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कुछ लोगों को बड़ी जल्दी नशे की लत क्यों लग जाती है?

नशे की लत लगने के पीछे कई वजह हो सकती हैं जैसे कि जेनेटिक्स मनोवैज्ञानिक और न्यूरोबायोलॉजिकल फ्रेमवर्क.

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किसी भी तरह का नशा शरीर को हमेशा नुकसान ही देता है, इसलिए नशे की लत छुड़ाने के लिए प्रोफेशनल मदद लेना बेहद ज़रूरी है. (सांकेतिक फोटो)
20 दिसंबर 2023 (Published: 06:16 PM IST) कॉमेंट्स
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नशा किसी भी तरह का हो आपकी सेहत के लिए ख़तरनाक है. ये बात हर कोई जानता है. सिगरेट पीने से कैंसर हो सकता है. हार्ट अटैक पड़ सकता है. ज़्यादा शराब का सेवन आपका लिवर बर्बाद कर सकता है. ड्रग्स जैसे नशीले पदार्थ आपका पूरा शरीर खत्म कर देते हैं. ये वो बातें हैं जो बच्चे-बच्चे को मालूम है. पर इसके बावजूद लोग शराब भी पीते हैं. सिगरेट भी पीते हैं. नशीले पदार्थों का सेवन भी करते हैं. कई लोगों को इन सबकी लत लग जाती है. जिसे हम कहते हैं एडिक्शन. एक बार आपको इन चीज़ों का एडिक्शन हो गया, तो इन्हें छोड़ना बेहद मुश्किल हो जाता है. ये जानते हुए भी कि इनसे आपको किस तरह का नुकसान हो रहा है.

आज हम डॉक्टर्स से जानेंगे कि कुछ ख़ास लोगों को नशीले पदार्थों की लत क्यों लग जाती है. यानी जिन लोगों को एडिक्शन हो जाता है, इसके पीछे गलती केवल उनकी है या इसमें उनके शरीर, जेनेटिक्स और पूर्वजों का भी हाथ है?

कुछ लोगों को शराब, सिगरेट की लत क्यों लग जाती है?

ये हमें बताया डॉक्टर सामंत दर्शी ने.

(डॉ. सामंत दर्शी, हेड- मनोचिकित्सा विभाग, यथार्थ हॉस्पिटल, नोएडा)

ज़्यादातर नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले लोग खुशी और उत्तेजना के लिए नशा करते हैं. कुछ लोग रिलैक्स होने के लिए भी नशा करते हैं. वहीं कुछ लोग तनाव, एंग्जाइटी, डिप्रेशन या किसी अंदरूनी दर्द की वजह से नशा करते हैं. फोकस बढ़ाने के लिए भी कुछ लोग नशा करते हैं. अक्सर स्कूल या कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चे ऐसा करते हैं. कुछ लोग काम पर फोकस करने के लिए भी नशा करते हैं. खिलाड़ी भी फोकस के लिए नशीले पदार्थों का सेवन करते हैं. एक या दो बार नशीले पदार्थों का सेवन करने से इनकी लत नहीं लगती. जब खुशी के लिए, फोकस के लिए या किसी दुख की वजह से लोग नशीली चीजें लेते हैं तो इसे सब्सटेंस अब्यूज़ डिसऑर्डर (Substance Abuse Disorder) कहते हैं.

क्या एडिक्शन के लिए परिवार और जेनेटिक्स भी ज़िम्मेदार होते हैं?

सब्सटेंस अब्यूज़ डिसऑर्डर कई चीजों पर निर्भर होता है. पहला है बायोलॉजिकल कारण, जैसे कि व्यक्ति के जेनेटिक्स और न्यूरोबायोलॉजिकल फ्रेमवर्क कैसा है. दूसरा है मनोवैज्ञानिक फ्रेमवर्क, जिसका विकास बचपन में होता है. यानी व्यक्ति समाज को कैसे देखता है. परिवार का माहौल, पड़ोस, स्कूल और ऑफिस का माहौल. ये सभी कारण मिलकर ये तय करते हैं कि व्यक्ति को सब्सटेंस यूज डिसऑर्डर होगा या नहीं.

सिर्फ किसी एक कारण की वजह से ही सब्सटेंस अब्यूज़ डिसऑर्डर नहीं होता. छोटी उम्र में ही नशीले पदार्थों का सेवन करने से इनकी लत लगने का खतरा होता है. अगर माता-पिता या किसी पूर्वज को नशे की लत थी, तो इससे आपको भी लत लगने का खतरा होता है. क्योंकि ज़्यादा नशा करने से शरीर की बायोकेमिस्ट्री बदल जाती है. इस वजह से ज़्यादा नशीले पदार्थों का सेवन करने से नशा होने लगता है. जिसके चलते व्यक्ति काफी मात्रा में इसका सेवन करने लगता है और उसे लत लग जाती है.

नशे की लत के लिए कुछ लोगों का व्यक्तित्व भी जिम्मेदार होता है. ऐसे लोग ज़्यादा खतरों वाले काम करते हैं. वे सिर्फ ‘किक’ लेने के लिए या तनाव का सामना करने के लिए नशा करते हैं. एंग्जायटी, डिप्रेशन, PTSD जैसी मानसिक समस्याओं के चलते भी लोगों को नशे की लत लग जाती है. यही नहीं, महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को नशीले पदार्थों की लत ज़्यादा जल्दी लगती है.

किसी भी चीज़ की लत चाहे वो शराब हो, कोई ड्रग हो या सिगरेट- आपके लिए कितनी खतरनाक है, ये आपको बताते की ज़रूरत नहीं है. जैसे की डॉक्टर साहब ने बताया, शराब कई लोग पीते हैं, पर सबको इसकी लत नहीं लगती. इसलिए अगर किसी को किसी भी चीज़ की लत लग रही है, तो उसके लिए प्रोफेशनल मदद लेना बेहद ज़रूरी है. क्योंकि आदतें छोड़ना बहुत मुश्किल होता है.

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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