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क्या अब संसद में रेप और सेक्शुअल हरासमेंट पर चर्चा नहीं होगी?

क्या इन शब्दों का इस्तेमाल करने पर कार्यवाही से पूरी बात विलोपित कर दी जाएगी?

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Unparliamentary Expressions
RAPE, बलात्कार, सेक्शुअल हरासमेंट को असंसदीय शब्दों की लिस्ट में रखा गया है. लेफ्ट फोटो- लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला, राइट फोटो- सांकेतिक
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14 जुलाई 2022 (Updated: 14 जुलाई 2022, 23:45 IST)
Updated: 14 जुलाई 2022 23:45 IST
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14 जुलाई, 2022 की तारीख रही एक लिस्ट के नाम. ये लिस्ट थी Unparliamentary Expressions यानी असंसदीय शब्दों की. माने वो शब्द जिनका इस्तेमाल लोकसभा, राज्यसभा या विधानसभाओं में नहीं किया जा सकता. और अगर किसी सांसद या विधायक ने इन शब्दों का इस्तेमाल किया, तो सदन की कार्यवाही से उनकी पूरी बात हटा दी जाएगी.

ये लिस्ट है ऐसे कीवर्ड्स की जिनका इस्तेमाल 2021 में लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभाओं में हुआ. और जिन्हें असंसदीय मानते हुए सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया. ये लिस्ट एक PDF बुकलेट की तरह जारी की गई. इसमें कहा गया कि शब्द नहीं, उनका इस्तेमाल जिस संदर्भ में हुआ वो असंसदीय है. इसमें RAPE शब्द को असंसदीय माना गया है. रिफरेंस दिया गया है संसद और विधानसभा में दिए गए दो बयानों का. दोनों ही बयान असंवेदनशील और आपत्तिजनक थे. जिन्हें सदन की कार्यवाही से हटाया गया था.

बुकलेट के प्रीफेस में जो लिखा है उसके मुताबिक, इस तरह के संदर्भों में RAPE  शब्द का इस्तेमाल असंसदीय माना जाएगा. लेकिन सामान्य रूप से इस शब्द का इस्तेमाल किया जा सकता है. हालांकि, इस सूची में कई ऐसे शब्द भी हैं जिनको असंसदीय माना गया है लेकिन उसके पीछे का संदर्भ साफ नहीं है. ऐसे ही कुछ शब्द हैं- सेल्स वुमन, मर्डर, अपमान, भीख, थर्ड जेंडर. पता ही नहीं चल पा रहा है कि इन शब्दों को असंसदीय क्यों माना गया.

सेक्शुअल हरासमेंट और बलात्कारः असंसदीय शब्द

अब दो ऐसे शब्द हमें मिले जिनका इस सूची में होना परेशान करता है. एक शब्द है बलात्कार. इसके संदर्भ के तौर पर लिखा है- बलात्कार, बलात्कार के आरोपी और बलात्कार का केस.

वहीं, दूसरा शब्द है सेक्शुअल हरासमेंट. इसके संदर्भ के तौर पर केवल सेक्शुअल हरासमेंट लिखा गया है. 

NCRB के लेटेस्ट डेटा के मुताबिक, भारत में हर दिन बलात्कार के 77 मामले दर्ज होते हैं. वहीं यौन शोषण के हर 46 मामले दर्ज होते हैं. ऐसे में इन दोनों शब्दों का असंसदीय शब्दों की सूची में होना डिस्टर्बिंग लगता है. 

ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या संसद या विधानसभाओं में सेक्शुअल हरासमेंट शब्द का इस्तेमाल ही नहीं किया जा सकेगा? क्या इसका मतलब ये है कि सेक्शुअल हरासमेंट पर अब संसद में चर्चा नहीं होगी, चर्चा होगी तो किन शब्दों का इस्तेमाल किया जाएगा. क्या ये एक ऐसे विषय पर चर्चा के रास्ते बंद करने की कोशिश है जिसका शिकार देश की आधी से ज्यादा आबादी आए दिन होती है? क्या ये यौन शोषण, रेप और बलात्कार के मामलों से जुड़ी चर्चा पर हाथ घुमाकर कान बंद करने की कोशिश है?  

इसी तरह के सवाल आज पूरे दिन सोशल मीडिया पर पूछे जाते रहे. सवाल ये भी कि इस तरह के शब्दों को बैन करने के पीछे संसदीय कमिटी की मंशा क्या है?

टीएमसी सांसद महुआ मित्रा ने ट्वीट किया,

“असंसदीय शब्दों के मेरी रिप्लेसमेंट सीरीज़ का पहला शब्द. बैन्ड शब्द- सेक्शुअल हरासमेंट. रिप्लेसमेंट- मिस्टर गोगोई”


यहां महुआ ने पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई पर लगे यौन शोषण के आरोप की तरफ इशारा किया था.

सीनियर जर्नलिस्ट प्रीति चौधरी ने ट्वीट किया,

“भारत में हर 6.2 मिनट में एक रेप होता है. संसद में अब सेक्शुअल हरासमेंट शब्द पर बैन लग गया है.”

जर्नलिस्ट अनुषा रवि सूद ने ट्वीट किया,

"सेक्शुअल हरासमेंट एक क्रिमिनल ऑफेंस है जिसका शिकार देश की आधी से ज्यादा आबादी होती है. करोड़ों भारतीय हर दिन सेक्शुअल हरासमेंट का शिकार होते हैं. क्या अब हमारी संसद में एक ऐसे विषय पर चर्चा नहीं होगी जिसने हमारे समाज को खोखला कर दिया है?"

लिस्ट पर बवाल मचा तो लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा,

“किसी भी शब्द को बैन नहीं किया गया है. सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों द्वारा इस्तेमाल किए गए शब्दों को विलोपित किया गया है.”

ये सही बात है कि संसद या विधानसभा में जब कोई सदस्य कोई बात कहें तो वो भाषा की गरिमा का ख्याल रखें. व्यक्तिगत टिप्पणी से बचें. भाषा पर सदस्यों का कंट्रोल बना रहे, ये सुनिश्चित करने के लिए कई शब्दों को असंसदीय घोषित किया गया है. 1959 से अब तक कई शब्दों को असंसदीय शब्दों की सूची में शामिल किया गया है. और ऐसे शब्दों की बाकायदा किताब भी छापी जाती है. लोकसभा स्पीकर ने कहा कि पेपर की बचत के लिए इस बार किताब की जगह ऑनलाइन बुकलेट छापी गई है.

कहा जा रहा है कि इस बुकलेट में केवल वो शब्द हैं जिनका इस्तेमाल पिछले साल अलग-अलग संदर्भों में हुआ और उन्हें असंसदीय माना गया. ये शब्द अगर भविष्य में सदन में इस्तेमाल होते हैं तो उन्हें हटाया नहीं जाएगा. हां अगर इनका संदर्भ आपत्तिजनक या असंसदीय हुआ तो उन्हें कार्रवाई से हटाया जाएगा.

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