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टीम इंडिया जितने रन बनाकर जीती, उसमें 85% तो अकेले पृथ्वी शॉ ने बनाए हैं

क्रिकेट का मैदान देखते ही ये लड़का घोड़ा हो जाता है.

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पृथ्वी शॉ.
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विशाल
17 जनवरी 2018 (Updated: 17 जनवरी 2018, 06:36 AM IST) कॉमेंट्स
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पृथ्वी शॉ. महाराष्ट्र के दाएं हाथ के बल्लेबाज, जिनका सालभर से नाम जपा जा रहा है. हो सकता है आप एक बार को इन्हें देखकर न पहचान पाएं, लेकिन इनका नाम मुल्क का हर क्रिकेट-प्रेमी सुन चुका है. इस बार इनका ज़िक्र इसलिए, क्योंकि अंडर-19 वर्ल्ड कप में इन्होंने एक बार फिर बाजा फाड़ दिया है.

न्यूज़ीलैंड में चल रहे अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्ड कप में 16 जनवरी को टीम इंडिया का दूसरा मैच था. पपुआ न्यू गिनी की टीम के साथ. क्रिकेट यकीनन अनिश्चितताओं का खेल है, लेकिन अगर ऐसे मैचों में कमज़ोर टीम जीतती है, तो इसे उलटफेर का दर्जा दिया जाता है. अपवाद जैसा. पर इंडिया के इस मैच में उलटफेर जैसा कुछ नहीं हुआ. इंडिया ने शानदार ढंग से मैच जीता और पृथ्वी ने जोरदार ढंग से दिल जीता.


टॉस के दौरान पपुआ न्यू गिनी के कप्तान के साथ पृथ्वी
टॉस के दौरान पपुआ न्यू गिनी के कप्तान के साथ पृथ्वी

पपुआ न्यू गिनी की टीम ने कुल 64 रनों का स्कोर खड़ा किया. इंडिया को मैच जीतने के लिए टारगेट मिला 65 रन का. पपुआ न्यू गिनी के ये रन कैसे बने थे, ये भी जान लीजिए. 61 रनों तक टीम के चार विकेट ही गिरे थे. पर उसके बाद...


61/461/562/662/763/864/964/10... बस

इंडिया की तरफ से मैच जीतने उतरे कप्तान पृथ्वी शॉ और मनजोत कालरा. मैच वैसे भी देर तक नहीं चलना था, लेकिन पृथ्वी ने इसे आठ ओवरों में ही खत्म कर दिया. और इंडिया की इस जीत में 85% रन तो खुद पृथ्वी ने ही बनाए.


दूसरे ओपनर मनजोत ने 9 गेंदों पर 9 रन बनाए. एक चौका मारा. लेकिन पृथ्वी ने 39 गेंदों में 57 रन कूट दिए. एक भी सिक्स नहीं, लेकिन 12 चौके. मैच खत्म भी किया तो चौके के साथ. एकदम शाही अंदाज़ में. पूरे आठ ओवर में कुल 67 रन बने और इंडिया 10 विकेट से मैच जीत गया.

टीम के कुल रनों में से 85% रन अकेले.

माना कि टारगेट छोटा था, लेकिन उसमें भी ऐसी सधी हुई आक्रामक बल्लेबाजी! ये बताता है कि क्यों इस लड़के की सचिन तेंडुलकर से तुलना की जा रही है. अंडर-19 वर्ल्ड कप में ही टीम इंडिया का पहला मैच ऑस्ट्रेलिया के साथ पड़ा था. 14 जनवरी को. टीम इंडिया ने 328 रन बनाकर ये मैच 100 रनों से जीता और पृथ्वी ने इसमें 94 रनों की पारी खेली. पृथ्वी की बैटिंग के दौरान कई ऐसे पल आए, जब देखने वालों ने कहा कि ये लड़का तेंदुलकर के नक्शे-कदम पर है.


ये महत्वपूर्ण है कि करियर के इतने शुरुआती पड़ाव और इतनी कम उम्र में किसी पर उम्मीदों का इतना बोझ नहीं लादा जाना चाहिए. पर ये बेहतर है कि पृथ्वी लगातार शानदार परफॉर्म कर रहे हैं. 1 जनवरी 2017 को उन्होंने अपना फर्स्ट क्लास क्रिकेट करियर शुरू किया था और अगले 11 महीनों में खेले 7 फर्स्ट क्लास मैचों में वो 5 सेंचुरी लगा चुके थे. उन्होंने अपने पहले रणजी मैच में सेंचुरी मारी थी, फिर रणजी और दुलीप ट्रॉफी के फाइनल में सेंचुरी मारी.


पृथ्वी के इसी टैलेंट के बूते उन्हें न्यूजीलैंड के भारत दौरे के दौरान इंडियन बोर्ड प्रेसिडेंट XI का भी हिस्सा बनाया गया था. इसमें पृथ्वी ने 66 रनों की पारी खेली थी, वो भी टिम साउदी और ट्रेंट बोल्ट जैसे पेस अटैक के सामने.

पृथ्वी ने 3 साल की उम्र से क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था. तब उनकी हाइट स्टंप से भी कम होती थी. 7-8 साल की उम्र में वो 11-12 साल के बच्चों के साथ प्रैक्टिस करने लगे थे और अभी वो सिर्फ 12वीं में हैं, लेकिन महाराष्ट्र में दूर-दूर से लोग उनका गेम देखने आते हैं. जब वो चार साल के थे, तभी उनकी मां गुज़र गई थीं. फिर बेटे के क्रिकेट करियर को शेप देने के लिए पिता ने भी अपना कपड़ों का बिजनेस छोड़ दिया. Beyond All Boundaries नाम की डॉक्युमेंट्री में आप पृथ्वी के बारे में और भी बहुत कुछ जान सकते हैं.

prithvi

दी लल्लनटॉप की तरफ से पृथ्वी को गुड लक. वो ऐसे ही अच्छा खेलते रहें और खेलते रहें.




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