धोनी के 'धोनी' होने का सीक्रेट बता गए प्रवीण कुमार
प्रवीण कुमार ने बताया कि धोनी भाई बहुत कमाल के इंसान हैं, वो बहुत सीधे आदमी हैं.
![praveen kumar on mahendra singh dhoni sharp mind on cricket field](https://static.thelallantop.com/images/post/1704476551638_pk_ms_dhoni.webp?width=540)
लल्लनटॉप के चर्चित शो 'गेस्ट इन द न्यूजरूम' में इस बार भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व तेज गेंदबाज प्रवीण कुमार (Praveen Kumar) अपने किस्से सुनाने आए. कुमार ने अपने करियर, भारतीय टीम से पहली बार कॉल आने, 2011 वर्ल्ड कप में न खेल पाने पर बात की. साथ ही उन्होंने पूर्व कैप्टन महेंद्र सिंह धोनी के बारे में भी बात की. प्रवीण से सवाल किया गया कि उनके पहले कप्तान महेंद्र सिंह धोनी कैसे व्यक्ति हैं? मुलाकात या फोन पर बात होती है?
इस सवाल पर प्रवीण कुमार ने बताया,
कोचिंग ऑफर पर क्या बताया?“धोनी भाई बहुत कमाल के इंसान हैं. दिमाग का तो सभी लोग जानते हैं कि उनका दिमाग कम्प्यूटर की तरह तेज चलता है. बाकि वो बहुत सीधे आदमी हैं. हमारी अभी भी बात हो जाती है कभी-कभी घुमा फिरा कर. साल या दो साल में एक बार तो हो ही जाती है. घुमा-फिरा कर इसलिए क्योंकि वो फोन नहीं रखते हैं. अगर रखते भी हैं तो कई-कई दिनों तक चेक नहीं करते. तो बस कहीं से मैसेज देना पड़ता है कि भैया को एक बार प्रणाम कर लें. हम लगभग पांच साल पहले मिले भी थे.”
प्रवीण कुमार ने कोच बनने को लेकर आए ऑफर से जुड़े सवाल पर बताया,
2011 वर्ल्ड कप न खेल पाने का मलाल!“नहीं, ऑफर नहीं आया क्योंकि मैं जी-हुजूरी नहीं कर सकता जरा सी भी. यसमैन तो बनना पड़ता है न कोच बनने के लिए. जी-हुजूरी करनी पड़ती है उसकी, जो आपको कोच बनवाता है. ऐसा होता है कि यार प्लीज देख लेना मेरा कुछ हो जाए तो. ये मेरे से नहीं होता है. मेरा तो सीधा फंडा है कि तुझे रखना है तो रख, मुझसे ये सब चापलूसी नहीं होती है.”
2011 वनडे वर्ल्ड कप न खेल पाने पर प्रवीण कुमार ने बताया,
“उस समय मेरी एल्बो में चोट लगी थी. एल्बो की हड्डी बढ़ गई थी. पहले मैंने सोचा कि चलने दो, बड़ा टूर्नामेंट है. कई खिलाड़ी बड़े टूर्नामेंट के लिए चोट छिपा लेते हैं, मैंने भी यही सोचा. मैं NCA (नेशनल क्रिकेट अकादमी) चला गया. मैंने कोशिश की कि सब सही हो जाए. फिर वहां बेंगलुरु में आशीष कौशिक हमारे फीजियो थे. उसी समय NCA के डायरेक्टर थे संदीप पाटिल सर. संदीप सर ने कहा कि पीके ये दिमाग से सोचने का समय है, दिल से नहीं. उन्होंने कहा कि तू देख ले फिर.”
प्रवीण ने आगे बताया कि इसके बाद उन्होंने बॉल फेंकने की कोशिश की. उन्होंने कहा,
“हाथ से थ्रो ही नहीं हो रहा था. फिर आशीष ने मुझसे पूछा कि क्या करना है, मैंने कहा कि अब क्या कर सकते हैं. इसके बाद मैं घर आ गया. लेटा रहा. एल्बो में ज्यादा लग गई थी तो वर्ल्ड कप नहीं खेल पाया.”
प्रवीण ने बताया कि इसके बाद उनकी जगह श्रीसंत आए, उनका डेब्यू हुआ. एल्बो की चोट सर्जरी के बाद ही सही हुई फिर. जब उन्होंने सेलेक्टर्स को फोन किया तो मन में सिर्फ इतना ही था कि टीम का नुकसान नहीं होना चाहिए, खुद का हो जाए तो हो जाए.
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