लार्ड्स. उन दिनों वर्ल्ड कप क्या, पूरे वनडे क्रिकेट का आइडिया ही क्रिकेटर्स के लिए नई चीज़ थी. चार ही साल तो हुए थे, जब एक प्रयोग के तौर पर खेला गया इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया वनडे मैच दर्शकों में गज़ब लोकप्रिय हुआ था. वहीं से विश्व कप का आइडिया निकला. उन दिनों वनडे 60 ओवर के हुआ करते थे. तो 7 जून के इस मैच में इंग्लैंड पहले खेलने उतरा और 60 ओवर में 334 का स्कोर बनाया. इंग्लैंड की तरफ से डेनिस एमिस ने 147 बॉल खेलकर 137 रन बनाए. स्ट्राइक रेट था 93.19. उस ज़माने के हिसाब से गजब का स्ट्राइक रेट. काइथ फ्लेचर ने 68 रन की पारी खेली. जबकि क्रिस ओल्ड 30 गेंद पर 51 रन बनाकर नॉट आउट रहे.
जवाब में भारत के लिए सुनील गावस्कर ओपनिंग पर उतरे. गावस्कर पूरे 60 ओवर तक मैदान पर रहे और 174 बॉल का सामना किया. लेकिन एक चौके की मदद से रन बनाए केवल 36. टीम इंडिया 3 विकेट खोकर 132 रन ही बना पाई. पूरे 60 ओवर खेलकर. एकनाथ सोल्कर ने 34 गेंद पर 8, अंशुमन गायकवाड़ ने 46 गेंद पर 22 और गुंडप्पा विश्वनाथ ने 59 गेंद पर 37 रन की पारी खेली. जबकि बृजेश पटेल ने 57 गेंद पर नाबाद 19 रन बनाए थे.
ये क्या हुआ, कैसे हुआ. पूरा क्रिकेट वर्ल्ड हक्का-बक्का था. उस मैच में अंशुमन गायकवाड़ भी खेल रहे थे. मैच में टीम के माहौल को याद करते हुए वो कहते हैं,
“पूरी टीम के खिलाड़ियों को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था. सभी हैरानी में थे कि गावस्कर जैसा दिग्गज बल्लेबाज ऐसी बल्लेबाजी कैसे कर सकता है.”
खुद सुनील गावस्कर ने अपनी आत्मकथा 'सनी डेज' में कबूला है कि वह पारी उनके क्रिकेट करियर की सबसे घटिया पारी थी. भारतीय टीम वो मैच 202 रन से हारी थी. आश्चर्य ये था कि गावस्कर इस दौरान आउट भी नहीं हुए.
धीमी पारी की वजह?वैसे मैच में उनकी इस धीमी पारी के पीछे, कई अलग-अलग वजहें हो सकती थीं. (इनमें व्यंग्य भी शामिल है)
1. वनडे क्रिकेट में उस समय 300 का स्कोर जीत की गारंटी माना जाता था. ऐसे में हार तो भारत अपनी पारी शुरु होने के पहले ही मान चुका था. लेकिन उस विश्वकप का ढांचा कुछ ऐसा था कि दो टीमों के बराबर रहने पर बेहतर नेट रन रेट वाली टीम आगे जाएगी. ऑल आउट होने से भारत को नेट रन रेट का नुकसान हो सकता था, इसलिए गावस्कर रन ना बनने के बाद भी मैदान पर डटे रहे.
2. दूसरी उड़ती हुई अफवाह ये थी कि गावस्कर टीम के चयन से नाखुश थे. वर्ल्ड कप के लिए सेलेक्शन टीम ने फ़ास्ट बॉलर्स की जगह स्पिनर्स को मौका दिया था. यही गावस्कर की नाराजगी की वजह थी. क्योंकि पिछले इंग्लैंड दौरे में स्पिनर्स बुरी तरह फ्लॉप रहे थे, और वैसे भी इंग्लैंड में सीजन के पहले हिस्से में स्पिनर्स कम ही चलते हैं.
3. अफ़वाह तो ये भी थी कि गावस्कर विश्व कप के लिए वेंकटराघवन के कप्तान चुने जाने से गुस्सा थे.
4.गावस्कर को खास 'टेस्ट क्रिकेट' के लिए बना आदर्श ओपनर गिना जा सकता है. उनकी विकेट पर टिकने की क्षमता और तेज़ गेंदबाज़ी को खेलने की काबिलियत इसकी गवाही देती थी. ऐसे में कई टेस्ट क्रिकेट को चाहनेवाले तो ये भी मानते हैं कि गावस्कर यह पारी अपने प्यारे टेस्ट क्रिकेट की ओर से, और नए फॉर्मेट वनडे क्रिकेट के विरोध में खेल रहे थे.
लेकिन ऐसा कुछ था नहीं. खुद गावस्कर ने बाद में कहा था कि उन्होंने कई बार स्टंप इस तरह छोड़े कि बोल्ड हो जाएं. यही एक तरीका था, जिससे वो उस समय के मेंटल प्रेशर से बच सकते थे, लेकिन वो रन नहीं बना पा रहे थे और न ही आउट हो पा रहे थे. गावस्कर के मुताबिक उनकी स्थिति एक मशीन जैसी थी, जो सिर्फ चल रही थी.
वैसे इसे दिलचस्प संयोग ही कहा जाएगा कि अपने पहले वर्ल्डकप में नाबाद 36 रन की धीमी इनिंग खेलने वाले गावस्कर ने अपने आखिरी वर्ल्डकप में 88 गेंद पर नाबाद 103 रन की विस्फोटक पारी खेली. साल 1987 में भारत में हुए इस वर्ल्ड कप में गावस्कर ने न्यूजीलैंड के खिलाफ ये ऐतिहासिक पारी खेल टीम को 9 विकेट से जीत दिलाई थी. उनके वनडे करियर की बात करें तो गावस्कर ने 108 मुकाबले खेले थे. जिनमें उनके नाम 35.13 की औसत से कुल 3092 रन रहे, जबकि स्ट्राइक रेट 62.26 का रहा.
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