'हिजाब ना पहनने वाली महिलाएं जानवरों जैसी', तालिबान ने लगाए घटिया पोस्टर
इससे पहले तालिबान ने कहा था कि बुर्का ना पहनने वाली महिलाओं के पिता या पति को सजा दी जाएगी.

तालिबान की तरफ से अफ़ग़ानिस्तान के दक्षिणी शहर कंधार में पोस्टर लगाए हैं. पोस्टर में लिखा है कि वो मुस्लिम महिलाएं जो हिजाब नहीं पहनती हैं, वो जानवरों की तरह दिखने की कोशिश कर रही हैं.
तालिबान के नए-नए फ़रमानदरअसल, अगस्त 2021 में सत्ता पर क़ब्ज़े के बाद से ही तालिबान ने अफ़ग़ान महिलाओं की स्थिति को बद से बदतर करने के लिए प्रतिबंध लगाए हैं. पब्लिक स्पेस से उनकी भागीदारी कम करने के लिए एक के बाद एक फ़रमान निकाले. इसी साल मई में तालिबान प्रमुख हिबतुल्लाह अखुंदज़ादा ने एक फ़रमान निकाला, जिसमें मूल रूप से यही कहा गया था कि महिलाओं को आमतौर पर घर पर रहना चाहिए. अगर बाहर जाना ही है, तो सिर से पांव तक बुर्का पहन कर जाएं.
अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ एजेंसी AFP की रिपोर्ट के मुताबिक़, अब इस फ़रमान का पालन हो रहा है कि नहीं, इसको सुनिश्चित करने के लिए तालिबान की Ministry for Promotion of Virtue and Prevention of Vice ने ये पोस्टर्स लगाए हैं. ये पोस्टर्स कंधार के रेस्त्रां और दुकानों की दीवारों पर चिपकाए गए हैं. पोस्टर में बुर्के की तस्वीर हैं और लिखा है,
"वो मुस्लिम महिलाएं जो अपने शरीर को ढकने के लिए इस्लामी हिजाब नहीं पहनती हैं, वे जानवरों की तरह दिखने की कोशिश कर रही हैं."
इसके अलावा इन पोस्टर में ये भी लिखा है कि छोटे, टाइट और पारदर्शी कपड़े पहनना भी अखुंदज़ादा के फ़रमान के ख़िलाफ़ है.
कंधार में मंत्रालय के प्रमुख अब्दुल रहमान तैयबी ने AFP को बताया,
"हमने ये पोस्टर्स लगाए हैं और जिन महिलाओं के चेहरे पब्लिक में ढके नहीं होंगे, हम उनके परिवारों को सूचित करेंगे कि वो उनके ख़िलाफ़ क़दम उठाएं."
अखुंदज़ादा के मई वाले फ़रमान में ये बात थी कि अगर महिलाएं बुर्का नहीं पहनेंगी, तो उनके पिता या पति को सज़ा दी जाएगी.
इसी फ़रमान को एक्सटेंड करते हुए तालिबान के अधिकारियों ने टीवी की महिला ऐंकर्स को भी बुर्का पहन कर न्यूज़ पढ़ने को कहा था. इसके ख़िलाफ़ इंटरनेशनल सर्किल में ख़ूब विरोध हुआ था. सोशल मीडिया पर #FreeHerFace नाम से एक कैम्पेन भी चला, लेकिन तालिबान के अधिकारियों के कानों पर जू नहीं रेंगी.
US और भारत समेत कई देशों ने किया खंडनइससे पहले बुधवार, 15 जून को संयुक्त राष्ट्र में महिलाओं की सुरक्षा पर एक खुली बहस हुई. US के मिशेल बाचेलेट ने महिलाओं के इस 'सिस्टमैटिक उत्पीड़न' के लिए कट्टरपंथी इस्लामी सरकार को घेरा. कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में महिलाओं की स्थिति गंभीर है. चिंताजनक है.
भारत के स्थाई प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने भी कहा कि अफ़ग़ानिस्तान में सोशल और पॉलिटिकल सिस्टम की वजह से समाज में महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा को जगह मिली है. हिंसा और ज़्यादा सिस्टमैटिक और गहरी हो गई है. और, आर्म्ड कॉन्फ़लिक्ट के समय महिलाओं को टार्गेट बना दिया जाता है. साथ ही UN सुरक्षा परिषद से आतंकवाद के प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करने की मांग की है.
असल में तालिबान ने इस बार के क़ब्ज़े के बाद इस्लामिक शासन के 'सॉफ़्ट वर्ज़न' का वादा किया था, लेकिन समय के साथ वो अपनी पुरानी कट्टरता की तरफ़ बढ़ता चला गया. दसियों हज़ार लड़कियों को माध्यमिक विद्यालयों से बाहर कर दिया गया. महिलाओं को सरकारी नौकरियों में लौटने से रोक दिया. उनके अकेले यात्रा करने पर रोक लगा दी. स्नानघर बंद करवा दिए. और, अब ये सिर से पांव तक का बुर्का पहनने का आदेश.