साकीनाका के चर्चित रेप-मर्डर केस में फैसला आ गया है, दोषी को मौत की सज़ा
घटना 10 सितंबर 2021 की है. आरोप थे कि आरोपी ने पहले महिला का रेप किया फिर उसके प्राइवेट पार्ट में रॉड डाल दी.

Sakinaka Rape Case में 30 साल की महिला के रेप और हत्या के आरोपी मोहन चौहान (Mohan Chauhan) को कोर्ट ने दोषी क़रार दिया गया है. मुंबई की एक विशेष अदालत 2 जून को दोषी को मौत की सज़ा सुनाई है.
30 मई को कोर्ट ने मोहन चौहान को IPC की धारा-302 (हत्या), 376-ए (बलात्कार की वजह से मौत), 376-(2)(m) (बलात्कार के दौरान की गंभीर शारीरिक क्षति पहुंचाना) और SC/ST ऐक्ट की संबंधित धाराओं के तहत दोषी पाया था.
क्या है Sakinaka Rape Case?10 सितंबर, 2021. सुबह करीब साढ़े तीन बजे. मुंबई के साकीनाका इलाक़े में एक महिला ख़ून से लथपथ एक टेम्पो के अंदर दिखाई दी. एक वॉचमैन ने देखा. तुरंत मुंबई पुलिस को कॉल किया. पुलिस मौके पर पहुंची और महिला को राजावाड़ी अस्पताल में भर्ती कराया. डॉक्टर्स ने जांच में पाया कि महिला के प्राइवेट पार्ट्स समेत शरीर के कई अंगों पर गहरे घाव थे. महिला का इलाज शुरू किया गया, लेकिन अगले दिन यानी 11 सितंबर को उसकी मौत हो गई.
जिस जगह पर महिला मिली थी उसके आसपास के CCTV फुटेज पुलिस ने चेक किए. फुटेज से पता लगा कि साकीनाका इलाक़े में मोहन चौहान ने महिला को बुरी तरह पीटा और रेप किया था. उसके बाद उसे टेम्पो के अंदर लेकर गया. पीड़िता को वहीं छोड़कर फ़रार हो गया.
छानबीन करने पर शुरुआती जानकारी ये मिली कि मोहन चौहान टेम्पो ड्राइवर है और फुटपाथ पर ही रहता है. बाद में मुखबिरों की मदद से पुलिस साकीनाका इलाक़े से ही उसे पकड़ लिया.
दोषी और पीड़िता एक दूसरे को जानते थे, पुलिस ने क्या कहा?पुलिस ने बताया कि शुरू में दोषी मोहन कुमार ने झूठ बोलकर गुमराह करने की कोशिश की थी, लेकिन बाद में पुलिस ने लगातार पूछताछ की, तो उसने अपनी असली पहचान बताई. पुलिस के मुताबिक, मोहन के दो बच्चे हैं और वो मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जौनपुर का रहने वाला है. पुलिस ने अपनी जांच में ये भी बताया कि वो ड्रग्स और शराब का आदी है, जिसके चलते उसके परिवार ने उससे नाता तोड़ लिया था. वो 25 साल पहले मुंबई आया था. पुलिस को ये भी पता चला कि मोहन चौहान गाड़ियों से बैटरी और पेट्रोल चोरी करने में भी शामिल रहा है.
वहीं, पीड़िता 32 साल की थी. तब छपी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक़, महिला के रिश्तेदारों ने जानकारी दी थी कि क़रीब सात-आठ साल पहले उसके पति ने उसे छोड़ दिया था. पीड़िता की दो बेटियां हैं. पति से अलग होने के बाद, बेटियों के पालन-पोषण की ज़िम्मेदारी महिला पर ही आ गई थी. कोई नौकरी न होने के चलते महिला के दिमाग़ पर असर पड़ने लगा था. फिर पारीवारिक झगड़ों के बाद महिला ने क़रीब छह साल पहले अपनी मां का घर भी छोड़ दिया और सड़क-फुटपाथ पर रहने लगी थी. तब से पीड़िता की मां ही अपनी दोनों नातिनों की देखभाल कर रही थीं. महिला कभी-कभी अपनी मां और बच्चियों से मिलने जाती थी.

इस केस के बाद से मुंबई में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सवाल उठे थे. स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन किया गया. ख़बर ये भी आई कि विक्टिम महिला और आरोपी मोहन पहले से एक-दूसरे को जानते थे. इस पर कमिश्नर ने तब कहा था कि ये जांच का विषय है.
इस मामले में राजनीति भी ख़ूब हुई. जब ये घटना हुई, तो BJP के नेताओं ने शिवसेना, कांग्रेस और NCP के गठबंधन वाली सरकार को घेरा था. इसे मुंबई का 'निर्भया कांड' कहने लगे थे. कहा कि राज्य में औरतें सुरक्षित नहीं हैं.
मामले के सामने आने के बाद राष्ट्रीय महिला आयोग यानी NCW एक्टिव हुआ था. NCW ने ट्वीट किया और 12 सितंबर को विक्टिम के परिवार से मुलाक़ात की. और, पीड़िता की बेटियों के रिहैबिलिटेशन की सिफ़ारिश रखी. NCSC यानी नेशनल कमीशन फॉर शेड्यूल कास्ट ने भी अलग से परिवार से मुलाक़ात की थी.
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