वो भारतीय क्रिकेटर, जिसने टूटे पांव पर बिजली के झटके सहकर ऑस्ट्रेलिया को मेलबर्न में हराया
दिलीप दोषी, जो गावस्कर को 'कपटी' मानते थे.
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Dilip Doshi, पहली तस्वीर में बोलिंग करते जबकि दूसरी तस्वीर में विदेशी बच्चों को ऑटोग्राफ देते देखे जा सकते हैं (गेटी फाइल)
# टूटे पांव से खेले
दोषी ने मेलबर्न टेस्ट की पहली पारी में तीन और दूसरी पारी में दो विकेट लिए थे. यानी ऑस्ट्रेलिया के एक चौथाई विकेट दोषी के हिस्से आए. लेकिन आपको शायद ही पता हो कि यह विकेट किस कीमत पर आए. दोषी इस मैच में पांव के फ्रैक्चर के साथ खेले थे. इस मैच के कई साल बाद दोषी ने एक इंटरव्यू में बताया,'मेरे पांव में फ्रैक्चर था लेकिन मैंने कहा कि मैं खेलूंगा. हर शाम मेरे पांव में इलेक्ट्रॉड लगाकर झटके दिए जाते थे. इन झटकों से काफी दर्द होता था लेकिन इससे सूजन कम रहती थी. अगली सुबह मुझे अपने पैर बर्फ से भरी बाल्टी में रखने पड़ते थे जिससे वो जूतों में फिट हो सकें.बहुत कम लोग इस बात को समझ पाए कि मैंने वो क्यों किया. मैं वो इसलिए किया क्योंकि मुझे भरोसा था कि हम जीतने वाले हैं और मुझे इसमें योगदान देना होगा.'ऐसे जिगरे वाले दिलीप रसिकलाल दोषी भारत के लिए सिर्फ चार साल ही खेल पाए. दिलीप उन चंद प्लेयर्स में से एक हैं जो इंडिया डेब्यू से पहले ही इंटरनेशनल स्टार बन चुके थे. वह किसी भी एरा में भारत के लिए 100 टेस्ट खेलने की काबिलियत रखते थे. लेकिन दुर्भाग्य से वह 70 के दशक में खेले, जब भारत के पास इरापल्ली प्रसन्ना, बिशन सिंह बेदी, भगवत चंद्रशेखर और वेंकटराघवन की चौकड़ी थी. इनसे कोई पार पाए तो खड़े मिलें रजिंदर गोयल, रजिंदर हंस, पद्माकर शिवाल्कर और शिवलाल यादव.
सालों तक भारत से लेकर इंग्लैंड तक कई सौ विकेट लेने के बाद आखिरकार दिलीप को इंडिया के लिए खेलने का मौका मिला. एथलीट्स की संचरना से घोर उलट शरीर और मोटे स्क्वायर वाला चश्मा. दिलीप कहीं से भी समाज की बनाई एथलीट्स की परिभाषा में फिट नहीं बैठते थे. लेकिन टीम में खूब फिट बैठे. कम से कम तब तक, जब तक उनकी गावस्कर से ठन नहीं गई.33 Tests, 15 ODIs ☝️ 136 international wickets ⚡ 12 hauls of four-plus wickets 6/103 in his debut Test innings
Happy birthday to former India spinner, Dilip Doshi pic.twitter.com/t9gg7IGyxk — ICC (@ICC) December 22, 2020
# सोबर्स ने सराहा
दिलीप का इंडिया करियर भले ही सिर्फ 33 मैच तक ही चला हो, काउंटी में वह खूब खेले थे. ऐसे ही एक बार वह नॉटिंघमशर के लिए खेल रहे थे. काउंटी ने उनका खेल देखने के लिए वेस्ट इंडीज के दिग्गज गैरी सोबर्स को न्यौता दिया. सोबर्स आए. मैच देखा. इस मैच में सात विकेट लेने के बाद जब दिलीप वापस जा रहे थे. उन्होंने देखा कि सोबर्स काला चश्मा पहनकर अपनी सिल्वर जगुआर के पास खड़े हैं. दिलीप को देखकर सोबर्स आए, उनसे हाथ मिलाया और बोले,'बहुत अच्छे बेटे, तुम बेहतरीन हो.'गावस्कर से अपनी तनातनी के बारे में दिलीप ने एक इंटरव्यू में कहा था,
'सुनील गावस्कर एक मास्टर बल्लेबाज थे. उनके जैसे बल्लेबाज बेहद कम हुए हैं. लेकिन कई मौकों पर हम नज़रें नहीं मिलाते थे और वह मेरे कप्तान थे. एक बोलर उतना ही अच्छा हो सकता है जितना अच्छा उसका कप्तान चाहे या उसे बना पाए.'इंडिया के लिए खेलते हुए भी दिलीप को इंडियन क्रिकेट की तमाम चीजों से दिक्कत थी. अपनी ऑटोबायोग्रफी स्पिन पंच में उन्होंने लिखा है,
'भारतीय टीम को बस एक चीज का जुनून है- पैसा. यह बेहद घिनौना है. और BCCI तो सरकार के अंदर सरकार जैसी व्यवस्था है, जो किसी के प्रति उत्तरदायी नहीं है.'दिलीप का मानना था कि उनके पूरे करियर के दौरान विज्ञापन और प्रचार-प्रसार पूरी तरह से हद पार कर चुके थे. उन्होंने एक वनडे मैच से पहले के हालात का ज़िक्र करते हुए लिखा था,
'पूरी बातचीत स्पॉन्सरशिप, प्राइज मनी, लोगो रॉयल्टी और मैच फीस के इर्द-गिर्द थी. क्रिकेट पर तो सबसे अंत में बात होती थी. सुनील गावस्कर आज चाहे जितनी देशप्रेम की बातें करें. उसक वक्त वह व्यक्तिगत पसंद-नापसंद से बुरी तरह घिरे हुए इंसान थे.और चैलेंज करने पर वह कपटी और बातें घुमाने वाले व्यक्ति हो जाते थे. साल 1981-82 में इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने मुझे बोलिंग में और वक्त लेने के लिए कहा. फिर जब इंडिया के बुरे ओवर-रेट की आलोचना हुई तो मुझे सारी आलोचना अकेले झेलनी पड़ी. गावस्कर किनारे हो लिए.'
दिलीप ने ऐसी तमाम घटनाओं का ज़िक्र कर इंडियन क्रिकेट के सबसे बुरे चेहरे से पर्दा हटाया था. उन्होंने ऐसे ही एक घटना का ज़िक्र करते हुए लिखा,Wishing former Indian left-arm spinner Dilip Doshi a very happy birthday. 🎂👏 pic.twitter.com/0HFhFBHKdI
— BCCI (@BCCI) December 22, 2020
'युवा पेसर रणधीर सिंह एक टूर मैच में बोलिंग कर रहे थे. उनकी बोलिंग पर सीनियर्स ने स्लिप में तीन कैच गिराए. वो लोग स्लिप में सिर्फ इसलिए खड़े होते थे जिससे आपस में बातें करते हुए टाइमपास कर सकें. लगातार कैच गिराने पर माफी मांगना तो दूर, किसी ने इसका नोटिस तक नहीं लिया.'32 साल की उम्र में डेब्यू करने वाले दिलीप दोषी के नाम 33 टेस्ट मैचों में 114 टेस्ट विकेट हैं. 22 दिसंबर 1947 को पैदा हुए दिलीप दोषी इंडियन डोमेस्टिक क्रिकेट में सौराष्ट्र और बंगाल दोनों के लिए खेले थे. फर्स्ट क्लास में उनके नाम 898 विकेट हैं. दिलीप 30 साल या उससे ज्यादा की उम्र में डेब्यू करने के बावजूद 100 टेस्ट विकेट लेने वाले सिर्फ दूसरे बोलर थे. क्लैरेंस ग्रिमेट ऐसा करने वाले पहले बोलर थे. इस लिस्ट में बाद में सईद अजमल और रयान हैरिस भी जुड़े.