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नक्सलियों ने की थी पिता की हत्या, बेटी ने खेलो इंडिया में जीता गोल्ड!

झारखण्ड की सुप्रीति कच्छप ने नेशनल रिकॉर्ड बनाते हुए खेलो इंडिया यूथ गेम्स में जीता गोल्ड मेडल.

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Supriti Kachhap
सुप्रीति कच्छप ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स में जीता गोल्ड (फोटो: इंडियन एक्सप्रेस)
10 जून 2022 (Updated: 20 जून 2022, 20:46 IST)
Updated: 20 जून 2022 20:46 IST
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गुरुवार, 9 जून की सुबह 19 साल की एथलीट सुप्रीति कच्छप (Supriti Kachhap) के लिए बहुत सी खुशियां लेकर आई. सुप्रीति ने इस दिन नया नेशनल रिकॉर्ड बनाते हुए खेलो इंडिया यूथ गेम्स (Khelo India Youth Games) में 3000 मीटर का गोल्ड मेडल अपने नाम किया. सुप्रीति ने 3000 मीटर रेस में नौ मिनट 46.14 सेकंड का समय लेते हुए पांच साल पुराना नेशनल रिकॉर्ड तोड़ा है.

हालांकि सुप्रीति के लिए यहां तक का सफर आसान नहीं रहा. सुप्रीति झारखंड के बुरहु गांव की रहने वाली हैं. उनका गांव नक्सल प्रभावित क्षेत्र में आता है. और इन्हीं नक्सलियों ने सालों पहले सुप्रीति को कभी ना भूलने वाला दर्द दिया था. साल 2003 में नक्सलियों ने सुप्रीति के पिता रामसेवक उरांव को गोलियों से छलनी कर, उनके शव को पेड़ से बांध दिया था.

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए सुप्रीति की मां बालमति देवी ने बताया था कि पिता की मौत के वक्त सुप्रीति बहुत छोटी थीं. सुप्रीति समेत अपने पांच बच्चों को अकेले पालना बालमति के लिए कड़े संघर्षों से भरा था. लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. पति की मौत के बाद बालमति को गुमला के घाघरा ब्लॉक में बीडीओ कार्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में नौकरी मिल गई. और परिवार वहां के सरकारी क्वार्टर में शिफ्ट हो गया.

# Supriti Kachhap Story

इसके बाद सुप्रीति का दाखिला पहले नुक्रुडिप्पा चैनपुर स्कूल में हुआ था, जहां वह मिट्टी के छोटे से ट्रैक पर दौड़ती थीं. बाद में उन्हें छात्रवृत्ति पर गुमला के सेंट पैट्रिक स्कूल में भर्ती कराया गया, जहां उनके खेल को देखकर कोच प्रभात रंजन तिवारी ने 2015 में झारखंड स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर में उन्हें ट्रेनिंग देना शुरू किया.

सुप्रीति बचपन से ही एथलीट बनना चाहती थी. और उन्होंने अपने इस सपने को साकार कर दिखाया है. साल 2018 में उनका चयन SAI की मिडल और लॉन्ग डिस्टेंस अकैडमी, भोपाल के लिए हुआ. जहां उन्होंने पूर्व नेशनल एथलीट प्रतिभा टोप्पो के अंडर ट्रेनिंग की. इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक उन्होंने अपना पहला नेशनल मेडल साल 2019 की क्रॉस कंट्री चैंपियनशिप में जीता था.

उसी साल उन्होंने नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 3000 मीटर रेस में ब्रॉन्ज़ मेडल भी जीता. फिर साल 2020 में उन्होंने गुवाहाटी में नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप की 3000 मीटर रेस में सिल्वर मेडल हासिल किया. और जूनियर फेडरेशन कप की 3000 मीटर और 5000 मीटर रेस में ब्रॉन्ज़ मेडल जीता.

अपने हौसले से सबको प्रेरणा देने वाली सुप्रीति से जब उनके रोल मॉडल के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने 3000 मीटर स्टीपलचेज़ रिकॉर्ड होल्डर अविनाश साबले का नाम लिया. सुप्रीति ने कहा,

 ‘वो भी एक गरीब परिवार से आते हैं, और वो मेरे लिए रोल मॉडल हैं. जब भी मुझे मोटिवेशन की ज़रूरत होती है, मैं उनके कम्पटीशन के वीडियो देख लेती हूं.’

उन्होंने आगे कहा, 

‘मैंने अपने पिता को नहीं देखा है, पर मैं अपना ये मेडल उन्हें समर्पित करना चाहूंगी. और आशा करती हूं कि मैं भी भारत के लिए मेडल जीत सकूं.’

सुप्रीति 1 से 6 अगस्त तक कोलंबिया में होने वाली अंडर-20 वर्ल्ड एथलेटिक्स चैम्पियनशिप के लिए क्वॉलिफाई कर चुकी हैं. और अब उन्हें उम्मीद है कि वो वहां भी मेडल जीतकर लाएंगी. सुप्रीति के साथ झारखंड से ही आने वाली आशा किरण बारला ने भी खेलो इंडिया यूथ गेम्स की 800 मीटर दौड़ में झारखंड को एक और गोल्ड मेडल दिलाया है.

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