4 साल की उम्र में पोलियो हुआ, फिर कॉमनवेल्थ गेम्स में जाकर गोल्ड मेडल पीट दिया!
हरियाणा का सुधीर जिसने नाइजीरिया और स्कॉटलैंड को पछाड़कर रख दिया!

कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत के सुधीर ने इतिहास रच दिया है. सुधीर ने कॉमनवेल्थ गेम्स की पैरा पावर लिफ्टिंग इवेंट में गोल्ड मेडल जीत लिया है. सुधीर ने 212 किलो का वजन उठाकर रिकॉर्ड 134.5 अंक के साथ मेडल जीता. कॉमनवेल्थ गेम्स की पैरा पावर लिफ्टिंग इवेंट में गोल्ड मेडल जीतने वाले वो पहले भारतीय खिलाड़ी भी बन गए हैं.
नाइजीरिया के क्रिस्टियन उबिचुकवु ने 133.6 अंक के साथ सिल्वर मेडल हासिल किया. जबकि स्कॉटलैंड के मिकी यूले ने 130.9 प्वाइंट्स के साथ ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया. क्रिस्टियन ने 197 किलो जबकि यूले ने 192 किलो का वजन उठाया. इसके साथ ही कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के मेडल्स की कुल संख्या 20 तक पहुंच गई है. जबकि गोल्ड मेडलों की संख्या 6 हो गई है.
पोलियो से प्रभावित सुधीर का बॉडीवेट 87 किलो है. 27 वर्षीय भारतीय खिलाड़ी ने अपने पहले प्रयास में ही 208 किलो वजन उठाया. इसके साथ ही 132 से अधिक पॉइंट्स हासिल करके वो पहले स्थान पर पहुंच गए. सुधीर ने दूसरे प्रयास में 212 किलो का वजन उठाकर रिकॉर्ड 134.5 अंक हासिल कर लिए. नाइजीरिया एथलीट 203 किलो का वजन उठाने में असफल रहे, जिस वजह से सुधीर ने गोल्ड मेडल हासिल कर लिया.
#कैसे तय होता है प्वाइंट?पावर लिफ्टिंग में वजन उठाने पर शरीर की ताकत और तकनीक के अनुसार अंक मिलते हैं. जब दो खिलाड़ी एक समान वजन उठा लेते हैं तब शारीरिक रूप से कम वजन वाले खिलाड़ी को दूसरे की तुलना में अधिक अंक मिलेंगे. क्योंकि उसने कम बॉडीवेट के साथ ज्यादा वजन उठाए.
#4 साल में हुए थे पोलियो के शिकारसुधीर का जन्म हरियाणा के सोनीपत जिले के किसान परिवार में हुआ था. महज़ 4 साल की उम्र में वो पोलियो का शिकार हो गए. लेकिन उन्होंने अपना हौसला बनाए रखा और साल 2013 में पावर लिफ्टिंग शुरू कर दी. सुधीर को सफलता हासिल करने में ज्यादा वक्त नहीं लगा. उन्होंने साल 2016 में पहली बार नेशनल में गोल्ड मेडल हासिल किया. जिसके बाद से वो लगातार 7 बार नेशनल चैंपियन रह चुके हैं. सुधीर ने साल 2018 में अपना इंटरनेशनल डेब्यू किया. उन्होंने 2018 एशियन पैरा गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया था.
#अन्य एथलीटों को नहीं मिली सफलताइससे पहले मनप्रीत कौर महिला लाइटवेट इवेंट में मेडल जीतने से चूक गईं.वो फाइनल में चौथे स्थान पर रहीं. जबकि एक और भारतीय खिलाड़ी सकीना खातून पांचवें स्थान पर रहते हुए पदक से चूक गईं. वहीं मेंस लाइटवेट के फाइनल में परमजीत कुमार ने निराश किया और अपने तीनों अटेम्प्ट में वो फेल रहे. जिस कारण वो अंतिम स्थान पर रहे.
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