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हर बार मौसम बदलते ही आपको एलर्जी क्यों हो जाती है?

मौसम बदलेगा, तो तबीयत खराब होगी ही, ऐसा सोचकर इसे नज़रअंदाज़ न करें.

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फूलों के पराग से कुछ लोगों को एलर्जी होती है. इसलिए बाहर जाते समय मास्क लगाएं.
29 नवंबर 2023
Updated: 29 नवंबर 2023 20:24 IST
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जब भी मौसम बदलता है, जैसे गर्मियों से सर्दियां आती हैं. या सर्दियों से गर्मियां, तब एक चीज़ बहुत ज़्यादा परेशान करती है - एलर्जी. ये इतना आम है कि लोग मानकर चलते हैं कि जब मौसम करवट लेगा, ‘तबीयत खराब होगी ही.’

अगर आपको बार-बार सर्दी, ज़ुकाम, खुजली और सांस लेने में परेशानी हो रही है, तो आप किसी न किसी एलर्जी के शिकार हैं. एलर्जी के मामलों में कई बार आम दवाइयां काम नहीं करतीं. या आप इनका बहुत ज़्यादा इस्तेमाल करने लगते हैं. ये ख़तरनाक है. आज हम डॉक्टर से जानेंगे मौसम बदलते ही एलर्जी की समस्या क्यों होती है और इससे बचने के लिए क्या कर सकते हैं.

इसे लेकर हमने बात की डॉक्टर राजीव गुप्ता से. डॉ गुप्ता नई दिल्ली के सीके बिरला हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन के निदेशक हैं. 

(डॉ. राजीव गुप्ता, डायरेक्टर, इंटरनल मेडिसिन, सीके बिरला हॉस्पिटल, नई दिल्ली)  
तरह-तरह की एलर्जी

जब भी मसौम में बदलाव होता है, अस्पतालों में सांस से जुड़ी एलर्जी के मामले बढ़ जाते हैं. जैसे -

- एलर्जिक राइनाइटिस (Allergic Rhinitis)

- एलर्जिक साइनसाइटिस (Allergic Sinusitis) 

- एलर्जिक फैरिन्जाइटिस (Allergic Pharyngitis)

- एलर्जिक ब्रॉन्काइटिस (Allergic Bronchitis)

- एलर्जिक ब्रॉन्काइल अस्थमा (Allergic Bronchial Asthma)

मौसम बदलने पर वातावरण में भी कुछ बदलाव आते हैं. जैसे कि इस वक्त बड़ी मात्रा में पोलन हवा में मौजूद होते हैं. पोलन माने पराग-कण. जिन पेड़-पौधों में बीज निकलते हैं, उनके फूलों में जो बहुत महीन पाउडर जैसा होता है, वही पोलन या पराग-कण हैं. इनके ज़रिये पौधे सेक्शुअल रीप्रोडक्शन से अपना वंश आगे बढ़ाते हैं. कुछ पोलन मधुमक्खियों, तितलियों के ज़रिये एक फूल से दूसरे फूल तक पहुंचते हैं. तो कुछ पोलन इतने महीन होते हैं, कि हवा में बहते रहते हैं. कई लोगों को हवा में बहते इन पराग-कणों से एलर्जी होती है.

ठंड के समय, धरती के नज़दीक मौजूद हवा घनी और भारी हो जाती है. वहीं ऊपर की हवा गर्म और हल्की हो जाती है. इस वजह से पार्टिकुलेट मैटर नीचे की ठंडी हवा में आकर बस जाते हैं. पर्टीकुलेट मैटर यानी वातावरण में मौजूद प्रदूषण के वो कण, जिनका आकार 2.5 माइक्रोन से 10 माइक्रोन के बीच है. पार्टिकुलेट मैटर के साथ, पोलन भी हवा में मौजूद होते हैं जो एलर्जी का कारण बनते हैं. इस वजह से बदलते मौसम में एलर्जी के ज्यादा मामले सामने आते हैं.

किस तरह के लक्षण देखने को मिलते हैं?

अलग-अलग एलर्जी के अलग-अलग लक्षण दिखते हैं. जैसे-

- एलर्जिक राइनाइटिस में बार-बार छींक आना, नाक से पानी बहना. साथ में सिर दर्द, आंखों में जलन, कान दर्द और हल्का बुखार आ सकता है. 

- गले की एलर्जी में गले में जलन हो सकती है. 

- अगर एलर्जिक ब्रोंकाइल अस्थमा है तो सांस लेने में तकलीफ हो सकती है. जल्दी थकान, बोलने में परेशानी, ठीक से न सो पाना. छोटे बच्चों में सांस लेने की आवाज आना, छाती चलना और खाना न खाने के लक्षण दिखते हैं.

इस वक़्त किन बातों का ध्यान रखें?

जिस भी चीज से एलर्जी है, उससे दूरी बनाए रखें. जिस मौसम में ज्यादा फूल खिलते हैं, उस वक्त बाहर जाते समय N-95 मास्क लगाएं. ज्यादा प्रदूषण के वक्त बाहर न निकलें. अचानक ठंड बढ़ने पर ठंड से बचाव भी जरूरी है. इसके अलावा मुंह धोएं. डॉक्टर की सलाह के मुताबिक कुछ एंटी एलर्जिक दवाएं ले सकते हैं. जैसे कि नाक में डालने वाली दवाई या टैबलेट. जिन लोगों को एलर्जिक साइनोसाइटिस की समस्या है, उन्हें लंबे समय तक जुकाम-खांसी रहती है. इसका इलाज दवाइयों से ही किया जा सकता है.

इलाज

अगर आपको ये एलर्जी के लक्षण दिखते हैं तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं. मरीज का इलाज नेबुलाइजेशन थेरेपी के जरिए किया जाता है. साथ ही अस्थमा के मरीजों का इलाज कुछ टैबलेट और स्टेरॉइड के जरिए भी किया जाता है. एलर्जी का इलाज आसान है लेकिन ये जानलेवा न बन जाए, इसके लिए समय पर डॉक्टर के पास जाएं. अच्छा और पोषक तत्वों से भरपूर खाना खाएं. धुएं से बचें और धूम्रपान न करें. इन सब बातों का ध्यान रखकर आप खुद एलर्जी से बच सकते हैं और दूसरों को भी इसकी जानकारी दे सकते हैं. 

(यहां बताई गई बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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