लड़कियां ज़्यादा पढ़ लेती हैं तो उनके लेवल के रिश्ते नहीं मिलते?
भारत में हर चीज़ को लेकर लड़की की उम्र तय कि है. लड़की को जल्दी से जल्दी शादी करनी चाहिए क्योकि शादी के बाद उन्हें बच्चा भी तो पैदा करना पड़ता है. अगर लड़की ज़्यादा पढ़ी लिखी होगी तो उन्हें उनके लेवल के रिश्ते नहीं मिलेंगे.

अकेले सब कैसे मैनेज करती हो?
शादी करने के लिए कोई मिला नहीं या कोई और दिक्कत थी?
कब तक ऐसे ही रहोगी, इत्ती लंबी उम्र अकेले काटना मुश्किल नहीं होगा?
अकेली लड़कियों के रहने लायक ज़माना नहीं है, कोई तो चाहिए ही होगा.
पढ़ लिख लिया, अपने हिसाब की नौकरी भी देख ली, अब सही उम्र है, सेटल भी हो जाओ.
कैसी औरत है, जिसे शादी नहीं करनी या बच्चे नहीं चाहिए?
जैसे ही लड़की समाज की तय की हुई ‘सेटल’ होने की उम्र में पहुंचती है, घर- परिवार या रिश्तेदारों की ओर से उसे ऐसी बातें अक्सर सुनने मिलती हैं. खासकर मिडिल क्लास घरों की लड़कियों को. मैं खुद भी इनमें से कुछ बातें सुन चुकी हूं.
आज मैं इंडिया की 1 करोड़ 20 लाख महिलाओं की बात करने वाली हूं. हो सकता है, संख्या इससे ज़्यादा हो, क्यूंकि ये आधिकारिक डेटा 2019 का है. अब सवाल ये है कि ये 1 करोड़ 20 लाख महिलाएं कौन हैं? ये वो हैं जिन्होंने सिंगल रहना चूज़ किया और शादी नहीं की.
कुछ लोगों के लिए ‘चूज़ किया’ सुनना थोड़ा शॉकिंग होगा. क्योंकि हमें लगता है, कौन ही शादी ना करना चूज़ करता होगा! कोई न कोई दिक्कत, मजबूरी या बैकग्राउंड होता ही है शादी न करने के पीछे. या तो कोई प्रेम कहानी अधूरी रह गई होगी, कोई रिश्ता टूटा होगा, घर में कोई दिक्कत होगी या उम्र निकल गई होगी. ऐसी ही कुछ वजह हमारे दिमाग में आती हैं, न?
हमें बचपन से ही ये सिखाया जाता है कि शादी तो लाइफ का एक ज़रूरी हिस्सा है. बड़े होकर सभी को एक न एक दिन शादी करनी ही है. सोशल लाइफ का स्ट्रक्चर ही इस तरीके से समझाया जाता है कि एक तय उम्र तक ही आपके मां-बाप और परिवार के साथ फैमिली कम्प्लीट होती है. उसके बाद आपको अपनी फैमिली बनाना है. उसके लिए साथी के साथ रिश्ते में होना यानी शादी करना पहला स्टेप है. फिर बच्चे, और उनकी परवरिश.
लड़कियों पर जल्दी शादी का दबाव क्यों होता है?
हम ये मानने लगते हैं कि ये इतना ही ज़रूरी स्टेप है जितना ज़रूरी इंडिपेंडेंट होना या पैसे कमाना. और जब यही शादी की बात लड़कियों के कॉन्टेक्स्ट में आती है तो मामला और कॉम्प्लिकेटेड हो जाता है. इसके पीछे कई वजह हैं. ये मानना कि लड़कियां जल्दी जवान होती हैं, उनकी शादी की लीगल उम्र अभी तक तो लड़कों से कम ही है (पता ही होगा आपको लड़कियों के लिए 18 साल और लड़कों के लिए 21 साल है). दूसरी वजह बायोलॉजिकल क्लॉक कहा जाता है.
मां बन सकती है, बच्चे पैदा कर सकती है. और उम्र के साथ फर्टिलिटी यानी बच्चा पैदा करने की क्षमता कम होती है. फिर एक उम्र बार पीरियड्स आने बंद हो जाते हैं यानी मीनोपॉज की स्टेज, तब वो बच्चे नहीं पैदा कर सकती. नॉर्मली मीनोपॉज 40-50 साल की उम्र में आता है.
खैर, ये सारे फैक्टर्स बताकर एक लड़की के ऊपर जल्दी शादी का प्रेशर क्रिएट किया जाता है. और लड़के पर एक कमाऊ नौकरी खोजने का. इसलिए हम पहली नज़र में ये मान ही नहीं पाते कि किसी लड़के के लिए नौकरी ना करना या लड़की के लिए शादी ना करना पर्सनल चॉइस का मसला भी हो सकता है.
इस देश और दुनिया में बहुत बड़ी आबादी ऐसी है, जिन्होंने समाज के इस फैमिली स्ट्रक्चर हो स्वीकार नहीं किया. उन्होंने सिंगल रहना चूज़ किया और कभी शादी नहीं की. इंडिया में 7 करोड़ से ज्यादा महिलाएं ऐसी हैं जो सिंगल हैं (इसमें सिंगल, सेप्रटेड और डिवोर्सी तीनों शामिल हैं). इनमें से लगभग 1 करोड़ 20 लाख महिलाएं 35 की उम्र के पार हैं और अनमैरिड हैं. ये डाटा पिछले सेंसस में सामने आया था.
सिंगल लड़कियों की दिक्कतें!
इसके बावजूद अनमैरिड लड़की के लिए इस मैरिज ऑब्सेस्सेड समाज में सबकुछ इतना आसान नहीं है. समाज में उसे कभी न कभी सिंगल रहने की वजह का जवाब देना ही पड़ता है. वो अगर शादी ना करे तो उसे ‘पूरा’ नहीं समझा जाता. हमेशा उसकी चॉइस को क्वेश्चन किया जाता है.
इसे और बेहतर तरीके से समझने के लिए मैंने एक ऐसी महिला से बता की जो अनमैरिड हैं. उनकी प्राइवेसी का ध्यान रखते हुए हम उनका नाम और आवाज़ बदल रहे हैं. उन्हें एक काल्पनिक नाम दे देते हैं. श्रेया. श्रेया, 45 साल की हैं, संस्कृत की टीचर हैं और पिछले 20 सालों से इस प्रोफेशन से जुडी हैं. मैंने श्रेया से पूछा की अनमैरिड महिला के तौर पर उन्हें समाज से किस तरह की बातें सुनने मिली, कैसे सवालों का सामना करना पड़ा?
“मैं शहर में रहती हूं. 25 साल से टीचिंग प्रोफेशन में हूं. मैं जिन लोगों के बीच रहती हूं, या उठती-बैठती हूं वहां लोग काफी प्रोग्रेसिव है. यहां लोगों ने कभी डायरेक्ट तो कुछ नहीं कहा. बस वजह जानना चाहा. कि आखिर मैंने शादी क्यों नहीं की. पर पूछते ही, आगे ये भी जोड़ा कि उनका इंटेंशन हर्ट करना नहीं है. गांव के लोग और रिश्तेदारों से सामना नहीं होता, सो उनसे कुछ सुनने नहीं मिला”
मैंने ये भी पूछा कि क्या वो कभी अपने शादी न करने के डिसिजन को रिग्रेट करती हैं या लाइफ में किसी पॉइंट पर इन्कम्प्लीट फील करती हैं?
“शादी न करना मेरी मर्ज़ी थी. कोई रिश्ता या प्रेम संबंध जैसी वजह नहीं थी, मैं बस अपने टीचिंग करियर पर फोकस करना चाहती थी. हो सकता है,शादी के बाद मुझे बाद मुझे ऐसा परिवार मिल भी जाता तो मुझे पढ़ाने की आज़ादी देता, हो सकता है ना भी मिलता. पॉसिबिलिटी तो दोनों ही बातों की थी. मैं अपने जीवन में खुश थी और मुझे ऐसे ही रहना था. आज भी मैं बहुत खुश हूं. लाइफ में किसी भी पॉइंट पर या दुःख की घड़ी में भी, मैंने कभी अपने शादी न करने के फैसले पर पछतावा नहीं किया. मेरे साथ मेरा परिवार है, दोस्त हैं. आम जीवन है. कमाती हूं, परिवार के साथ रहती हूं. वैसे ही सुख और दुख हैं जो आम परिवार में होते हैं”
“लड़कियां ज़्यादा पढ़ लेती हैं तो उनके लेवल के रिश्ते नहीं मिलते”
कुछ दिन पहले म्याऊं की एक दर्शक का हमारे पास मैसेज आया. उन्होंने बताया कि वो गांव में रहती हैं और MCom की पढाई कर रही हैं. उन्होंने बताया कि उनकी 28 साल की कज़न न्यूक्लियर फिजिक्स में पीएचडी हैं. उनकी शादी के लिए घरवाले लड़का ढूंढ रहे हैं पर कोई कम्पैटिबल मैच नहीं मिल रहा. उनकी कज़न के पेरेंट्स को लोग कह रहे हैं,
“इसलिए लड़कियों को ज़्यादा नहीं पढ़ाना चाहिए. लड़कियां ज़्यादा पढ़ लेती हैं तो उनके लेवल के रिश्ते नहीं मिलते.”
उन्होंने हमसे पूछा कि लड़कियों को सोसाइटी में सर्वाइव करने के लिए शादी करने या किसी मेल के साथ होने की ज़रूरत होती है?
उनके इसी सवाल का जवाब खोजते हुए हमने ये वीडियो बनाने का फैसला लिया. और साथ में हम ये भी सोचने पर मजबूर हुए कि एक लड़की की हायर एजुकेशन, खासकर साइंस या और किसी प्रोफेशनल फील्ड में, उसकी शादी होने में बाधा बनती है?
इसका जवाब बड़ा सीधा सा है. कि कोई अगर आपके साथ अपना जीवन बिताने की इच्छा रखता है तो उसे इस बात से इंसिक्योरिटी नहीं होनी चाहिए कि आप एक पढ़ी-लिखी और अवेयर महिला हैं. अगर आपको लगता है कि पढ़ी लिखी लड़की की शादी नहीं होगी. या आप लड़के वाले होते हुए एक डॉक्टरेट लड़की को बहू बनाने से डरते हैं, तो ये आपका प्रॉब्लम है, उसकी एजुकेशन का नहीं. और अगर कोई आपसे शादी के लिए इस वजह से मना कर देता है कि आप बहुत एजुकेटेड हैं, तो वो आपको डिजर्व नहीं करते.
कई बार मम्मी-पापा ये कहते पाए जाए हैं कि हमारी बेटी को कोई लड़का पसंद नहीं आता. ज्यादा पढ़-लिख गई है इसलिए. अगर आपकी पढ़ी-लिखी लड़की को कोई लड़का पसंद नहीं आता तो ये उसकी एजुकेशन का फॉल्ट नहीं है. बल्कि ये प्लस पॉइंट है कि उसको अपने जीवन साथी की परख करने की समझ है. और वो जल्दबाजी में कोई भी फैसला नहीं लेना चाहती.
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