क्या ट्रंप ने अपने फायदे के लिए जूलियन असांजे को माफ़ करने का ऑफर भिजवाया?
जूलियन असांजे को अगर अमेरिका में दोषी पाया जाता है, तो उन्हें 175 साल तक की जेल हो सकती है.
ट्रंप के मार्फ़त ये प्रस्ताव मिलने की बात असांजे के वकीलों ने लंदन की एक अदालत को बताई. अदालत के जज ने इसे बतौर सबूत मंजूर कर लिया है. असांजे के पास कौन लेकर गया ऑफर? रिपब्लिकन पार्टी के एक नेता हैं- डेना रोराबैकर. वो 2018 तक अमेरिकी संसद के 'हाउस ऑफ रेप्रेजेंटेटिव्स' का हिस्सा थे. अगस्त 2017 में डेना लंदन आए थे. इसी दौरान उन्होंने असांजे को एक प्रस्ताव दिया. असांजे के वकीलों का कहना है कि ये ऑफर देते हुए डेन ने कहा कि वो राष्ट्रपति ट्रंप के निर्देशों के मुताबिक ये ऑफर दे रहे हैं. अगर असांजे मुआफ़ी चाहते हैं, तो इसके एवज़ में उन्हें ये कहना होगा कि डेमोक्रैटिक नैशनल कमिटी के ईमेल्स लीक होने के पीछे रूस का कोई हाथ नहीं था.Julian Assange court appearance today- His lawyer mentioned a statement, that alleges former US Congressman Dana Rohrabacher visited Assange, saying he was there on behalf of the President, offering a pardon if JA would say Russia had nothing to do with DNC leaks. @SBSNews
— Ben Lewis (@benlewismedia) February 19, 2020
कौन सा ईमेल लीक? जिन ईमेल्स के लीक होने की बात है, उनकी वजह से 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप को काफी फायदा हुआ था. चुनाव से कुछ समय पहले लीक हुए इन ईमेल्स ने डेमोक्रैटिक पार्टी की प्रत्याशी हिलरी क्लिंटन को काफी नुकसान पहुंचाया था. उन्हें लेकर एक स्कैंडल का माहौल तैयार हुआ. इन ईमेल्स को लीक किया था विकीलीक्स ने. इस लीक की टाइमिंग काफी दिलचस्प थी. उस वक़्त ट्रंप का एक पुराना टेप आया. इसमें वो एक महिला को मॉलेस्ट करने पर शेखी बघारते दिखे. इसे लेकर ट्रंप की काफी आलोचना हुई. इसके ही कुछ घंटों बाद WikiLeaks ने हिलरी क्लिंटन से जुड़े इन ईमेल्स को लीक कर दिया. इस लीक के पीछे रूस का हाथ बताया गया. आरोप लगा कि रूस ने ट्रंप को फायदा पहुंचाया. रूसी लिंक के आरोप पूरे कार्यकाल में ट्रंप के साथ लगे रहे. ऑफर देने वाले ने क्या कहा है? डेना रोराबैकर ने असांजे के वकीलों द्वारा किए गए इस दावे को ग़लत बताया है. उनके मुताबिक, उन्होंने असांजे को ये प्रस्ताव ज़रूर दिया था. लेकिन ट्रंप या वाइट हाउस के कहने पर नहीं. ख़ुद अपनी इच्छा से उन्होंने ये पहल की थी. डेन का कहना है-Chronology matters: The meeting and the offer were made ten months after Julian Assange had already independently stated Russia was not the source of the DNC publication. The witness statement is one of the many bombshells from the defence to comehttps://t.co/XsAmJe6n9j
— WikiLeaks (@wikileaks) February 19, 2020
राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से जूलियन असांजे को लेकर मेरी कभी कोई बातचीत नहीं हुई. न ही ट्रंप और न ही उनसे जुड़े किसी शख्स ने मुझसे ऐसा करने को कहा. मैं अपने निजी ख़र्च पर सच का पता लगाने गया था. मैंने सोचा, ये जानकारी हमारे देश के लिए बहुत जरूरी है. मैंने जूलियन असांजे को राष्ट्रपति की तरफ से कभी कोई प्रस्ताव नहीं था. मैंने असांजे से कहा कि अगर वो मुझे ये बता देते हैं, अगर वो मुझे सबूत दे देते हैं कि डेमोक्रैटिक पार्टी के ईमेल्स उन्हें किसने दिए थे, तो मैं राष्ट्रपति ट्रंप से कहूंगा कि वो असांजे को माफ़ कर दें.डेना का दावा है-
मैंने एक बार भी नहीं कहा कि इस डील का प्रस्ताव राष्ट्रपति ट्रंप ने दिया है. न ही मैंने ये कहा कि मैं वहां राष्ट्रपति ट्रंप का प्रतिनिधि बनकर आया हूं.
इस मामले पर वाइट हाउस की भी प्रतिक्रिया आई है. उनके मुताबिक, प्रेजिडेंट ट्रंप बमुश्किल ही जानते हैं डेन को. थोड़ी बहुत पहचान जो है, वो भी बस इसलिए कि पहले डेन अमेरिकी कांग्रेस का हिस्सा थे. वाइट हाउस के मुताबिक, असांजे तो क्या ट्रंप ने कभी किसी बारे में बात नहीं की डेन से. वाइट हाउस की प्रवक्ता स्टीफनी ग्रिशम के मुताबिक-There is a lot of misinformation floating out there regarding my meeting with Julian Assange so let me provide some clarity on the matter: https://t.co/4ujr21e6YH #FreeAssange #SethRich #justice
— Dana Rohrabacher (@DanaRohrabacher) February 19, 2020
ये पूरी तरह से मनगढ़ंत बात है. पूरी तरह से झूठ है.लंदन विजिट से पहले डेना की ट्रंप से मुलाकात हुई थी 'द गार्डियन' के मुताबिक, अगस्त 2017 में डेन के लंदन आने से करीब तीन महीने पहले अप्रैल महीने की बात है. ट्रंप ने डेना को वाइट हाउस में बुलाया था. उन्होंने Fox TV की एक बहस के दौरान डेना को अपना (ट्रंप का) बचाव करते हुए देखा था. इसी के बाद ट्रंप ने डेना को वाइट हाउस आने का न्योता दिया. सितंबर 2017 में वाइट हाउस ने इस बात की पुष्टि की थी कि डेना ने तत्कालीन 'चीफ ऑफ स्टाफ' जॉन केली को फोन किया था. डेना ने असांजे के साथ संभावित डील को लेकर जॉन केली से बात की थी. वाइट हाउस के मुताबिक, जॉन केली ने डेना की कही ये बात ट्रंप तक नहीं पहुंचाई. जॉन केली के साथ बात होने की पुष्टि डेना ने भी की. असांजे के वकीलों द्वारा किए गए दावे के बाद अपनी सफाई में लिखते हुए उन्होंने कहा-
मैंने जॉन केली से कहा कि अगर जूलियन असांजे को मुआफ़ करने का प्रस्ताव दिया जाता है, तो इसके बदले वो ईमेल्स लीक मामले में जरूरी जानकारियां दे दें. मगर जॉन केली समेत किसी भी शख्स ने इस बारे में मुझसे दोबारा बात नहीं की. वो आख़िरी मौका था कि जब ट्रंप या उनके प्रशासन से जुड़े किसी शख्स के साथ मेरी कोई बात हुई.डेना का कहना है-
मैं अब भी राष्ट्रपति ट्रंप से ये कहूंगा कि वो जूलियन असांजे को माफ़ कर दें. असांजे हमारे इस दौर के सच्चे विसल ब्लोअर हैं.ट्रंप की तरह डेना भी रूस पर सॉफ्ट रहे हैं ट्रंप बाकी अमेरिकी राष्ट्रपतियों से अलग रूस के प्रति नरम रहे हैं. इस मामले में डेना उनके ही जैसे हैं. अमेरिकी कांग्रेस में उन्होंने रूस और रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन का लगातार बचाव किया. डेना कहते थे कि वो पुतिन के करीबी रहे हैं. साल 2012 में FBI ने डेना को सावधान किया था. FBI के मुताबिक, रूसी जासूस डेन को इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्हें रूसी प्रभाव बनाने के लिए बतौर एजेंट साथ लेने की कोशिश कर रहे हैं.
असांजे अभी कहां हैं? जूलियन असांजे ऑस्ट्रेलिया के नागरिक हैं. स्वीडन में उनके ऊपर यौन शोषण का आरोप लगा. असांजे का कहना था, ये आरोप ग़लत हैं. इस मामले में गिरफ़्तारी और एक्सट्राडिशन से बचने के लिए असांजे ने सात साल तक लंदन स्थित इक्वाडोर दूतावास में ख़ुद को बंद रखा. बाद में ये केस ख़त्म हो गया. मगर अमेरिका को प्रत्यर्पित किए जाने का ख़तरा आ गया असांजे के सिर. अप्रैल 2019 में असांजे को लगभग घसीटते हुए दूतावास से बाहर लाया गया. उन्हें जेल भेज दिया गया. वो अभी ब्रिटेन की बेलमार्श जेल में बंद हैं. एक्सट्राडिशन का केस असांजे पर केस चलाने के लिए अमेरिका उन्हें अपने यहां ले जाना चाहता है. इसके लिए चाहिए होगा कि ब्रिटेन असांजे को अमेरिका के हाथों सौंपे. 24 फरवरी से लंदन की 'वूलविच क्राउन कोर्ट' में इसी एक्सट्राडिशन को लेकर कानूनी लड़ाई शुरू होने जा रही है. शुरू में एक हफ़्ते तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनी जाएंगी. इसके बाद 18 मई से दोबारा सुनवाई शुरू होगी. इस दौरान तीन हफ़्ते तक सबूत पेश किए जाएंगे. असांजे के वकील चाहते थे कि जूलियन को दिया गया पार्डन का प्रस्ताव बतौर सबूत स्वीकार किया जाए.The meeting and the offer were made prior to Assange's indictment. If you really want to know what this is about -- tune in to Court on Tuesday 25th
— WikiLeaks (@wikileaks) February 19, 2020
ऑस्ट्रेलिया के दो सांसदों ने ब्रिटेन से क्या अपील की? ऑस्ट्रेलिया, जहां के नागरिक हैं असांजे, के दो सांसद- जॉर्ज क्राइस्टेनसेन और एंड्र्यू विलकी, असांजे से मिलने ब्रिटेन आए. बेलमार्श जेल में बंद असांजे से मुलाकात के बाद जेल के बाहर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की दोनों सांसदों ने. इसमें उन्होंने अपील करते हुए कहा कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को चाहिए कि वो असांजे को अमेरिका के हाथों न सौंपे. दोनों सांसदों ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया की सरकार को अब स्टैंड लेना चाहिए. उसे अमेरिका और ब्रिटेन से कहना चाहिए कि बहुत हो गया, अब असांजे को छोड़ दो. उसे घर वापस आना चाहिए. इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में एंड्रयू ने कहा-Must Watch#DontExtraditeAssange https://t.co/MQyACbJ3ki
— WikiLeaks (@wikileaks) February 19, 2020
अगर असांजे अमेरिका को सौंप दिए जाते हैं, तो इससे एक परंपरा बन जाएगी. कि अगर आप पत्रकार हैं और दुनिया की किसी सरकार को मुश्किल में डालते हैं, तो आपके ऊपर उस देश में प्रत्यर्पित करके वहां केस चलाए जाने का ख़तरा है. ये एक राजनैतिक मामला है और इसमें बस असांजे का जीवन दांव पर नहीं लगा. पत्रकारिता का भविष्य भी दांव पर है.ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन समेत दुनिया के कई हिस्सों में असांजे के समर्थन में प्रदर्शन हो रहे हैं. उन्हें रिहा करने की अपीलें आ रही हैं. असांजे की सेहत काफी ख़राब है. पहले ब्रिटिश जेल में उन्हें सॉलिटरी कन्फाइनमेंट (अकेले एक सेल में कैद रखना, किसी से न मिलने देना) रखा गया था. इसमें असांजे की सेहत और बिगड़ गई. अब उन्हें सॉलिटरी कन्फाइनमेंट से हटा दिया गया है.
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