सुबह उठते ही लकवा होने का खतरा किन लोगों में होता है?
भारत में वेक-अप स्ट्रोक बहुत आम है. यहां हर पांच में से एक स्ट्रोक, वेक-अप स्ट्रोक के रूप में आता है. ये काफ़ी डरावना है. सोचिए, इंसान आराम से रात में सोने गया. बिना किसी समस्या के. और सुबह उठते ही उसे शरीर के एक तरफ़ लकवा मार जाए. आज हम डॉक्टर से जानेंगे कि वेक-अप स्ट्रोक क्या है?
अनुराग के पिताजी 75 साल के हैं. कुछ दिनों पहले जब वो सुबह सोकर उठे तो उन्हें अपना दायां हाथ, दायां पैर उठाने में दिक्कत हो रही थी. उनका चेहरा एक ओर से लटका हुआ महसूस हो रहा था. यही नहीं, उन्हें बोलने में भी परेशानी आ रही थी. शब्द उनके मुंह से बाहर ही नहीं आ पा रहे थे. घबराए अनुराग अपने पिता को अस्पताल लेकर भागे. वहां डॉक्टर ने बताया कि उन्हें वेक-अप स्ट्रोक हुआ है. अनुराग चाहते हैं कि हम वेक-अप स्ट्रोक पर बात करें, ताकि और लोगों को भी इसकी जानकारी हो.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में वेक-अप स्ट्रोक बहुत आम है. यहां हर पांच में से एक स्ट्रोक, वेक-अप स्ट्रोक के रूप में आता है. ये काफ़ी डरावना है. सोचिए, इंसान आराम से रात में सोने गया. बिना किसी समस्या के. और सुबह उठते ही उसे शरीर के एक तरफ़ लकवा मार जाए. आज हम डॉक्टर से जानेंगे कि वेक-अप स्ट्रोक क्या है? कौन लोग इसके ज़्यादा रिस्क पर होते हैं? वेक-अप स्ट्रोक क्यों होता है? साथ ही जानेंगे बचाव और इलाज.
वेक-अप स्ट्रोक क्या होता है?ये हमें बताया पद्म श्री डॉ. एमवी पद्मा श्रीवास्तव ने.
- वेक-अप स्ट्रोक यानी आप ठीक-ठाक सोएं.
- पर सुबह जब उठें तो शरीर एक तरफ़ से काम नहीं कर रहा.
- लकवा मार गया है.
- मुंह टेढ़ा हो गया.
- हाथ-पैर नहीं चल रहे.
- बेहोशी लग रही है.
- आवाज़ नहीं निकल रही है.
- जो ब्रेन स्ट्रोक सुबह उठते ही देखने को मिलता है, उसे वेक-अप स्ट्रोक कहते हैं.
कौन लोग इसके ज़्यादा रिस्क पर होते हैं?- उम्र एक बड़ी वजह है.
- जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक का रिस्क भी बढ़ता है.
- अब उम्र तो रोकी नहीं जा सकती.
- लेकिन कुछ चीज़ें हमारे हाथ में हैं, जिन्हें हम रोक सकते हैं.
- जैसे ब्लड प्रेशर.
- हाइपरटेंशन.
- अगर हमारा ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ है तो उसे कंट्रोल करना बहुत ज़रूरी है.
- ये एक अहम रिस्क फैक्टर होता है, जिसके कारण ये स्ट्रोक हो सकता है.
- दूसरे नंबर पर ब्लड शुगर या डायबिटीज़.
- अगर शुगर कंट्रोल नहीं हुआ तो वो भी एक रिस्क फैक्टर है.
- हमारे अंदर जो कोलेस्ट्रोल और लिपिड्स हैं, उनसे खून की नलियां सिकुड़ जाती हैं.
- उनके अंदर कचरा बन जाता है जिसे एथेरोस्क्लोरोटिक प्लाक कहते हैं.
- फिर आती हैं दिल की समस्याएं.
- जिनको हार्ट अटैक पड़ चुका है.
- अगर उनके दिल की मांसपेशियां कमज़ोर हो गईं, खून पंप करना अनियमित हो गया,
- तो, इससे भी खून के थक्के बनकर दिमाग के अंदर जा सकते हैं.
- इसके अलावा धूम्रपान और शराब बड़ा कारण हैं.
- स्मोकिंग और बहुत ज़्यादा शराब पीना बड़े रिस्क फैक्टर हैं.
- साथ ही, मोटापा भी है.
- अगर हम फिज़िकल एक्टिविटी न करें,
- मोटापा बढ़ता जाए तो वो भी एक रिस्क फैक्टर बनता है.
- सोने से जुड़ी समस्याएं, जैसे स्लीप एपनिया भी बड़ी वजह हैं.
- लाइफस्टाइल से जुड़ी समस्याएं.
- कई तरह के इंफेक्शन के कारण भी ऐसा हो सकता है.
कारण- ये एक आपातकालीन स्थिति है.
- इसमें खून की रफ्तार या तो एकदम से बंद हो जाती है या खून की नली फट जाती है.
- हालांकि वेक-अप स्ट्रोक ज़्यादातर खून की रफ्तार बंद होने से होता है.
- खून की रफ्तार बंद होती है क्योंकि कई बार, कहीं और से थक्का आकर खून की नली में अटक जाता है.
- या किसी कारण से वहां खून का थक्का बन जाए,
- तो इसे एम्बोलिक या थ्रोम्बोटिक स्ट्रोक कहते हैं.
- ये थक्का दिल में हो सकता है.
- जैसे हार्ट पंप करते समय वहां पर थक्का बने.
- फिर वो पंप होकर दिमाग के अंदर जा सकता है.
- किसी बड़ी खून की नली से कहीं और जा सकता है.
- या खून की नली धीरे-धीरे बंद होकर, पूरी तरह बंद हो सकती है.
बचाव और इलाज- कुछ बचाव हमारे हाथ में ही हैं.
- जैसे स्मोकिंग नहीं करना.
- शराब नहीं पीना.
- फिज़िकल एक्टिविटी करना.
- मोटापा न बढ़ने देना.
- अच्छी नींद लेना.
- अच्छा पोषण लेना.
- इससे काफी समस्याएं हल हो सकती हैं.
- अगर किसी को बीपी है.
- ब्लड शुगर है.
- कोई हार्ट प्रॉब्लम है.
- कोलेस्ट्रोल है.
- उसे कंट्रोल करना, उसकी दवाई खाना.
- अपने आप तय नहीं करना कि 'अब दवाई बंद कर दूं'.
- यह साइलेंट होता है.
- आप ठीक-ठाक सोने गए और उठे लकवे के साथ.
- यही है वेक-अप स्ट्रोक.
- अगर हुआ भी तो तुरंत आपको अस्पताल जाना है.
- जितनी जल्दी आप पहुंच पाएं.
- इस वेक-अप स्ट्रोक में भी उपचार है.
- जो खून की नली बंद हुई, उसे दवाओं और बाकी उपचारों से चालू कर सकते हैं.
- खून की रफ्तार दोबारा ठीक कर सकते हैं.
- काफी हद तक इसका इलाज हो सकता है.
महिलाओं और बुज़ुर्गों को वेक-अप स्ट्रोक से खास सावधान रहने की ज़रूरत है. वो इसके ज़्यादा रिस्क पर होते हैं. अगर आपको या आपके आसपास किसी को बताए गए लक्षण महसूस हों, तो उसे तुरंत अस्पताल लेकर जाएं. इसका इलाज हो सकता है.
(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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