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कोविड के दौरान जॉर्जिया में फंसीं लिंथोई चानमबम, अब बनी वर्ल्ड चैंपियन!

लिंथोई ने 15 साल की उम्र में ही बहुत कुछ जीत लिया है.

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Linthoi Chanambam wins gold at World Judo Championships 2022
लिंथोई चानमबम (बाएं से दूसरी) (Courtesy: Twitter)
26 अगस्त 2022 (Updated: 26 अगस्त 2022, 24:21 IST)
Updated: 26 अगस्त 2022 24:21 IST
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लिंथोई चानमबम (Linthoi Chanambam). भारत की युवा जूडोका. 15 साल की लिंथोई ने शुक्रवार 26 अगस्त को इतिहास रच दिया है. लिंथोई पहली भारतीय बनी हैं जिन्होंने वर्ल्ड जूडो चैंपियनशिप्स में कोई मेडल जीता है. लिंथोई ने साराजेवो में चल रही वर्ल्ड चैंपियनशिप्स में गोल्ड मेडल जीता है. अंडर-18 कैटेगरी में लिंथोई का सामना ब्राजिल की बियान्का रेइस से हुआ. उन्होंने ये मैच 1-0 से जीत वर्ल्ड चैंपियनशिप्स में इंडिया का खाता खोल दिया है.

फाइनल में पहुंचने से पहले लिंथोई ने लगातार चार मैच ईप्पो से जीते. बॉस्निया और हर्ज़ेगोविना की राजधानी में चल रहे इस टूर्नामेंट में लिंथोई ने शुरुआत से ही अपना दबदबा बनाए रखा. लिंथोई ने न सिर्फ इस टूर्नामेंट में इंडिया को पहला मेडल दिलाया, बल्कि गोल्ड जीतकर वर्ल्ड चैंपियन भी बन गईं. 15 साल की लिंथोई भारत सरकार की TOPS स्कीम का भी हिस्सा हैं. 2017 में सब-जूनियर नेशनल चैंपियनशिप्स में गोल्ड जीतकर लिंथोई ने अपने आगाज़ की दस्तक दे दी थी. इसके बाद से ही लिंथोई इंस्पायर इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स में ट्रेनिंग कर रही हैं.

गोल्ड मेडल जीतने के बाद एक बातचीत में लिंथोई ने कहा -

‘मैं बता नहीं सकती कि मैं कैसा महसूस कर रही हूं. लेकिन मुझे जीत की बेहद खुशी है.’

शुक्रवार की ऐतिहासिक जीत से पहले लिंथोई ने 2021 में नेशनल कैडेट जूडो चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था. और इसके बाद उन्होंने लेबनान के बेरूत में एशिया-ओशिनिया कैडेट जूडो चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज़ मेडल जीता था.

कौन हैं लिंथोई चानमबम?

मणिपुर से आने वाली लिंथोई से जुड़ा एक खास किस्सा आपको सुनाते हैं. 2020 में जूडो इंटरनेशनल ग्रां प्रीं के लिए लिंथोई जॉर्जिया गई थीं. इसके बाद कोविड शुरू हो गया. लिंथोई के साथ देव थापा और जसलीन सैनी भी जॉर्जिया में ही फंस गए. इन सबको जॉर्जिया के महान कोच मामुका किजिलाशवीली ने सहारा दिया. किजिलाशवीली इन सभी इंडियन प्लेयर्स को अपने गांव ले गए और वहां इनके लिए रहने की व्यवस्था की. किजिलाशवीली ने इन तीनों के लिए काम भी खोजा और इनकी ट्रेनिंग भी कराई. 

आठ महीने के बाद लिंथोई, देव और जसलीन घर वापस आए. इसके बाद लिंथोई ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन दिनों को याद करते हुए लिंथोई ने स्पोर्ट्स ट्रम्पेट से कहा था -

‘हम पागल हो गए थे जब हमें पता चला हम वापस इंडिया नहीं जा पाएंगे. मेरे पास उस वक्त फोन तक नहीं था. मेरे परिवार वाले बहुत परेशान हो गए थे. मामुका के परिवार ने मुझे संभाला और अपने परिवार की तरह ही रखा. मैंने वहां सब कुछ किया - ट्रेनिंग, खेती. मैं आसपास के गांव भी घूमने गई.’ 

ट्रेनिंग के चलते लिंथोई हर साल सिर्फ एक बार अपने घर जाती हैं. इसी बातचीत के दौरान उन्होंने बताया -

‘यह आसान नहीं है. कॉम्बैट स्पोर्ट्स में दूसरों पर बढ़त हासिल करना कठिन है. लेकिन सोचने और चीजों को अलग तरह से करने से मदद मिलती है.’

लिंथोई का मानना है कि 2019 में जापान में सुकुबा यूनिवर्सिटी में तीन सप्ताह का कैंप उनके करियर में अहम मोड़ था. इस गोल्ड मेडल के साथ लिंथोई ने भारत के लिए इतिहास रच दिया है. अब इंडियन फ़ैन्स की नज़र लगातार उन पर बनी रहेगी. 

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