कान में मच्छर भिनभिनाने की आवाज सुनाई देती है, पता है क्या बीमारी हो गई है?

क्या आपको भी कभी-कभी कान में अजीब सी सीटी बजने की आवाज़ सुनाई देती है? या ऐसा लगता है जैसे कान के पास मच्छर भिनभिना रहा है? हालांकि, असल में बाहर ऐसी कोई आवाज होती नहीं है. हो सकता है कि आपको ऐसा एक कान में सुनाई दे रहा हो या दोनों में. हम सबके साथ कभी न कभी ऐसा जरूर हुआ है. बहुत ही आम समस्या है ये. इसका नाम है टिनिटस. 15-20 प्रतिशत अडल्ट्स के साथ ऐसा होता है. समस्या तब होती है, जब ये दिक्कत लंबी चले या लगातार बनी रहे. तब ज़रूरी है कि आप ENT स्पेशलिस्ट से मिलें. ख़ासकर वो लोग जिन्हें, तीली या टूथपिक से कान खोदने की आदत है. आपको पता भी नहीं चलता लेकिन ऐसा करने से कान के अंदर इन्फेक्शन हो जाता है. जिसका नतीजा है टिनिटस. ये क्या होता है, डॉक्टर्स से जानते हैं.
टिनिटस क्या होता है?
ये हमें बताया डॉक्टर सुरेंदर कुमार ने.

टिनिटस एक ऐसी बीमारी है जिसमें पेशेंट को कान के अंदर आवाज़ सुनाई देती है. बाहर से कोई आवाज़ नहीं आ रही होती है. कान में मच्छर के भिनभिनाने या गाड़ी स्टार्ट होने की आवाज़ जैसा कुछ सुनाई देता है. हालांकि, बाहर ऐसी कोई आवाज़ नहीं आ रही होती है. इस तरह के लक्षण महसूस होते हैं तो उसे टिनिटस कहा जाता है.
कारण
-टिनिटस दो प्रकार का होता है
-सब्जेक्टिव टिनिटस और ऑब्जेक्टिव टिनिटस
-सब्जेक्टिव टिनिटस का मतलब है वो आवाज़ केवल पेशेंट ही सुन पा रहा है
-ऑब्जेक्टिव टिनिटस में जब डॉक्टर पेशेंट की जांच करता है तो उसे भी वो आवाज़ सुनाई देती है
-टिनिटस होने के पीछे कुछ कारण हो सकते हैं
-जैसे कान में वैक्स का जमा होना
-कान के अंदर इन्फेक्शन होना जैसे ओटाइटिस मीडिया और ओटाइटिस एक्स्टर्ना
-सुनने की नस के अंदर इन्फेक्शन होना
-जो ट्यूब कान और गले को आपस में जोड़ता है, उसका ब्लॉक हो जाना
-इस तरह की बीमारियों में कान बजने की समस्या होती है
-और भी 2-3 कारण हो सकते हैं
-मेनिएरेस डिजीज जिसमें चक्कर के साथ कान बजने की दिक्कत होती है
-या ऑस्टियोस्क्लेरोसिस

इलाज
अगर समस्या है तो किसी भी ENT स्पेशलिस्ट से जांच करवाएं. सारे कारण जो बताए गए हैं, उन सबकी पुष्टि करके इलाज तय किया जाता है. इनमें से कोई भी कारण मिलता है तो सबसे पहले उसका इलाज किया जाता है. इससे टिनिटस अपने आप ठीक हो जाता है. अगर इनमें से कोई भी कारण नहीं मिलता तो उसका इलाज अलग किया जाता है. सबसे पहले दवाइयों से ठीक करने की कोशिश की जाती है. ग्रीन टी, मल्टी विटामिंस भी मदद करते हैं. दूसरा तरीका है कान के अंदर स्टेरॉइड के इंजेक्शन लगाना. ये इंजेक्शन कान के पर्दे के पीछे लगते हैं. 5-6 इंजेक्शन की सिटिंग करनी पड़ती हैं. इससे पेशेंट काफ़ी बेहतर महसूस करते हैं.
इस तरीके के भी काम ना आने की स्थिति में मैग्नेटिक स्टिमुलेशन ऑफ़ ब्रेन का ऑप्शन चुना जाता है. इसमें ब्रेन को रेडिएशन से रियेक्ट करवाया जाता है. जब ये भी फ़ेल हो जाता है तब टिनिटस रिट्रेनिंग थेरेपी दी जाती है. इसमें पेशेंट को समझाया जाता है कि एक तरह की आवाज़ कान को सुनाई जाएगी. उससे कान के अंदर जो आवाज़ आ रही है वो दब जाएगी. आपको नॉर्मल आवाज़ सुनाई देगी. कान के अंदर से आने वाली आवाज़ सुनाई नहीं देगी.
अगर आपको कान में लगातार ऐसी आवाज़ सुनाई दे रही है जो असल में है नहीं, तो डॉक्टर को तुरंत दिखाइए. जितना जल्दी इलाज शुरू हो जाए उतना बेहतर है.
(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)
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