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जामिया की पहली महिला VC प्रोफेसर नजमा अख्तर को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है

प्रोफेसर नजमा अख्तर 2019 में जामिया की वीसी बनी थीं.

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प्रोफेसर नज़मा अख्तर की गिनती देश के बेहतरीन शिक्षाविदों में होती है. फोटो- यूट्यूब वीडियो स्क्रीनग्रैब
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सोम शेखर
21 मार्च 2022 (Updated: 21 मार्च 2022, 01:52 PM IST) कॉमेंट्स
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नजमा अख़्तर. जामिया मिलिया इस्लामिया (JMI) की कुलपति. आज, 21 मार्च को, राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रोफेसर नजमा अख़्तर को पद्म श्री से सम्मानित किया. भारत सरकार ने नजमा को साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पुरस्कृत किया है. चलिए आपको बताते हैं नजमा अख़्तर के बारे में, जिन्हें देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार मिला है. JMI की पहली महिला VC साल 2019 में प्रोफेसर नजमा अख़्तर जामिया मिलिया इस्लामिया की कुलपति बनीं. यूनिवर्सिटी के 100 साल के इतिहास में ये पहली बार था, जब एक महिला को VC के पद के लिए चुना गया. दिसंबर 2019 में जामिया लाइब्रेरी में हुई 'तोड़फोड़' के बाद से ही JMI को CAA-NRC आंदोलन का केंद्र माना जाने लगा था. जिस सर्च कमिटी ने वीसी के तौर पर नजमा अख्तर का नाम सुझाया था, तोड़फोड़ की घटना के बाद उसी के एक सदस्य ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर नजमा को वीसी पद से हटाने की मांग कर दी थी.
प्रोफेसर नजमा अख्तर की गिनती देश के बेहतरीन शिक्षाविदों में होती है. उनके नेतृत्व में दिसंबर, 2021 में यूनिवर्सिटी ने नैशनल एक्रिडिटेशन एंड असेसमेंट काउंसिल (NAAC) से A++ मान्यता मिली थी. साल 2019-20 में मिनिस्ट्री ऑफ एजुकेशन ने देश की सभी केंद्रीय यूनिवर्सिटीज़ का परफॉर्मेंस इवैल्युएशन किया था. इसमें भी यूनिवर्सिटी ने 95.23 प्रतिशत के साथ बेहतरीन प्रदर्शन किया था.
प्रोफेसर अख़्तर के नेतृत्व में जामिया ने शिक्षा मंत्रालय (एमओई), भारत सरकार के राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) में छठा स्थान भी हासिल किया. यूनिवर्सिटी की पहली महिला कुलपति के रूप में नियुक्ति के समय नजमा ने कहा था,
"मेरा मक़सद ग्लास सीलिंग तोड़ना नहीं था, लेकिन मैं निश्चित रूप से ग्लास सीलिंग के ख़िलाफ़ थी. अगर आप समान शैक्षणिक योग्यता और अनुभव रखते हैं तो ऐसा क्यों है?"
कौन हैं नजमा अख़्तर? जन्म 13 नवंबर, 1953 में हुआ. मास्टर्स में गोल्ड मेडल हासिल किया, नजमा अख़्‍तर ने AMU से एजुकेशन में MA और बॉटनी में M.Sc किया. येस, डबल मास्टर्स. फिर 'उच्च शिक्षा की कंवेन्शनल और डिस्टेंस शिक्षा प्रणाली पर एक तुलनात्मक अध्ययन' विषय पर शिक्षा में Ph. D की. कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से.
नई दिल्ली के राष्ट्रीय शैक्षिक योजना और प्रशासन विश्वविद्यालय (NUEPA) में नजमा ने पहले बतौर प्रोफेसर काम किया. फिर वहां की हेड बन गईं. अकादमिक जगत में उन्हें एक ख़ास पहचान तब मिली जब उन्होंने तब के इलाहाबाद और आज के प्रयागराज में राज्य शैक्षिक प्रबंधन और प्रशिक्षण संस्थान (SIEMAT) की नींव रखी, और संस्थान की फाउंडर डायरेक्टर बन गईं.
प्रोफेसर नजमा अख्तर ने AMU में कंट्रोलर ऑफ़ एडमिशन ऐंड एग्‍ज़ामिनेशन के तौर पर भी काम कर चुकी हैं. उस समय तक न केवल अलीगढ़ मुस्‍लिम यूनिवर्सिटी, बल्कि देश की किसी भी यूनिवर्सिटी में इस पद पर किसी महिला का चयन नहीं हुआ था. AMU के लिए ख़ास तौर से ये नई बात थी. नई तक ठीक है, लेकिन कट्टरपंथियों को ये जमा नहीं. अख़्‍तर के ख़िलाफ़ फतवा जारी कर दिया, कि कोई महिला एडमिनिस्‍ट्रेशन के शीर्ष पद पर नहीं रह सकती, क्‍योंकि इस्‍लाम इसकी इजाज़त नहीं देता. फिर इस फतवे के ख़िलाफ़ उस समय के डीन फैकेल्‍टी सामने आए और नजमा अख़्तर का सपोर्ट किया. प्रोफेसर नज़मा ने AMU में ही एकैडमिक डायरेक्टर का पद भी संभाला है.
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नजमा अख़्तर जामिया मिल्लिया इस्लामिया की पहली महिला वाइस चांसलर हैं.

प्रोफेसर अख्तर मौलाना आज़ाद राष्ट्रीय उर्दू विश्वविद्यालय (MANUU), हैदराबाद, दिल्ली विश्वविद्यालय, असम विश्वविद्यालय और JMI की चयन समिति और कार्यकारी समिति में विज़िटर नॉमिनी रही हैं. वो देश के कई प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज़ और शिक्षा बोर्ड्स की मैनेजमेंट कमिटी की सदस्य रही हैं. रक्षा मंत्रालय की हाई लेवल एक्सपर्ट कमिटी का भी वो हिस्सा रही हैं. .
इससे पहले नजमा अख़्तर को उनके एक्सट्रा ऑर्डिनरी शैक्षिक और संस्थागत नेतृत्व के लिए यूनिवर्सल पीस फेडरेशन- इंडिया चैप्टर द्वारा एम्बेसडर फॉर पीस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है. फेडरेशन द्वारा स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय युवा दिवस के वर्चुअल समारोह के दौरान यह सम्मान दिया गया था.

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