पुलवामा हमला: शहादत के समय चार महीने की प्रेगनेंट थी पत्नी, अब किस हाल में है परिवार?
जिस नौकरी में शहीद हुए, उसी नौकरी से परिवार को झोपड़ी से पक्के मकान में पहुंचाया.
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शहीद का नाम- सी सिवाचंद्रन
उम्र- 38 साल
14 फरवरी, 2019 को CRPF का एक कारवां सड़क के रास्ते जम्मू से श्रीनगर जा रहा था. कारवां में 78 गाड़ियां थीं. एक फिदायीन हमलावर ने विस्फोटक से भरी एक SUV के साथ इस कारवां के एक बस में टक्कर मारी. धमाके में 40 जवान शहीद हो गए. शहीद होने वालों में एक नाम सिवाचंद्रन का भी था.
शहादत से एक हफ़्ते पहले ही छुट्टी मनाकर घर से लौटे थे
तमिलनाडु के अरियालुर में एक गांव है- करकुड़ी. यहीं के रहने वाले थे सिवाचंद्रन. शहीद होने से पहले छुट्टियों में घर आए थे. परिवार को साथ लेकर केरल के सबरीमला मंदिर गए थे. एक हफ़्ते पहले, 9 फरवरी को ही वापस ड्यूटी जॉइन करने लौटे थे. उनकी मौत के बाद परिवार में पीछे छूट गए कुल चार लोग. मां सिंगारावल्ली, पिता चिन्नाइयन, पत्नी गंधीमति और दो साल का बेटा सिवमुनियन. और, उनकी पत्नी के गर्भ में चार महीने का बच्चा.
सिवाचंद्र चार भाई-बहन थे. दो भाई, दो बहनें. बहनों की शादी हो गई. छोटा भाई था सेलवाचंद्रन. चेन्नै में नौकरी करता था. 2018 में वहीं पर एक हादसे में सेलवाचंद्रन की मौत हो गई थी.
फोर्स जॉइन करने से पहले टीचर थे सिवाचंद्रन CRPF की ये नौकरी जॉइन करने से पहले सिवाचंद्रन एक स्थानीय स्कूल में बच्चों को पढ़ाते थे. खेतिहर मज़दूरी करने वाला उनका परिवार तब एक झोपड़ी में रहा करता था. साल 2010 में सिवाचंद्रन की CRPF में नौकरी लगी. तब से ही वो जम्मू-कश्मीर में तैनात थे. नौकरी के चार बरस बाद, साल 2014 में शादी हुई थी. वो अपने परिवार की रोज़ी-रोटी का इकलौता ज़रिया थे. सिवाचंद्रन की ही कमाई की बदौलत उनके परिवार को पक्का मकान मिला. पति के शहीद होने के बाद गंधीमति ने बताया था,"तुम्हारे शौर्य के गीत, कर्कश शोर में खोये नहीं। गर्व इतना था कि हम देर तक रोये नहीं।"
WE DID NOT FORGET, WE DID NOT FORGIVE: We salute our brothers who sacrificed their lives in the service of the nation in Pulwama. Indebted, we stand with the families of our valiant martyrs. pic.twitter.com/GfzzLuTl7R — 🇮🇳CRPF🇮🇳 (@crpfindia) February 13, 2020
मेरे पति जब छुट्टियां मनाने के बाद वापस ड्यूटी जॉइन करने तीन दिन पहले दिल्ली पहुंचे, तब मैंने उनसे बात की थी. मैंने उनसे कहा, सुरक्षित रहें. उन्होंने कहा, चिंता मत करो और बेटे का ध्यान रखो. उन्हें देश की सेवा करने पर बड़ा गर्व था.
सिवाचंद्रन के अंतिम संस्कार से एक तस्वीर आई थी. इसमें उनका दो साल का बेटा अपने पिता की यूनिफॉर्म पहने मां की गोद में दिखा. बड़े होकर जब वो इस तस्वीर को देखेगा, तब कितनी बातें झकझोरेंगी उसे. एक साल बाद क्या स्थिति है परिवार की? सिवाचंद्रन की पत्नी गंधीमति को गांव में ही एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर की नौकरी मिल गई है. पति की मौत के समय वो गर्भवती थीं. उन्होंने एक बच्ची को जन्म दिया, जो अब चार महीने की हो गई है. उनकी इतनी ही ख़्वाहिश है कि उनके बच्चे खूब पढ़ें. क्योंकि उन्होंने अपने पति को ये वायदा दिया था. गंधीमति ने 'इंडिया टुडे' को बताया कि पति की शहादत के बाद कई लोगों ने उनकी मदद की. केंद्र और राज्य, दोनों सरकारों ने 20-20 लाख रुपये दिए उनके परिवार को. हालांकि सिवाचंद्रन की मौत के बाद कई नेता भी उनके घर आए थे. उन्होंने मदद का आश्वासन भी दिया था. मगर उन लोगों की ओर से अब तक कोई मदद नहीं मिली है. तमिलनाडु सरकार अरियालुर में एक स्मारक बनवा रही है शहीद सिवाचंद्रन के नाम पर. इन सबकी ख़बर तो है सिवाचंद्रन के परिवार को. मगर पुलवामा हमले से जुड़ी किसी जांच या जांच कहां तक पहुंची, इस बारे में उन्हें कोई मालूमात नहीं.Tributes to the brave martyrs who lost their lives in the gruesome Pulwama attack last year. They were exceptional individuals who devoted their lives to serving and protecting our nation. India will never forget their martyrdom.
— Narendra Modi (@narendramodi) February 14, 2020
पुलवामा में CRPF पर हुए आतंकवादी हमले में इतने जवान कैसे शहीद हुए?