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मैरिटल रेप पर बोलीं स्मृति ईरानी- हर शादी को हिंसक और हर पुरुष को रेपिस्ट नहीं मानना चाहिए

मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने की मांग वाली याचिकाओं पर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है.

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केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी. फाइल फोटो- PTI
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3 फ़रवरी 2022 (Updated: 3 फ़रवरी 2022, 10:44 IST)
Updated: 3 फ़रवरी 2022 10:44 IST
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स्मृति ईरानी. देश की महिला एवं बाल विकास मंत्री हैं. संसद में उनसे मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में शामिल करने से जुड़ा एक सवाल पूछा गया, जवाब में उन्होंने कहा कि ये कहना उचित नहीं है कि हर शादी में हिंसा होती है. वहीं, बीजेपी के सीनयर नेता सुशील कुमार मोदी ने भी मैरिटल रेप पर कानून को लेकर चिंता ज़ाहिर की. दरअसल संसद में CPI नेता बिनॉय विस्वम ने सवाल किया कि रेप की परिभाषा को लेकर क्या सरकार ने डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट (DV एक्ट) के सेक्शन तीन और IPC के सेक्शन 375 पर विचार किया है. बता दें कि डोमेस्टिक वायलेंस एक्ट का सेक्शन तीन घरेलू हिंसा के अलग-अलग पहलुओं को परिभाषित करता है. वहीं IPC का सेक्शन 375 कहता है कि पति द्वारा पत्नी के साथ जबरन बनाया गया संबंध रेप नहीं कहलाएगा. इसके जवाब में महिला एवं बाल विकास मंत्री ने कहा,
"मैं ये बता दूं कि संसद के इस सदन में देश की हर शादी को हिंसक और हर पुरुष को रेपिस्ट कहकर उनकी निंदा करना उचित नहीं है."
इसके बाद स्मृति ईरानी ने राज्यसभा की प्रोसीडिंग्स के रूल 47 का हवाला देते हुए कहा कि कोर्ट में चल रहे मामले पर विस्तार में यहां बात नहीं की जा सकती है. हालांकि, स्मृति ने ये जवाब नहीं दिया कि सरकार DV एक्ट और IPC के संबंधित सेक्शन में लिखी रेप की परिभाषा पर विचार कर रही है या नहीं. सत्र के दौरान भाजपा के सीनियर नेता सुशील कुमार मोदी ने भी सवाल किया कि क्या सरकार मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने पर विचार कर रही है? उन्होंने कहा कि ऐसा करना शादी की संस्था को खत्म कर सकता है. कई याचिकाकर्ताओं ने दिल्ली हाईकोर्ट में पेटिशन दायर करके IPC के सेक्शन 375 में बदलाव करते हुए मैरिटल रेप को अपराध के दायरे में लाने की मांग की है. याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि ये सेक्शन उन महिलाओं के प्रति भेदभावपूर्ण है जो अपने पतियों के द्वारा सेक्शुअल असॉल्ट की शिकार होती हैं. इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है. जनवरी में दिल्ली हाईकोर्ट ने सवाल किया था,
“ये एक अविवाहित महिला के केस से इतना अलग क्यों है? ये एक अविवाहित महिला की मर्यादा को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन विवाहित महिला की मर्यादा को इससे कोई हानि नहीं होती? ऐसा कैसे है? इसका जवाब क्या है? क्या शादी होते ही वो ‘न’ कहने का अपना अधिकार खो देती है? क्या रेप को अपराध बनाने वाले 50 देशों ने इसे गलत समझा है?”
इस मुद्दे पर सरकार ने बीते दिनों दिल्ली हाई कोर्ट में लिखित में जवाब दिया था कि पश्चिम के कुछ देशों ने मैरिटल रेप को अपराध घोषित कर दिया, इसका ये मतलब नहीं कि भारत में भी ऐसा किया जाए. सरकार ने निरक्षरता, फाइनेंशियल इंडिपेंडेंस, सामाजिक संरचना आदि का हवाला देते हुए कहा था कि इन सब पर विचार के बाद ही कोई कदम उठाया जा सकता है. एक नज़र आंकड़ों पर भी डाल लेते हैं - साल 2005-2006 के national family health survey के अनुसार 29 राज्यों में 70% महिलाओं ने यह स्वीकार किया कि उनके पति उनका बलात्कार करते हैं. इससे भी ख़तरनाक बात यह कि पुरुष भी इस बात को स्वीकार करते है. - International Centre for Women and United Nations Population Funds की ओर से 2014 में आठ राज्यों में कराए गए सर्वे के मुताबिक़, एक तिहाई पुरुषों ने माना कि अपनी पत्नी का रेप करते हैं. - रिसर्चर्स बताते हैं कि भारत में हर साल दो करोड़ महिलाएं मैरिटल रेप का शिकार होती हैं. - इंडिया में सेक्शुअल वायलेंस की अधिकांश reports वैवाहिक सम्बंध के भीतर हुए अपराध की ही आती है. - दुनिया के सभी देशों में सिर्फ 35 ऐसे देश हैं, जहां मैरिटल रेप को रेप नहीं माना जाता और भारत उनमें से एक है. आखिर में, केंद्र की मंत्री मैरिटल रेप की बहस पर ये कह रही हैं कि हमें ये नहीं मानना चाहिए कि सभी शादियां हिंसक होती हैं या सभी पति रेप करते हैं. द फैक्ट इज़, कोई ऐसा नहीं मानता है. लेकिन अगर कोई ज्यादती हो रही है, तो उसे रोकने के लिए एक सख्त कानून की आवश्यता को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता है. दुनिया के लगभग 150 देशों में मैरिटल रेप दंडनीय अपराध है, तो क्या वहां के सारे पुरुष क्या जेल में हैं?

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