टेंशन होने पर हमें मीठा खाने का इतना मन क्यों करता है?
जानिए टेंशन होने पर क्या-क्या होता है आपके शरीर के अंदर.
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स्ट्रेस होने पर ब्रेन को ग्लूकोस़ की ज़रुकत पड़ती है. और अक्सर मीठा या जंक खाने की क्रेविंग होती है
चिंता चिता का मूल है. ये लाइन हम बचपन से पढ़ते-सुनते आए हैं. पर असल में चिंता या स्ट्रेस हमें नहीं मारती, इस स्ट्रेस की वजह से हम अपने शरीर के साथ, अपने मन के साथ जो ज्यादती करते हैं उससे हमें तमाम बीमारियां होती हैं. जिनसे मौत भी हो जाती है. फाउंडर ऑफ स्ट्रेस थ्योरी कहे जाने वाले हंस सेलए भी यही बात कह गए हैं. उन्होंने कहा है,
It is not the stress that kills us, it our reaction to it.
पर ये स्ट्रेस होता क्या है?
फिजिक्स में स्ट्रेस की परिभाषा कुछ ऐसी है- जब किसी भी प्रकार के फोर्स का रेसिस्टेंस यानी प्रतिरोध किया जाता है तब उसकी व़जह से स्ट्रेस, यानी तनाव पैदा होता है. अब फिजिक्स में पढ़ाए जाने वाली इस सिंपल परिभाषा को हम अपनी जीवन शैली में जोड़ लें, तो जब भी किसी बात को लेकर हमारे मन में रेजिस्टेंस का अहसास होता है, तब हमें स्ट्रेस या तनाव होता है. माने जब कोई ऐसी बात होती जो हमारे मन के हिसाब से नहीं होती, जब कोई हमें डांटता है, जब कोई हमसे लड़ता है, तो हमें स्ट्रेस होने लगता है.
कई बार हमें स्ट्रेस होता है और चला भी जाता है. इस केस में हम स्ट्रेस को हैंडल कर सकते हैं. लेकिन अगर हम किसी वजह से लगातार स्ट्रेस में रहते हैं, तो काफी चॉन्सेस हैं कि वो नींद की कमी, मूड स्विंग्स, एंग्जायटी और डिप्रेशन में बदल जाए. लाइफ स्टाइल खराब हो सकती है, उससे होने वाली बीमारियों जैसे ब्लडप्रेशर, हार्ट की दिक्कतें भी हो जाती हैं.
स्ट्रेस में अक्सर हम जंक फूड या बहुत ज्यादा मीठा खाने लगते हैं, उसकी वजह से शुगर और मोटापे की दिक्कतें भी शुरू हो जाती हैं. पर स्ट्रेस होने पर हम मीठा क्यों खाने लगते हैं?
पर स्ट्रेस में हम मीठा क्यों खाते हैं?
इसे लेकर हमने डायटीशियन नम्रता गोवालकर से बात की. उन्होंने बताया,
“जब भी हम स्ट्रेस महसूस करतें हैं तो हमारे शरीर में कोर्टिसोल की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे हमें कार्बोहाइड्रेट्स की ज़रूरत फील होती है. उस समय हमारी बॉडी कंफ्यूज्ड होती है, जिस वजह से हम हेल्दी और अनहेल्दी के बीच फ़र्क नही कर पाते हैं. जिस भी चीज़ से हमारी एनर्जी की डिमांड तुरंत पूरी होती है, हम वो खा लेते हैं, खासकर जंक फूड, जैसे चिप्स, चॉकलेट, केक, पेस्ट्री या कोई और मीठी चीज़. इससे हमारा इंसुलिन तेज़ी से बढ़ता है जिससे हमें थकान होती है, साथ में पछतावा भी.”वैसे तो कोर्टिसोल रिलीज़ होना हमारी बॉडी का एक प्रोटेक्टिव रिएक्शन होता है. ये हॉर्मोन हमारे शरीर को स्ट्रेस से होने वाले हानियों से बचाता है. लेकिन इसकी वजह से हम ऐसी चीज़ों के पीछे भागते हैं जो हमें जल्द से जल्द एनर्जी देते हैं.

"इमोशनल ईटिंग हमारे शरीर का स्ट्रेस के प्रति रिऐक्शन होता है, जिसकी वजह से हम कम्फर्ट फूड, यानी हाई शुगर और फैट वाला खाना खोजते हैं, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारा शरीर एक ऐसा मशीन है, जो स्ट्रेस को अपना बहुत बड़ा दुश्मन मानता है, इस वजह से तनाव में हमें लड़ने के लिए एनर्जी की ज़रूरत पड़ने पर सबसे पहले खाना याद आता है, खासकर हाई कैलरी फूड. इसकी वजह ये भी है कि बड़े होते वक्त कहीं ना कहीं फूड का कंफर्ट के साथ असोसिएशन हो जाता है. पैरेंटिंग स्टाइल में फूड को रिवॉर्ड और पनिशमेंट की तरह यूज़ किया जाता है. कई बार हमारे माता-पिता हमारा रोना-धोना सुनकर हमें चुप करने के लिए चॉकलेट बार थमा देते हैं, और बड़े होने के बाद, हमारी वो आदत पड़ जाती है."तो क्या करें जब स्ट्रेस में मीठा खाने की क्रेविंग हो? डायटिशियन नम्रता गोवालकर कहती हैं कि हमें ऐसी लाइफस्टाइल अपनानी चाहिए जिसमें हमें कम से कम स्ट्रेस हो. योग, व्यायाम, मेडिटेशन, सैर करें. इससे आपके तन और मन दोनों की सेहत अच्छी रहेगी. उन्होंने कहा कि घर में जंक फूड रखने की बजाए, हेल्दी स्नैक्स रखें जैसे रोस्टेड चना, मखाना, स्वीट पोटैटो, गुड़, खाखरा, बादाम आदि. जब कुछ खाने की क्रेविंग हो तो ये चीज़ें खाएं. इससे आपका पेट भी भरेगा और हेल्थ भी सही रहेगी.