'माहौल' का नशा करने वाले ऐसे बर्बाद हो रहे हैं
'माहौल' और 'सिस्टम' कोड वर्ड से नशे के लिए लिए कफ़ सिरप मांगी जाती है.
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यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.
ये बात है साल 2016 की. मार्च में एक ख़बर आई. कोरेक्स कफ़ सिरप से जुड़ी. ये कफ़ सिरप हममें से कई लोगों ने कभी न कभी लिया ही होगा. खांसी के लिए. खबर ये थी कि इसे बनाने वाली कंपनी फाईजर ने इसे बनाना बंद कर दिया.
कहा गया कि ये लोगों की सेहत के लिए ठीक नहीं है. पर दिल्ली हाई कोर्ट समेत कई जगह ये मुद्दा उठा. काफ़ी हाय-तौबा हुई. उसके बाद बैन हटा लिया गया.
पर हेल्थ मिनिस्ट्री और फाइज़र के बीच जद्दोजहद जारी रही. आया साल 2018. हेल्थ मिनिट्री ने फिर से सैरिडॉन, कोरेक्स समेत 326 और दवाइयां बैन कर दीं.
अब आप सोच रहे होंगे कि हेल्थ मिनिस्ट्री और हम आज कोरेक्स के पीछे क्यों पड़े हैं? असल में लल्लनटॉप के कुछ व्यूअर्ज़ ने हमें ईमेल किए. बताया कि उनके इलाकों में बिचौलिए युवाओं को कोरेक्स बेच रहे हैं. पुलिस से भी शिकायत की गई, पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
ये सुनकर आपके मन में एक सवाल आया होगा. भला कोई खांसी, ज़ुकाम का सिरप यूं ही खरीदकर क्यों पियेगा? वजह है नशा. 2018 में दी लल्लनटॉप की चुनाव यात्रा मध्य प्रदेश के रीवा पहुंची थी. इस दौरान हमें पता चला था कि नशे के लिए कफ़ सिरप यहां 'माहौल' और 'सिस्टम' कोडवर्ड से बिकता है
. कई लोग कफ़ सिरप की बोतलें गटक जाते हैं और उन्हें अंदाज़ा भी नहीं होता कि उन्हें इसकी लत लग गई है.
आइये जानते हैं कि कोरेक्स से नशा क्यों होता है और इसका आपकी सेहत पर कितना बुरा असर पड़ता है?
डॉक्टर ज़ीनत अहमद, एमडी मेडिसिन, जेपी हॉस्पिटल, नोएडा
ये जानने के लिए हमनें बात की डॉक्टर ज़ीनत अहमद से. वो नोएडा के जेपी अस्पताल में एमडी मेडिसिन हैं. उन्होंने बताया-
कोरेक्स के कई तरह के प्रिपरेशन मार्किट में उपलब्ध हैं. कोरेक्स एलएस, कोरेक्स डी एक्स, कोरेक्स टी. इन सबके केमिकल कम्पोज़िशन अलग होते हैं. लेकिन कोरेक्स के जिस प्रिपरेशन से नशा होता है उसमें कोडीन नामक एक पदार्थ होता है. ये मॉरफ़ीन यानी अफीम के ग्रुप का हिस्सा है.
डॉक्टर्स इसे कफ़, दर्द, बच्चों के डायरिया के लिए देते हैं. इसके साइड इफ़ेक्ट से हमें नींद आती है, थोड़ा नशा सा महसूस होता है, चक्कर भी आ सकता है.
तो फिर इसकी लत कैसे लग जाती है?
कोडीन को अगर बहुत ज़्यादा मात्रा में लिया जाए तो ये नशे का काम करता है. मान लीजिए किसी ने कोडीन की पूरी बोतल पी ली, तो ये हमारे दिमाग के रिवॉर्ड सेंटर को एक्टिवेट कर सकता है. इससे आपको ख़ुशी का एहसास होता है, मज़ा आता है. इसलिए लोग इसे बार-बार पीने लगते हैं और नशे के शिकार हो जाते हैं. पंजाब और उत्तरी भारत के कई राज्यों में ये एक प्रॉब्लम बन चुकी है
अब आते हैं कफ़ सिरप से होने वाले नुकसान पर. इसे नशे के लिए इस्तेमाल करने वालों को ये मालूम होना चाहिए कि इसका उनके शरीर पर क्या असर पड़ रहा है. और अगर आपको इसकी लत लग गई है तो इससे छुटकारा कैसे पाएं?
कई लोग कोरेक्स सिरप का नशा करते हैं. ये पैटर्न उत्तर भारत में ज़्यादा देखा गया है
शरीर पर कैसा असर पड़ता है?
-अन्य अफ़ीम पदार्थों की तरह कोडीन का भी एक कैरेक्टर है जिसको मेडिकल टर्म्स में टॉलरेन्स बोलते हैं. यानी समय के साथ नशे के अनुभव के लिए आपको इसकी ज़्यादा से ज़्यादा मात्रा लेनी पड़ती है.
-इससे कोडीन टॉक्सिसटी के लक्षण दिखाई दे सकते हैं
-एंग्जायटी, डिप्रेशन, या सामान्य से ज़्यादा नींद आना
-भूख न लगना, वेट लॉस हो सकता है.
-लगातार सिर घूमने या मूड स्विंग्स की वजह से इंसान फोकस नहीं कर पाता
-अपनी सोशल रिस्पांसिबिलिटी, रिलेशनशिप से दूर भागता है
- ज्यादा समय तक इसका नशा करने से लंग इन्फेक्शन हो सकता है, धड़कनें बहुत तेज़ या बहुत धीमी हो सकती हैं, इसका दिमाग पर भी अस पड़ सकता है.
ज़्यादा मात्रा में कफ़ सिरप पीने से आपको ख़ुशी का एहसास होता है
जब कोई कोडीन एडिक्ट इसे लेना बंद कर देता है तो क्या होता है?
-शुरू में सिर दर्द, उल्टी
-पेट में दर्द
-भूख न लगना
-बाद में कई महीनों तक मानसिक बीमारियों के लक्षण दिख सकते हैं.
-लत छुड़ाना मुश्किल हो सकता है
हालांकि, ये लत छुड़ाई जा सकती है. इसके लिए डॉक्टर्स हैं. मनोचिकित्सक एडिक्ट्स का इलाज करते हैं. ड्रग डीएडिक्शन सेंटर्स हैं, जहां इलाज का सक्सेस रेट ज्यादा होता है.
इसलिए अगर आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जो बेवजह कफ़ सिरप पीता है तो उसे बताएं कि वो नशा कर रहा है. उसे बताएं कि इस नशे से छुटकारा पाना उसके लिए ज़रूरी है. साथ ही ये जानकारी उसे ज़रूर दें.
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