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क्या है रिपिटेटिव स्ट्रेस इंजरी? कंप्यूटर-लैपटॉप पर काम करने वाले जरूर जानें

बार-बार ज़ोर पड़ने के कारण एक ही जगह पर लगातार चोट लगते रहना. और ऐसा केवल उंगलियों के साथ नहीं, शरीर के बाकी हिस्सों में भी होता है. आज के एपिसोड में डॉक्टर्स से जानते हैं रिपिटेटिव स्ट्रेस इंजरी के बारे में.

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रिपिटेटिव स्ट्रेस इंजरी का सबसे बढ़िया इलाज है इससे बचाव. इंजरी से बचने के लिए अपने काम करने वाली जगह में कुछ बदलाव करने होंगे.
29 सितंबर 2023 (Updated: 29 सितंबर 2023, 05:19 PM IST) कॉमेंट्स
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आप ने कभी गिना है, हम रोज़ कितना समय टाइपिंग करते हुए गुज़ार देते हैं? ऑफिस में काम करते हैं तो लैपटॉप और कंप्यूटर पर, कुछ नहीं तो मोबाइल पर टाइप करते रहते हैं. अब आपको ये मालूम है कि जब आप टाइप करते हैं तो आपकी उंगलियों और अंगूठों पर जोर पड़ता है. झटके महसूस होते हैं. और ऐसा अगर रोज़ और लंबे समय तक होता रहे तो इन्हें पहुंचती है चोट जो आपको दिखती नहीं. आपको उंगलियों, कलाई, अंगूठे में दर्द, अकड़न और जकड़न ज़रूर होने लगती है. अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है तो आज आपको वजह पता चल गई. इसे अंग्रेज़ी में कहते हैं रिपिटेटिव स्ट्रेस इंजरी (Repetitive Stress Injury). यानी बार-बार ज़ोर पड़ने के कारण एक ही जगह पर लगातार चोट लगते रहना. और ऐसा केवल उंगलियों के साथ नहीं, शरीर के बाकी हिस्सों में भी होता है. आज के एपिसोड में डॉक्टर्स से जानते हैं रिपिटेटिव स्ट्रेस इंजरी के बारे में. इसे कैसे पहचानें और बचें.

रिपिटेटिव स्ट्रेस इंजरी क्या होती है?

ये हमें बताया डॉ राहुल कुमार ने.

(डॉ राहुल कुमार, सीनियर कंसल्टेंट, स्पोर्ट्स इंजरी सेंटर, पारस हेल्थ, गुरुग्राम)

रिपिटेटिव स्ट्रेस इंजरी काम से जुड़ी चोटें होती हैं. जैसे काम के दौरान एक ही मूवमेंट बार-बार करने से मांसपेशियों, टेंडन (ये मांसपेशियों को हड्डी से जोड़ती हैं) और नसों को चोट पहुंचती है. इसे ही रिपिटेटिव स्ट्रेस इंजरी कहते हैं.

कारण

> रिपिटेटिव स्ट्रेस इंजरी का कारण होता है एक ही मूवमेंट को बार-बार करना.

> लंबे समय तक एक ही पोस्चर में बैठना,

> सिर के ऊपर हाथों को उठाकर काम करना.

> ज्यादा वजन उठाने और कमजोर मसल्स के कारण भी रिपिटेटिव स्ट्रेस इंजरी हो सकती है.

> डेस्क जॉब, कंप्यूटर और लैपटॉप पर काम करने वाले लोगों को रिपिटेटिव स्ट्रेस इंजरी ज्यादा होती है.

लक्षण

> कलाई, कोहनी, कंधों और गर्दन में दर्द होना.

> रिपिटेटिव स्ट्रेस इंजरी के कारण पहले दर्द होता है, जो शुरुआत में हल्का होता है.

> नुकसान बढ़ने से दर्द बढ़ने लगता है और मूवमेंट नहीं होने पर भी दर्द होता है.

> जोड़ों की मांसपेशियों में अकड़न, जकड़न और दर्द हो सकता है.

> मांसपेशियां ठंडे और गर्म तापमान के प्रति काफी सेंसिटिव हो सकती हैं.

> साथ ही मांसपेशियों में कमजोरी भी आ सकती है.

इलाज

> रिपिटेटिव स्ट्रेस इंजरी का सबसे बढ़िया इलाज है इससे बचाव.

> इंजरी से बचने के लिए अपने काम करने वाली जगह में कुछ बदलाव करने होंगे.

> कंप्यूटर पर काम करते हैं तो कंप्यूटर की स्क्रीन और आंखों का लेवल एक हो,

> साथ ही कंप्यूटर से एक हाथ की दूरी पर बैठें.

> बैठकर काम करने के दौरान कमर पर ज़ोर न पड़ने दें, पीठ सीधी रखें.

> इस तरह से बैठें कि आपके पंजे जमीन पर अच्छे से टिके हों और जांघें जमीन की सिधाई में हों.

> टाइपिंग के वक्त दोनों कोहनी टेबल पर टिकी हों.

> काम की जगह पर ये बदलाव करने से रिपिटेटिव स्ट्रेस इंजरी कम होगी.

> साथ ही ये भी जानने की कोशिश करें कि किस मूवमेंट से दिक्कत हो रही है.

> उस मूवमेंट से बचें या उसमें सुधार करें.

> अगर स्थिति गंभीर हो गई है तो आराम करें और कुछ समय तक उस मूवमेंट से बचें.

> दर्द और सूजन कम करने वाली नॉन स्टेरॉइड वाली दवाई लें,

> फिजियोथेरेपी और एक्सरसाइज करने से भी मदद मिलती है.

> लंबे समय तक कंप्यूटर पर काम करते हैं तो हर 20-30 मिनट में मांसपेशियों को स्ट्रेच कर लें.

> साथ ही बैठने का तरीका बदलते रहें ताकि मांसपेशियों पर ज़ोर न पड़े.

(यहां बताई गईं बातें, इलाज के तरीके और खुराक की जो सलाह दी जाती है, वो विशेषज्ञों के अनुभव पर आधारित है. किसी भी सलाह को अमल में लाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें. दी लल्लनटॉप आपको अपने आप दवाइयां लेने की सलाह नहीं देता.)

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