यूनाइटेड किंगडम यानी यूके. दुनिया का पहला ऐसा देश, जिसने सबसे पहले अपने नागरिकों को कोरोना वैक्सीन लगाने की मंजूरी दी. यहां दवा कंपनी फाइजर द्वारा बनाई गई वैक्सीन लगाई जा रही है. लेकिन अब इस वैक्सीन लगाने के प्रोग्राम को लेकर देश के महिला संगठन सरकार का विरोध कर रहे हैं. क्यों? क्योंकि यहां की सरकार ने गर्भवती (Pregnant) और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को लेकर कुछ दिशा निर्देश जारी किए हैं.
इन दिशा निर्देशों में इस तरह की महिलाओं को दो विकल्प दिए गए हैं. कहा गया है कि अगर आप गर्मभवती हैं या बच्चे को स्तनपान करा रही हैं, तो आप कोरोना वैक्सीन ना लगवाएं. अगर आप स्तनपान ना कराने का फैसला लेती हैं, तो कोरोना वैक्सीन लगवा सकती हैं.
स्तनपान कराते हुए वैक्सीन लगवाने से क्या होगा?
यूनाइटेड किंगडम के स्वास्थ्य विभाग को राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (NHS) के नाम से जाना जाता है. इसकी वेबसाइट पर गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को सलाह देते हुए लिखा गया है-
"अगर आप गर्भवती हैं तो कोविड 19 की वैक्सीन लगवाने के लिए आपको इंतजार करना चाहिए. बच्चे के जन्म तक आपको इंतजार करना चाहिए. अगर आप स्तनपान करा रही हैं, तो आपको तब तक इंतजार करना चाहिए, जब तक आप स्तनपान कराना बंद ना कर दें."
क्या वैक्सीन असुरक्षित है?
दरअसल, इस बात की भी संभावना होती है कि कोई महिला गर्भवती हो और शुरुआती दौर में उसे इस बारे में पता ही ना चले. ऐसे में अगर वैक्सीन लगवा ली जाए, तो क्या होगा?
इस संबंध में NHS की वेबसाइट कहती है , "अगर आपको बाद में पता चलता है कि आप प्रेगनेंट थीं और इस बीच वैक्सीन लगवा चुकी हैं, तो चिंता करने की बात नहीं है. वैक्सीन से आपको और आपके बच्चे को कोविड 19 नहीं हो सकता है."
वेबसाइट में आगे लिखा है-
"इस बात के सबूत मौजूद नहीं हैं कि गर्भवती और स्तनपान करा रहीं महिलाओं के लिए वैक्सीन असुरक्षित है. हालांकि, इस संबंध में पक्का निष्कर्ष निकालने के लिए और सबूतों की जरूरत है. इसके बाद ही आप लोगों को वैक्सीन दी जाएगी."
यूके की सरकार की आधिकारिक वेबसाइट पर भी कुछ इसी तरह की सलाह दी गई है. यहां कहा गया है कि फाइजर की वैक्सीन सुरक्षित पाई गई है, लेकिन अभी तक यह जांच नहीं हो पाई है कि गर्भवती महिलाओं पर इसके क्या प्रभाव हो सकते हैं. सरकार की तरफ से कहा गया है कि हमारे दिशा निर्देश बस सावधानी बरतने के लिए हैं. गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को लेकर अभी डेटा मौजूद नहीं है, तब तक सावधानी बरतने की जरूरत है.
विरोध किस बात का है?
अखबार द गार्जियन स्तनपान मामलों की विशेषज्ञ डॉ. विकी थॉमस के हवाले से लिखता है कि अगर इस बात के सबूत मौजूद नहीं हैं कि वैक्सीन गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक है, तो महिलाओं को वैक्सीन ना दिया जाना गैरबराबरी है. यह एक जानलेवा वायरस के सामने उन्हें मरने के लिए छोड़ देने के बराबर है. साथ ही साथ सरकार के ये दिशा निर्देश महिलाओं और उनके बच्चों को स्तनपान का जरूरी लाभ लेने से रोकते हैं.
द गार्जियन की इसी रिपोर्ट में एक और डॉ. हैन्ना बरहम ब्राउन ने सरकार के इस कदम को गैरजिम्मेदार बताया है. उनका कहना है कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में फ्रंटलाइन कर्मचारियों की भूमिका महत्वपूर्ण है. इन कर्मचारियों में महिलाओं का एक बड़ा हिस्सा है. ऐसे में बिना सबूत इन महिलाओं को वैक्सीन ना देना अमानवीय है.
दूसरे देशों में क्या सलाह दी गई है?
यूनाइटेड किंगडम सरकार के इस फैसले से वहां की लाखों महिलाओं पर असर पड़ेगा. दूसरे देशों की अगर बात करें तो अमेरिका में इस तरह के दिशा निर्देश जारी नहीं किए गए हैं. देश के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन संस्थान ने कहा है कि अगर महिलाओं को पहले चरण में वैक्सीन देने के लिए चुना गया है, तो उनका गर्भवती होना इस काम में बाधा नहीं बनेगा. हालांकि, संस्थान ने यह भी कहा है कि गर्भवती महिलाओं को लेकर सावधानी बरतने की जरूरत है.
इसी तरह रूस में भी कुछ दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. लेकिन वे सभी के लिए हैं. रूस की सरकार ने कहा है कि वैक्सीन लगवाने के बाद लोग दो महीने तक शराब ना पिएं और ना ही ऐसी दवाइयां लें जो इम्यून सिस्टम पर असर डालती हैं. भारत समेत अन्य देशों में अभी इस संबंध में दिशा निर्देश जारी नहीं हुए हैं. इन देशों में अभी वैक्सीन लगाने का कार्यक्रम शुरू नहीं हुआ है.